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Rajasthan: कांग्रेस से 29 साल के युवा चेहरे को चौरासी से मैदान में उतारा, सांसरपुर से सरपंच है महेश, भगोरा का टिकट काटा

डूंगरपुर के चौरासी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने युवा चेहरे महेश रोत को उतारा है. जानिए कौन हैं महेश रोत...

महेश रोत चौरासी से कांग्रेस प्रत्याशी
महेश रोत चौरासी से कांग्रेस प्रत्याशी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Updated : 56 minutes ago

डूंगरपुर : चौरासी विधानसभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने इस बार 29 साल के युवा चेहरे महेश रोत को मैदान में उतारा है. महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच हैं. इससे पहले उदयपुर कॉलेज में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस के नेता रह चुके हैं. भगोरा परिवार का टिकट काटकर पहली बार महेश रोत को चुनावी मैदान में उतारा है. चौरासी समेत प्रदेश के सभी 7 विधानसभा उपचुनावों को लेकर नामांकन की आखरी तारीख 25 अक्टूबर है.

विधायक राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी. भारत आदिवासी पार्टी ने सबसे पहले अनिल कटारा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. अब कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. यूथ कांग्रेस के नेता महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच हैं. महेश रोत की चौरासी क्षेत्र में युवा वर्ग के बीच मजबूत पकड़ है. 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने ताराचंद भगोरा को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे हार गए थे. इस बार भी भगोरा परिवार से भतीजा-बहु निमिषा भगोरा और रूपचंद भगोरा टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने भगोरा परिवार का टिकट काटकर युवा चेहरे पर भरोसा किया है.

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23 साल की उम्र में पहली बार छात्रसंघ अध्यक्ष बने :महेश रोत सांसरपुर पंचायत के कजड़िया फला के रहने वाले हैं. पिता स्वर्गीय अमृतलाल रोत भी 1995 - 2000 में जिला परिषद सदस्य रहे हैं. उन्होंने राजनीति विज्ञान से एमए की है. कॉलेज में पढ़ाई के समय से ही कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े और कांग्रेस के स्टूडेंट मोर्चा एनएसयूआई में शामिल हुए. 2017-18 में उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया कला महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. इसके बाद 2018 में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में एनएसयूआई से केंद्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी भी रहे. 2019 में डूंगरपुर एनएसयूआई के संरक्षक रहे. 2022 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव भी रहे हैं. अभी संसारपुर पंचायत के सरपंच हैं.

बीजेपी ने अभी तक नहीं की घोषणा :चौरासी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, जबकि प्रदेश की अन्य सभी 6 सीटों पर भाजपा अपने प्रत्याशी उतार चुकी है. बीजेपी इस सीट पर अपना प्रत्याशी चयन में कई समीकरण साधने का प्रयास कर रही है. 2023 विधानसभा चुनावों में भाजपा से सुशील कटारा प्रत्याशी थे जो 69 हजार वोट से हार गए थे. इसके बाद भाजपा के लिए ये चुनाव बड़ी चुनौती है.

राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा पड़ोसी राज्य गुजरात से सटी हुई है. चौरासी के कई गांव डूंगरपुर मुख्यालय की जगह गुजरात में अपने कामकाज को लेकर आते जाते हैं. इस सीट पर 70 फीसदी एसटी वोटर्स हैं, जबकि 10 फीसदी ओबीसी और 20 फीसदी जनरल, अल्पसंख्यक और एससी वोटर्स हैं. 1967 से लेकर आज तक इस सीट पर 12 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें से 6 बार कांग्रेस ही इस सीट पर काबिज रही. यानी ये कहें कि चौरासी विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत रही है, लेकिन पिछली 2 बार से ये सीट राजकुमार रोत के कब्जे में रही. 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और इसके बाद 2023 में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) से विधायक बने. दूसरी बार 69 हजार के बड़े अंतर से राजकुमार रोत जीते. इससे पहले कभी किसी ने इतने बड़े मार्जिन से जीत हासिल नहीं की थी, जबकि भाजपा केवल 3 बार ही इस सीट पर जीत हासिल कर सकी है. वहीं, 1 बार जेएनपी ने जीत हासिल की. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत आदिवासी पार्टी की रहेगी.

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कब कौन रहा विधायक :

वर्ष विधायक पार्टी
1967 रतनलाल कांग्रेस
1972 रमेशचंद्र कांग्रेस
1977 हीरालाल जेएनपी
1980 गोविंद आमलिया कांग्रेस
1985 शंकरलाल अहारी कांग्रेस
1990 जीवराम कटारा भाजपा
1998 शंकरलाल अहारी कांग्रेस
2003 सुशील कटारा भाजपा
2008 शंकरलाल अहारी कांग्रेस
2013 सुशील कटारा भाजपा
2018 राजकुमार रोत बीटीपी
2023 राजकुमार रोत बीएपी

भाजपा से पहले पिता ओर फिर बेटे को मिली विरासत :चौरासी विधानसभा सीट पर 1967 से लेकर 24 साल बाद 1990 में पहली बार भाजपा को जीत मिली. उस पर भाजपा से जीवराम कटारा ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2003 में इसी सीट पर जीवराम कटारा के बेटे सुशील कटारा को मौका मिला और जीते. हालांकि, 2008 में वो हार गए. 2013 में सुशील कटारा को फिर से जीत मिली. ऐसे में 3 बार बीजेपी जीती, लेकिन ये सीट पिता पुत्र के पास ही रही.

कांग्रेस के शंकरलाल अहारी सबसे ज्यादा 3 बार विधायक रहे :वर्ष 1967 से लेकर 2008 सबसे ज्यादा 6 बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की. इसमें सबसे ज्यादा शंकरलाल अहारी 3 बार विधायक रहे. 1985, 1998 और 2008 में शंकरलाल अहारी जीते, लेकिन 2008 के बाद कांग्रेस इस परपंरागत सीट को कभी जीत नहीं पाई.

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पिछले 4 चुनावों में हार जीत का गणित

वर्ष 2023 मेंहार जीत का अंतर :69 हजार 166 वोट

पार्टी प्रत्याशी वोट मिले वोट शेयर (%)
बीएपी राजकुमार रोत 1 लाख 11 हजार 150 53.92
भाजपा सुशील कटारा 41 हजार 984 20.37

वर्ष 2018 चुनाव में हार जीत का अंतर :12 हजार 934 वोट

पार्टी प्रत्याशी वोट मिले वोट शेयर (%)
बीटीपी राजकुमार रोत 64 हजार 119 38.22
भाजपा सुशील कटारा 51 हजार 185 30.51

वर्ष 2013 चुनाव मेंहार जीत का अंतर : 20 हजार 313 वोट

पार्टी प्रत्याशी वोट मिले वोट शेयर (%)
भाजपा सुशील कटारा 72 हजार 24 50.14
कांग्रेस महेंद्र बरजोड़ 51 हजार 934 36.07

वर्ष 2008 चुनाव में हार जीत का अंतर : 6 हजार 214 वोट

पार्टी प्रत्याशी वोट मिले वोट शेयर (%)
कांग्रेस शंकरलाल अहारी 46 हजार 23 42.49
भाजपा सुशील कटारा 39 हजार 809 36.76
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