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कश्मीर में ठंड से जमे तालाब और नाले, बच्चे क्रिकेट खेलकर उठा रहे आनंद, देखें वीडियो - KASHMIR KIDS PLAY ON FROZEN PONDS

तेज ठंड से तालाब व नाले जमने से बच्चे उसको क्रिकेट मैदान के रूप में प्रयोग कर रहे हैं. पढ़िए कौसर अराफात की रिपोर्ट...

Kids playing cricket in a frozen pond
ठंड से जमे तालाब में बच्चे खेल रहे क्रिकेट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 16 hours ago

सोपोर: कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कठोर सर्दी, चिल्लई कलां के बीच उत्तर कश्मीर के तर्जु हरीरार गांव के बच्चों ने ठंड से बचने का एक नया तरीका खोज निकाला है. इन बच्चों ने ठंड से जमे हुए तालाबों व नालों को क्रिकेट के मैदान में बदल दिया है.

भले ही बर्फीले मौसम ने अधिकांश कश्मीरियों के जीवन को रोक दिया हो लेकिन बर्फ से ढके इस खेल के मैदान ने इन युवा उत्साही लोगों को आनंद प्रदान किया है. सर्दियों की छुट्टियों की वजह से स्कूल बंद होने के कारण बच्चे अपने खाली समय का भरपूर आनंद ले रहे हैं. मोटी बर्फ पर बैठे एक उत्साही युवा ने कहा, "हमारे यहां उचित खेल के मैदान नहीं हैं. इस वजह से जमे हुए तालाब सर्दियों के स्वर्ग की तरह लगते हैं और हम इसका हर पल का आनंद ले रहे हैं."

देखें वीडियो (ETV Bharat)

हालांकि, वयस्क बच्चों के जमे हुए जल तालाबों पर खेलने के विचार से चिंतित हैं. निवासियों को चिंता है कि बर्फ की दरारों से दुर्घटनाएं हो सकती हैं. एक निवासी ने कहा, "हम उन्हें चेतावनी देते रहते हैं, लेकिन वे सुनते नहीं हैं." सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अहमद भट ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की तथा अभिभावकों और सरकार से कार्रवाई करने का आह्वान किया.

उन्होंने ईटीवी भारत से कहा, "सोशल मीडिया पर जमे हुए तालाबों पर क्रिकेट खेलने वाले बच्चों के वीडियो की बाढ़ आ गई है, जो वाकई चिंताजनक है. चूंकि ये जगहें बहुत दूर हैं, इसलिए अगर कुछ गलत हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा?" वहीं जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JKDMA) ने भी जमे हुए जल निकायों में जाने के खिलाफ चेतावनी जारी की है, ऐसी गतिविधियों को जीवन के लिए खतरा बताया है.

जेकेडीएमए के सीईओ अटल डुल्लू ने कहा, "जमे हुए झीलों पर चलना या खेलना बेहद खतरनाक है." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि वर्तमान शीत लहर के कारण कश्मीर के कुछ प्रसिद्ध जलाशय, जैसे डल झील और वुलर झील, आंशिक रूप से जम गए हैं. कश्मीर में भारी सर्दियों के दौरान बर्फ के प्रसिद्ध नजारों का इतिहास रहा है. बर्फीली भव्यता का प्रतीक डल झील हाल ही में जनवरी 2021 में पूरी तरह से जम गई, 1986 में भी ऐसी ही घटना हुई थी. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि जम्मू और कश्मीर के पूर्व पीएम बख्शी गुलाम मोहम्मद ने 1962-1963 की सर्दियों में इसकी बर्फीली सतह पर जीप चलाई थी, जब यह झील लगभग एक महीने तक जमी रही थी.

ये भी पढ़ें- उत्तर भारत में गिरेगी आसमानी आफत! दिल्ली के लिए 'ऑरेंज' अलर्ट, कई राज्य में ओलावृष्टि की चेतावनी

सोपोर: कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कठोर सर्दी, चिल्लई कलां के बीच उत्तर कश्मीर के तर्जु हरीरार गांव के बच्चों ने ठंड से बचने का एक नया तरीका खोज निकाला है. इन बच्चों ने ठंड से जमे हुए तालाबों व नालों को क्रिकेट के मैदान में बदल दिया है.

भले ही बर्फीले मौसम ने अधिकांश कश्मीरियों के जीवन को रोक दिया हो लेकिन बर्फ से ढके इस खेल के मैदान ने इन युवा उत्साही लोगों को आनंद प्रदान किया है. सर्दियों की छुट्टियों की वजह से स्कूल बंद होने के कारण बच्चे अपने खाली समय का भरपूर आनंद ले रहे हैं. मोटी बर्फ पर बैठे एक उत्साही युवा ने कहा, "हमारे यहां उचित खेल के मैदान नहीं हैं. इस वजह से जमे हुए तालाब सर्दियों के स्वर्ग की तरह लगते हैं और हम इसका हर पल का आनंद ले रहे हैं."

देखें वीडियो (ETV Bharat)

हालांकि, वयस्क बच्चों के जमे हुए जल तालाबों पर खेलने के विचार से चिंतित हैं. निवासियों को चिंता है कि बर्फ की दरारों से दुर्घटनाएं हो सकती हैं. एक निवासी ने कहा, "हम उन्हें चेतावनी देते रहते हैं, लेकिन वे सुनते नहीं हैं." सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अहमद भट ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की तथा अभिभावकों और सरकार से कार्रवाई करने का आह्वान किया.

उन्होंने ईटीवी भारत से कहा, "सोशल मीडिया पर जमे हुए तालाबों पर क्रिकेट खेलने वाले बच्चों के वीडियो की बाढ़ आ गई है, जो वाकई चिंताजनक है. चूंकि ये जगहें बहुत दूर हैं, इसलिए अगर कुछ गलत हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा?" वहीं जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JKDMA) ने भी जमे हुए जल निकायों में जाने के खिलाफ चेतावनी जारी की है, ऐसी गतिविधियों को जीवन के लिए खतरा बताया है.

जेकेडीएमए के सीईओ अटल डुल्लू ने कहा, "जमे हुए झीलों पर चलना या खेलना बेहद खतरनाक है." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि वर्तमान शीत लहर के कारण कश्मीर के कुछ प्रसिद्ध जलाशय, जैसे डल झील और वुलर झील, आंशिक रूप से जम गए हैं. कश्मीर में भारी सर्दियों के दौरान बर्फ के प्रसिद्ध नजारों का इतिहास रहा है. बर्फीली भव्यता का प्रतीक डल झील हाल ही में जनवरी 2021 में पूरी तरह से जम गई, 1986 में भी ऐसी ही घटना हुई थी. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि जम्मू और कश्मीर के पूर्व पीएम बख्शी गुलाम मोहम्मद ने 1962-1963 की सर्दियों में इसकी बर्फीली सतह पर जीप चलाई थी, जब यह झील लगभग एक महीने तक जमी रही थी.

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