पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी को लेकर इन दिनों यात्राओं का दौर चल रहा है. यह तो तय हो गया है कि विधानसभा चुनाव नीतीश वर्सेस तेजस्वी ही होगी. एनडीए ने इस लड़ाई में 225 सीट जीतने का लक्ष्य तय कर दिया है. जबकि महागठबंधन के 6 दल अभी तक कोई कार्यक्रम तय नहीं कर पाए हैं. ऐसे में तेजस्वी के भरोसे महागठबंधन, एनडीए को कैसे चुनौती दे पाएगा यह बड़ा सवाल है. राजनीतिक विश्लेषक भी कह रहे हैं एनडीए की एकजुटता ही महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
राजद के लिए अस्तित्व की लड़ाईः बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव के लिए बैटलफील्ड तैयार किया जा रहा है. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है जब नीतीश कुमार जैसा कमांडर हो तो जीत के बारे में कोई शक रही नहीं जाता है. नीतीश कुमार के चेहरा पर जनता ने आंख मूंद कर भरोसा जताया है. 225 टारगेट को लेकर राजीव रंजन का कहना है कि 2010 में हम लोगों ने बड़ी जीत हासिल की थी और अभी लोकसभा चुनाव में पोने 200 सीटों पर हम लोगों ने बढ़त हासिल की थी.
"विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव में भी हम लोगों ने जीत हासिल की है. लगातार जमीनी कार्यक्रम हो रहे हैं. ऐसे में 225 का लक्ष्य भेद पाना बहुत मुश्किल नहीं होगा. राजद के लिए अपना अस्तित्व बचाना चुनौती होगी."- राजीव रंजन, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जदयू
महागठबंधन का लक्ष्य तय नहींः 2025 में महागठबंधन के तरफ से कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है. इस पर आरजेडी प्रवक्ता अरुण यादव का कहना है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनाना ही लक्ष्य है. अरुण यादव, एनडीए के लक्ष्य की हवा निकालने की कोशिश करते हुए कहते हैं कि एनडीए ने लोकसभा चुनाव में भी 400 पार का लक्ष्य रखा था, लेकिन क्या हुआ. झारखंड में भी 60 प्लस का दावा कर रहे थे लेकिन क्या हुआ.
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"2020 में हम लोग लगता ही नहीं किया था लेकिन बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में फंसा जाते 57 विधायक और आते हैं तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार भी बन जाती 2025 में बिहार की जनता एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार बैठी है और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाएगी."- अरुण यादव, आरजेडी प्रवक्ता
एनडीए की एकजुटता बड़ी ताकतः राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे का कहना है कि NDA ने इस बार 225 का लक्ष्य रखा है. 2020 में भी बहुमत मिला था. इस बार अधिक पार्टनर एनडीए में हैं. एकजुटता भी दिख रही है. इस बार जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए के साथ हैं. चिराग पासवान का भी रुख बदला है. 2020 में बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट कर रहे थे, इस बार नीतीश फर्स्ट करते दिखेंगे. एनडीए की एकजुटता का ही परिणाम रहा कि उपचुनाव में जबरदस्त जीत मिली है.
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"चुनाव में बड़ा लक्ष्य लेकर ही पार्टियां जाती हैं. लोकसभा में एनडीए ने 400 पार का लक्ष्य रखा था. बीजेपी को भले ही 240 सीट मिली लेकिन सरकार तो बन गई. महागठबंधन ने भले ही लक्ष्य तय नहीं किया है, लेकिन यह तो तय है चुनाव नीतीश वर्सेस तेजस्वी की होनी है."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
एनडीए के मिशन 225 का क्या है आधारः लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 40 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की थी. पार्टी के नेताओं का दावा है कि करीब 177 विधानसभा सीटों में एनडीए ने लीड लिया है. अभी विधानसभा उपचुनाव में चार सीटों पर भी जीत मिली है. कुल मिलाकर देखें तो 180 सीटों से अधिक पर बढ़त ले ली है. 2010 में एनडीए को सबसे अधिक 206 सीट मिली थी तो इस बार एनडीए में जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान भी एकजुटता के साथ हैं. इन वजहों से इस बार 2010 से अधिक सीट मिलने की उम्मीद लगा रहे हैं.
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PK बढ़ा सकते हैं महागठबंधन की मुश्किलः एनडीए और महागठबंधन के अलावे प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी विधानसभा चुनाव में 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. विधानसभा उपचुनाव में भी प्रशांत किशोर ने चारों सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. किसी पर भी जीत नहीं हासिल हुई. प्रशांत किशोर पिछले 2 साल से पूरे बिहार भ्रमण कर रहे हैं. 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी है. प्रशांत किशोर ने ऐसे तो कोई लक्ष्य तय नहीं किया है लेकिन जिस प्रकार से अति पिछड़ा को 75 सीट, मुस्लिम को 40 सीट, एससी-एसटी को 40 सीट पर उम्मीदवार देने की बात कही है इसका मतलब साफ है प्रशांत किशोर भी बड़े लक्ष्य के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे.
आरसीपी और ओवैसी पर रहेगी नजरः कभी नीतीश कुमार के खासम खास रहे आरसीपी सिंह भी नई पार्टी बनाई है. नई पार्टी बनाने के दौरान ही 140 सीटों पर उम्मीदवार तैयार होने की बात कही थी. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की तरफ से भी विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत लगाई जाएगी. हालांकि, एआईएमआईएम का फोकस सीमांचल और मुस्लिम बहुल सीटों पर ही अधिक होगा. ऐसे में 40 से 50 सीटों पर एआईएमआईएम समीकरण प्रभावित कर सकते हैं.
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डबल इंजन सरकार का प्रभाव उपचुनाव में दिखाः बिहार के लिए कई पैकेज केंद्र सरकार की तरफ से दी जा रही है. कई बड़े प्रोजेक्ट को लेकर भी फैसला हो रहा है. जहां अवरोध थे उसे भी दूर किया जा रहा है. एम्स, पूर्णिया एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे के निर्माण का भी रास्ता साफ हो रहा है. चुनाव से पहले एनडीए के तरफ से कई बड़ी घोषणा भी हो सकती है. उपचुनाव में मिली जीत से भी एनडीए खेमा उत्साहित है. इसलिए महागठबंधन के लिए लड़ाई आसान नहीं होगी.
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