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बिहार को 58900 करोड़ तो मिले लेकिन रेलवे के विकास को भूला केंद्र! फिर ठंडे बस्ते में ये 21 परियोजनाएं - Union Budget 2024 - UNION BUDGET 2024

RAILWAY PROJECT IN BIHAR: मंगलवार को जारी केंद्रीय बजट में बिहार को 58900 करोड़ रुपये देने का ऐलान हुआ. इसमें सड़क परियोजना, पीरपैंती पावर प्रोजेक्ट, सिंचाई और बाढ़ से निपटना शामिल है लेकिन बिहार में वर्षों से स्वीकृत रेलवे की परियोजना कहीं नहीं दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में एक बार फिर लोगों को निराशा हाथ लगी है. ऐसा लगता है कि फिर से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 24, 2024, 12:10 PM IST

Updated : Jul 24, 2024, 12:39 PM IST

केंद्रीय बजट में बिहार में रेलवे के लिए कुछ नहीं मिलने पर विशेषज्ञों की राय (ETV Bharat)

पटनाःपहले रेल बजट आता था तो लोग यह देखते थे कि उनके राज्य के लिए कौन-कौन योजनाओं को शामिल किया गया है लेकिन पिछले 10 वर्षों से रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया गया. मंगलवार को जारी केंद्रीय बजट में बिहार को 58900 करोड़ रुपए देने की बात कही गयी. इससे बिहार के विकास का काम किया जाएगा. 'सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेलवे के आधुनिकीकरण पर भी फोकस किया लेकिन शायद वे बिहार रेलवे को भूल गई.' बजट के बाद बिहार के लोग भी शायद कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं.

बजट में बिहार रेलवे को निराशाः रेलवे के यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए सरकार ने 2,55,393 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट में 2.52 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे. आज के बजट में रेलवे की सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है. रेलवे के बजट का बड़ा हिस्सा सेफ्टी के लिए खर्च किया जाएगा. 1 लाख 8 हजार करोड़ से पुराने ट्रैक्स, सिग्नलिंग, कवच, रेल के पुल बनाने में खर्च किए जाएंगे.

पूर्व मध्य रेल हाजीपुर (ETV Bharat)

वंदे मेट्रो व वंदे भारत ट्रेन की योजनाःबजट 2024 में वंदे मेट्रो और वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को लेकर घोषणा की गई. वंदे मेट्रो कम दूरी के सफर के लिए होगी जबकि वंदे भारत स्लीपर लंबी दूरी की यात्रा के लिए होगी. बजट में रेलवे को लेकर यह जानकारी दी गई कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में पूरे देश में करीब 673 करोड़ यात्रियों ने ट्रेन में सफर किया जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 5.2% अधिक है.

रेल बजट से बिहार में निराशाःबजट को लेकर बिहार के लोगों को उम्मीद थी कि रेलवे के क्षेत्र में भी यहां के लोगों को कुछ ना कुछ मिलेगा, क्योंकि बिहार में बहुत सारी ऐसी योजनाएं हैं जो वर्षों से मंजूरी मिलने के बाद भी लंबित पड़ी हुई है. लोगों को उम्मीद थी कि इन योजनाओं को लेकर सरकार कुछ फैसला लेगी. लेकिन इन योजनाओं के बारे में अभी तक कुछ खास स्पष्ट नहीं हो पाया है. मंगलवार को बजट में इसकी चर्चा नहीं की गयी.

रेलवे की वर्षों से लंबित योजनाः पिछले 10 वर्षों की बात की जाए तो रेलवे ने बिहार में अनेक नई योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की. पूर्व मध्य रेलवे में पूर्व से स्वीकृत 33 नई रेल परियाेजनाओं में से 21 काे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. उत्तर बिहार की अधिकांश नई रेल लाइन को लेकर रेलवे ने स्वीकृति प्रदान कर दी लेकिन इसके लिए बजट में अब तक काेई प्रावधान नहीं किया गया. सिर्फ प्राेजेक्ट का अस्तित्व बचा रहे इसके लिए बजट में महज 1-1 हजार रुपए की राशि आती है.

बिहार की 21 रेलवे परिजनाएं (ETV Bharat GFX)

कौन-कौन परियोजना स्वीकृत?:बिहार में रेलवे की कुल 21 ऐसी परियोजना है, जिसे रेलवे ने स्वीकृति प्रदान कर दी है लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है. इन सभी नई रेल योजनाओं की स्वीकृति प्रदान कर दी गई. बिहार की अधिकांश प्रस्तावित नई रेल लाइन के लिए बजट में काेई प्रावधान नहीं किया गया है. सिर्फ प्राेजेक्ट का अस्तित्व बचा रहे, इसके लिए बजट में महज 1-1 हजार रुपये का टोकन मनी प्रावधान किया गया है.

परियोजना के लंबित होने का कारणःवरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि रेलवे देश की लाइफ लाइन मानी जाती है. रेलवे में रोजगार का सृजन होता है. बिहार में कई ऐसी जगह है, जहां रेल कनेक्टिविटी को लेकर वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि लगातार विधानसभा से लेकर सदन तक मामला उठाते रहते हैं. कई योजनाओं को केंद्र सरकार ने स्वीकृति भी दे दी है लेकिन हकीकत यही है कि ये अधर में लटकी हुई है. स्वीकृति की खानापूर्ति के नाम पर 1000 का टोकन मनी डालने के अलावा कोई काम नहीं हो पाया.

"ऐसी योजनाओं के लंबित होने का मुख्य वजह है फंड का ना होना. पहले रेल बजट अलग से आता था जिसमें रेलवे को अलग से फंड मिलता था. उस समय लोगों को यह जानकारी हो जाती थी कि किस योजना के लिए सरकार ने फंड दिया है लेकिन अब आम बजट और रेल बजट को क्लब कर दिया गया है. इसीलिए अब इससे आम लोग अनभिज्ञ हो जाते हैं. जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति की कमी के कारण भी कई योजनाएं अधर में लटक जाती हैं. दूसरा कारण फंड की कमी भी हो सकती है."-डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पूर्व मध्य रेल कार्यालय हाजीपुर (ETV Bharat)

क्या कहते हैं अर्थशास्त्री? बिहार में रेलवे के अनेक योजनाओं के शुरू नहीं होने पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण बिहार की रेलवे की अनेक योजनाएं लटकी हुई है. उन्होंने कहा कि बजट में रेल पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं हुई. रेलवे के क्षेत्र में बिहार के साथ हमेशा उपेक्षा की गई. किसी खास कारण से बिहार की अनेक योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई लेकिन उसे योजनाओं पर आज तक काम नहीं हो पाया.

"दो दर्जन से अधिक ऐसी योजना बिहार में स्वीकृत है जिस पर आज तक कोई काम नहीं हुआ. सरकार की लापरवाही के कारण यह योजनाएं आज तक धरातल पर नहीं आ पाई. सरकार ने बजट में बिहार रेलवे को शामिल नहीं कर साबित कर दी है कि सरकार बिहार का विकास नहीं चाहती है."-प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी

सबसे ज्यादा रेल मंत्री बिहार से हुएः प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने बताया कि आजादी के बाद से देश में सबसे ज्यादा रेल मंत्री बिहार ने दिया. ललित नारायण मिश्रा के बाद किसी ने भी नई योजनाओं को लेकर ध्यान नहीं दिया. जो भी मंत्री बने वह अपने पार्टी तक ही सीमित रह गए. बिहार की योजनाओं पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया.

बिहार से अब तक रेल मंत्रीः बाबू जगजीवन राम (1962), राम सुभग सिंह (1969), ललित नारायण मिश्र(1973), केदार पांडेय (1982), 5. जॉर्ज फर्नाडीस (1989), रामविलास पासवान (1996), नीतीश कुमार 1998 और 2001 (दो बार), लालू प्रसाद यादव (2024) रेल मंत्री रह चुके हैं. इसके बावजूद बिहार में रेलवे का विकास नहीं हो पाया.

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Last Updated : Jul 24, 2024, 12:39 PM IST

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