जयपुर: जिले का एक छोटा सा गांव बस्सी झाझड़ा मिनी इजरायल के नाम से जाना जाता है. इस गांव के किसान खेती की इजरायल तकनीक को अपनाकर प्रगतिशील बन गए हैं और खेती से होने वाली सब्जियों से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. इतना ही नहीं 11 साल पहले इस तकनीक को अपनाने वाले 40 किसान ऐसे हैं जो करोड़पति बन चुके हैं. किसान पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस से पानी की बूंद बूंद को सहेज कर सब्जियों की खेती कर रहे हैं. उनकी इस तकनीक को देखने देश भर से कृषि वैज्ञानिक, किसान और कृषि छात्र-छात्राएं भी पहुंचकर इस तकनीक का ज्ञान ले रहे हैं. हाल ही में देश भर से 74 कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति भी यहां इस तकनीक को देखने पहुंचे और किसानों की प्रशंसा की.
खेती के मामले में इजरायल को दुनिया का सबसे हाईटेक देश माना जाता है. वहां रेगिस्तान में ओस से सिंचाई होती है. दीवारों पर फसल उगाई जाती है, जो भारत के लोगों के लिए किसी जमाने में कल्पना से कम नहीं थी, लेकिन अब यह हकीकत में तब्दील होती जा रही है. इजरायल की तर्ज पर राजस्थान के कुछ किसानों ने खेती की शुरूआत की और आज इस गांव की सभी किसान प्रगतिशील किसान बनकर लाखों रुपए कमा रहे हैं.
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किसान खेमाराम गांव में लेकर आए तकनीक इजरायल: इस तकनीक को गांव में लाने वाले खेमाराम साल 2012 में राजस्थान सरकार के सहयोग से इजरायल में खेती सीखने गए थे. वहां पर कम पानी के बावजूद कंट्रोल एन्वायरनमेंट में पॉलीहाउस की खेती को देखा और समझा. अपने गांव जाकर खेमाराम ने इजराइल तकनीक से खेती की शुरुआत की और लाखों का मुनाफा हुआ. देखते ही देखते पूरे गांव में 2000 से ज्यादा पॉली हाउस लग चुके हैं और सैकड़ों किसान इनमें खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं.
11 साल में 40 किसान बने करोड़पति: गांव में इजरायल तकनीक से खेती और तरीके बदलने के बाद यहां के किसानों की किस्मत बदल चुकी है. चालीस किसान ऐसे हैं, जो 11 सालों में करोड़पति बन चुके है. गांव के 6 किलोमीटर एरिया में 2000 से ज्यादा पॉलीहाउस बने हुए है. गांव में कई किसानों ने तो बिना सरकार की से सब्सिडी लिए ही एक खेत में 5 से 10 पॉली हाउस बना रखे हैं और कई किसान सरकार के द्वारा मिलने वाली सब्सिडी से पॉली हाउस लगाकर सब्जियों की अच्छी पैदावार कर रहे हैं.
खीरे का हब बना इलाका: पॉलीहाउस में सबसे ज्यादा उन्नत किस्म का विदेशी खीरा उगा रहे हैं. खीरे का बाजार आसानी से मिल जाता है और इसका उत्पादन भी खूब होता है, इसलिए ज्यादातर किसानों का फोकस खीरा पर ही है. खीरा को जयपुर की मुहाना मंडी में बेचा जाता है एक पॉलीहाउस में साल में तीन फसल ले ली जाती है. मुनाफे का गणित इसी से तय होता है, अब तो कई किसानों ने पॉलीहाउस को ठेके पर देकर पैसा कमाने का तरीका निकाल लिया है. यहां के किसानों ने बताया कि एक पॉली हाऊस से सालाना 10 लाख रुपए की आमदनी होती है.