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हांगकांग, मस्कट व दुबई तक भाइयों की कलाई पर सजेगी भरतपुर की यह खास राखी, तुलसी व अश्वगंधा के रूप में महकेगी - Rakhi made of cow dung

भरतपुर में गाय के गोबर से बनी राखी हांगकांग, मस्कट और दुबई में रहने वाले भारतीयों की कलाई में सजेगी. एक संस्था की ओर से गाय के गोबर में मुल्तानी मिट्टी और प्राकृतिक रंगों को मिलाकर अलग-अलग डिजाइन के सांचे से राखी तैयार की गई है.

गोबर की राखी
गोबर की राखी (ETV Bharat Bharatpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 16, 2024, 9:26 PM IST

गाय के गोबर से बनी राखी (ETV Bharat Bharatpur)

भरतपुर : इस बार रक्षाबंधन पर गाय के गोबर की राखी देश-विदेश तक भाइयों की कलाई पर सजेगी. भरतपुर में तैयार की गई यह खास राखी इस बार के रक्षाबंधन पर कई राज्यों और यहां तक कि हांगकांग, मस्कट और दुबई में रहने वाले भारतीयों की कलाई में बंधेगी. इतना ही नहीं गाय के गोबर से निर्मित यह राखी जब कलाई से उतरेगी तो मिट्टी में मिलकर तुलसी और अश्वगंधा के पौधे के रूप महकेगी. भरतपुर की एक संस्था ने करीब 15 हजार राखी तैयार की हैं. आइए जानते हैं कि रक्षाबंधन के अवसर को चार चांद लगाने वाली यह राखी कैसे तैयार की गई.

सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च ग्रुप स्वर्ग संस्था के प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि इस बार संस्था की ओर से कामधेनु रक्षाबंधन के तहत गाय के गोबर से विशेष राखियों का निर्माण किया गया है. गाय के गोबर में मुल्तानी मिट्टी और प्राकृतिक रंगों को मिलाकर अलग-अलग डिजाइन के सांचे से राखी तैयार की गई है. साथ ही इनमें कलावे और रेशमी धागे का इस्तेमाल किया गया है. राखियों में बच्चों के लिए तितली, फूल जैसे 15 डिजाइन भी तैयार किए गए हैं.

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दुबई तक मांग :बलवीर सिंह ने बताया कि संस्था की करीब 7 महिलाओं ने रक्षाबंधन के लिए करीब 15 हजार राखी तैयार की हैं. इनमें से राजस्थान के करीब-करीब सभी जिलों, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, चंडीगढ़ और मध्य प्रदेश में राखी भेजी गई है. इसके अलावा हांगकांग, मस्कट और दुबई में रहने वाले भारतीयों तक गाय के गोबर से बनी राखी पहुंची है. बलवीर सिंह ने बताया कि ये राखी इतनी पसंद की जा रही है कि रक्षाबंधन से पहले ही सभी राखियां बिक चुकी हैं. मुश्किल से 100-150 राखी ही बची हैं.

पौधे के रूप में महकेगी राखी : संस्था से जुड़ी महिला कृपा ने बताया कि गोबर और मुल्तानी मिट्टी के साथ इसमें तुलसी और अश्वगंधा के बीज भी मिलाए गए हैं. इन दोनों पौधों के बीज छोटे होते हैं और आसानी से मिल जाते हैं. रक्षाबंधन के त्यौहार के बाद जब राखी को मिट्टी या जमीन पर छोड़ा जाएगा, तो वहां गाय के गोबर की राखी में मौजूद बीज तुलसी और अश्वगंधा के पौधे के रूप में उग आएंगे. इसकी यह राखी प्रकृति के लिए भी काफी फायदेमंद है.

बलवीर सिंह ने बताया कि राखियों की कीमत 10 रुपए 25 रुपए तक रखी गई है. राखियों से हुई आय से महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं. साथ ही कामधेनु पूजा की थाली भी तैयार की गई है. यह थाली गाय के गोबर से ही तैयार की गई है. इसमें गाय के गोबर से ही निर्मित राखी, दीपक, धूप बत्ती, स्वास्तिक और ऊं को सजाया गया है.

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