जम्मू: डोडा जिले की दुर्गम पहाड़ियों में, एक ऐसा पर्यटन स्थल आज भी गुमनामी के अंधेरे में कराह रहा है, जो अपनी अप्रतिम सुंदरता से किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है. लाल द्रमन, जिसका अर्थ है 'लाल घास का मैदान', अपनी मोहक प्राकृतिक छटा के बावजूद, पर्यटकों को लुभाने की अपार क्षमता रखता है, लेकिन अपेक्षित ध्यान और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में, यह आज भी अपनी वास्तविक क्षमता से कोसों दूर है.
लगभग 2300 मीटर (8900 फीट) की ऊंचाई पर स्थित, यह मनोरम घास का मैदान साजन गांव के निकट, डोडा जिला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. एक समय था जब लाल द्रमन का नाम गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग, पटनीटॉप और सनासर जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के साथ राज्य की पाठ्यपुस्तकों में शान से लिया जाता था. दुर्भाग्यवश, जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के कारण इस क्षेत्र में विकास कार्य ठप हो गए और यह धीरे-धीरे पर्यटन विभाग की नजरों से ओझल हो गया.
पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में प्रयास
हालांकि, हाल के वर्षों में जिला प्रशासन ने इस खूबसूरत जगह को फिर से प्रकाश में लाने और पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में प्रयास किए हैं. गर्मियों में लाल द्रमन मेले जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि पर्यटकों को इस मनोरम स्थल की सुंदरता का अनुभव हो सके. हाल ही में, यहां शीतकालीन महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें जम्मू के संभागीय आयुक्त रमेश कुमार, डीआईजी डोडा-किश्तवाड़-रामबन रेंज श्रीधर पाटिल, डीसी डोडा हरविंदर सिंह, एसएसपी डोडा संदीप कुमार मेहता और प्रशासन, पुलिस और सेना के कई शीर्ष अधिकारी शामिल हुए. मशहूर अभिनेता राजा सरफराज ने भी महोत्सव में अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
प्रशासन की ओर से बनाई गई जंगल हट
इन प्रयासों के बावजूद, लाल द्रमन को अभी भी पर्यटन के मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने के लिए एक लंबा सफर तय करना है. इस क्षेत्र में पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. होटलों, हट्स, शौचालयों और रेस्तरां जैसी सुविधाओं का अभाव होने के कारण, यहां उचित कैंपिंग सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. प्रशासन की ओर से बनायी गयी एक जंगल हट है, लेकिन यह केवल आधिकारिक आगंतुकों के लिए ही उपलब्ध है. हाल ही में पर्यटन विभाग की ओर से एक और हट का निर्माण किया गया है, लेकिन ये सुविधाएं पर्यटकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
डोडा के डिप्टी कमिश्नर हरविंदर सिंह का कहना है, "सरकार क्षेत्र का विकास करके अपना काम कर रही है." उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि घास के मैदान तक सड़क का निर्माण अभी भी अधूरा है और लोगों को वहां पहुंचने के लिए आधा घंटा पैदल चलना पड़ता है. उन्होंने स्थानीय लोगों से सड़कों के निर्माण के लिए जमीन देने में सहयोग करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती, जब तक कि स्थानीय लोग पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए खुद आगे नहीं आते. डीसी ने यह भी चिंता व्यक्त की कि डोडा शहर में पर्यटकों के लिए अच्छे होटल नहीं हैं और लाल द्रमन में स्थानीय लोगों को होमस्टे जैसी सेवाएं शुरू करनी होंगी.
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