नई दिल्ली : केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने उसके सेवानिवृत्त खोजी व हमलावर कुत्तों को आम लोगों को गोद देने के लिए पहली बार ऑनलाइन सेवा शुरू की है जिसका मकसद देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल के श्वानों को सुखद जीवन देना है.
यह शायद पहली बार है कि किसी सुरक्षा बल ने अपने प्रशिक्षित कुत्तों को आम लोगों को गोद देने के लिए इस तरह की पेशकश की है. दरअसल, इस तरह के कदमों को लेकर यह आशंका रहती है कि राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा इन अत्यधिक कुशल और प्रशिक्षित कुत्तों का दुरुपयोग न किया जाए. अब तक केंद्रीय बल और राज्य पुलिस अपने सेवानिवृत्त कुत्तों को देखभाल के लिए पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) या प्रतिष्ठित संगठनों को सौंपते रहे हैं.
चार नस्लों - बेल्जियन शेफर्ड मालिनोइस, जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर और मुधोल हाउंड - के 30 से अधिक कुत्तों को अब कठोर प्रक्रिया के माध्यम से गोद लिया जा सकता है. इस प्रक्रिया की निगरानी बेंगलुरु के पास स्थित सीआरपीएफ का विशेष श्वान प्रजनन एवं प्रशिक्षण स्कूल (डीबीटीएस) द्वारा की जाएगी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आठ-12 वर्ष की आयु वाले इन कुत्तों ने देश भर में नक्सल-विरोधी, उग्रवाद-विरोधी और आतंकवाद-रोधी अभियानों में सैकड़ों अभियानों में मदद की है तथा आईईडी या माओवादियों या आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमलों से अनेक जवानों की जिंदगी बचाई है.
बालू, स्वीटी, वीरू, मोबी, कोको, स्ट्रोल और उनके साथियों को विभिन्न खोजी और लड़ाकू गतिविधियों जैसे विस्फोटकों का पता लगाना और उन पर नज़र रखना, कर्मियों के साथ गश्त और हमला करने आदि में प्रशिक्षित किया गया है.
अधिकारी ने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया निःशुल्क है और गोद लेने वाला व्यक्ति बल की वेबसाइट पर जाकर इन कुत्तों के बारे में बुनियादी जानकारी और तस्वीरें एकत्र कर सकता है. उनके मुताबिक, उसे एक फॉर्म भरना होगा जिसमें उसे सेवानिवृत्त कुत्ते को गोद लेने की वजह और मकसद भी बताना होगा.
अधिकारी ने बताया कि शख्स और कुत्ते की मुलाकात उस शिविर में कराए जाएगी जहां सेवानिवृत्त श्वान को रखा गया है. उन्होंने कहा, “हमने इन चयनित श्वानों को कुत्ते के व्यवहार विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित कराया है ताकि वे घर के माहौल में ढल सकें.” इन “सॉलजर बडीज़” का संक्षिप्त परिचय, चित्र और प्रशस्ति पत्र सीआरपीएफ पोर्टल पर डाला गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि गोद लेने वाला व्यक्ति इन श्वानों की गरिमा, उचित तत्परता और करुणा के साथ देखभाल करेगा.
बल श्वानों को गोद देने की प्रक्रिया के तहत इन्हें गोद लेने वाले व्यक्ति के साथ “कानूनी रूप से बाध्यकारी” समझौता करेगा और इन कुत्तों के के.सी.आई. (भारतीय केनेल क्लब) पंजीकरण प्रमाण-पत्र, चिकित्सा और टीकाकरण रिकॉर्ड तथा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रदान करेगा. सीआरपीएफ के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मूसा दिनाकरण ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि लोगों को बल के सेवानिवृत्त कुत्तों को गोद देने की पहल का मकसद यह है कि ‘श्वान सैनिकों’ को नया खुशहाल जीवन मिले.
गोद लेने की प्रक्रिया की शर्तों में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इन श्वानों के साथ कोई "दुर्व्यवहार" नहीं किया जाएगा और उन्हें बेचा नहीं जाए. साथ में यह भी साफ किया गया है कि धन कमाने के किसी भी उद्देश्य से इनका इस्तेमाल नहीं किया जाए, या किसी व्यक्ति के खिलाफ तैनात नहीं किया जाए. केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सीआरपीएफ में करीब सवा तीन लाख कर्मी हैं.
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