भिलाई\दुर्ग:देश भर के इस्कॉन मंदिरों में बांग्लादेश के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कीर्तन किए गए. सेक्टर 6 इस्कॉन मंदिर में इस्कॉन भक्तों ने कीर्तन किया. हरे कृष्ण मूवमेंट भिलाई रायपुर के अध्यक्ष और अक्षय पात्र भिलाई के क्षेत्रीय अध्यक्ष व्योमपद दास ने कहा कि कुछ दिनों से बांग्लादेश से हर रोज खबरें हो रही है कि हिंदू समाज और इस्कॉन के विभिन्न संतों को बंदी बनाया जा रहा है. उनके ऊपर प्रहार किया जा रहा है. जिससे इस्कॉन से जुड़े लोग चिंतित है.
भिलाई इस्कॉन टेंपल में कीर्तन: व्योमपद दास ने बताया कि हम शांति में आस्था रखने वाले लोग है. राजनीतिक लोग नहीं है.हमारी आध्यात्मिक संस्था है. हमारी संस्था का उद्देश्य है कि भगवत गीता, भागवत और हमारे वैदिक शास्त्रों के संदेशों को लोगों तक पहुंचाया जाए. भगवान के दिव्य नाम का कीर्तन किया जाए. हम वहीं तक सीमित है.
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई का विरोध (ETV BHARAT)
हम अपने घर में अपने समाज में कीर्तन कर रहे हैं, आध्यात्मिक विषय पर चर्चा कर रहे हैं तो इसमें उन्हें क्या आपत्ति है. सब का अपनी निजी स्वतंत्र है, उस पर यदि प्रहार किया जाए तो क्या होगा: व्योमपद दास, अध्यक्ष, हरे कृष्ण मूवमेंट
बांग्लादेश में हिंदुओं और इस्कॉन की रक्षा करने की मांग: व्योमपद दास ने आगे बताया कि हरे कृष्ण मिशन से जुड़े लोग हजारों की संख्या में बांग्लादेश में है. हमारे सनातन धर्म की प्रशस्त और ताकतवर शक्ति बांग्लादेश में हैं. बांग्लादेश में वैष्णव संप्रदाय का बहुत बड़ा हिस्सा बांग्लादेश से उत्पन्न हुआ है. 500 सालों से ये संप्रदाय चल रहा है. उस देश से हमारे संस्था के आचार्य आए हैं.
भिलाई इस्कॉन मंदिर में कीर्तन (ETV Bharat Chhattisgarh)
व्योमपद दास ने बताया कि कुछ कट्टरपंथियों का हल्लाबोल है. वे नहीं चाहते हैं कि हमारी हिंदू संस्था वहां प्रचार करें और एक संगठन के रूप में बनी रहे. संगठन में शक्ति है, एक आदमी कुछ नहीं कर सकता. वो चाहते हैं हिंदू एक हो कर ना रहे वो बंटे लेकिन हम नहीं बंट पा रहे हैं.
हरे कृष्ण मूवमेंट भिलाई रायपुर के अध्यक्ष ने सरकार से मांग है कि बांग्लदेश सरकार को वो सतर्क करें. उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें हमारी संस्था और हिंदू समाज की स्वतंत्रता को खत्म करने की कोशिश ना करें. सरकार से मांग है कि हमारे पड़ोसी देशों में हिन्दू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करें. उन्होंने कहा कि पिछले 15-20 साल से बांग्लादेश में सनातनियों पर इस तरह के हमले हो रहे हैं.