अलवरः टाइगर रिजर्व सरिस्का में बसे गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हुए लंबा अरसा बीत चुका है, लेकिन अब तक सभी गांवों का विस्थापन नहीं हो पाया है. बाघों के जंगल से बाहर निकलने का सिलसिला रोकने के लिए सरिस्का प्रशासन अब तीन गांवों के जल्द विस्थापन में जुटा है. इसके लिए सरिस्का ही नहीं जिला प्रशासन ने भी करीब 690 हैक्टेयर भूमि आवंटन का प्रस्ताव तैयार करके अनुमति के लिए राज्य सरकार को भेजा है.
टाइगर रिजर्व सरिस्का के कोर एरिया व आसपास के जंगल में 29 गांव बसे हैं. इन गांवों के विस्थापन का प्रयास सरिस्का प्रशासन की ओर से लंबे समय से किया जा रहा है, लेकिन अभी तक 29 में से 5 गांव ही पूरी तरह से विस्थापित हो सके हैं. गांवों के विस्थापन में देरी का खमियाजा बाघों के सरिस्का से बाहर निकलने की समस्या के रूप में उठाना पड़ा है. इस कारण सरिस्का प्रशासन गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अभी तीन गांवों के जल्द विस्थापन की योजना पर कार्य कर रहा है. सरिस्का प्रशासन का मानना है कि जंगल से तीन गांव जल्द विस्थापित हो पाए तो बाघों को विचरण के लिए बड़ा क्षेत्र मिल सकेगा. वर्तमान में सरिस्का में 42 बाघों का कुनबा है.
तीन गांवों का विस्थापन प्राथमिकता मेंः सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि अभी तीन गांव हरिपुरा, क्रास्का एवं कांकवाड़ी का विस्थापन प्राथमिकता में है. इन गावों के विस्थापित होने पर यहां बाघों को विचरण के लिए बड़ा क्षेत्र मिल सकेगा. इन गांवों के खाली होने पर यहां ग्रास लैंड तैयार किया जा सकेगा. गांवों के विस्थापन के लिए जमीन का आवंटन जल्द होता है तो विस्थापन की प्रक्रिया को गति मिलेगी और बाघों को खुला क्षेत्र मिल सकेगा. इससे उनके जंगल से बाहर निकलने की समस्या से निजात मिल सकेगी.
तीन गांवों के लिए चाहिए जमीनः सरिस्का प्रशासन को तीन गांव हरिपुरा, क्रास्का एवं कांकवाड़ी के विस्थापन के लिए जमीन की जरूरत है. इसके लिए सरिस्का प्रशासन ने करीब 690 हैक्टेयर भूमि आवंटन का प्रस्ताव तैयार करके जिला कलक्टर को भेजा है. वहीं, जिला कलक्टर ने इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजा है. अब सरकार की अनुमति मिलने पर राजस्व विभाग को जमीन का आवंटन करना है.
बार-बार जंगल से बाहर निकल रहे बाघः सरिस्का के जंगल से बार-बार बाघों के बाहर निकलने का सिलसिला थम नहीं रहा है. पिछले कुछ सालो में सरिस्का से चार बाघ बाहर निकल कर अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंच गए. सरिस्का प्रशासन ने मशक्कत करके इनमें से एक बाघ को ट्रंक्यूलाइज्ड करके रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भेजा. वहीं, एक अन्य बाघ को ट्रंक्यूलाइज करके सरिस्का के एनक्लोजर में छोड़ा गया. वहीं, दो बाघ अभी जमवारामगढ़ के जंगल में विचरण कर रहे हैं, इनकी मॉनिटरिंग के लिए टीमें लगी हैं.