शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने जेओए (लाइब्रेरियन) के खाली पड़े पदों को न भरने पर कड़ा संज्ञान लिया है. कोर्ट ने पर्याप्त संख्या वाले उन सभी स्कूलों की सूची तलब की है जिनमें जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (लाइब्रेरियन) अथवा असिस्टेंट लाइब्रेरियन के पद खाली पड़े हैं.
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार को 16 सितम्बर तक यह बताने के आदेश दिए कि कब तक इन खाली पदों को भर लिया जाएगा. इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट को सरकार ने 14 मई की सुनवाई के दौरान बताया था कि जेओए (लाइब्रेरियन) के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया कोड ऑफ कंडक्ट खत्म होते ही शुरू कर दी जाएगी.
सरकार की ओर से हाईकोर्ट को यह जानकारी देते हुए बताया गया था कि इन पदों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियम 6 दिसंबर 2023 को बना लिए थे. कोड ऑफ कंडक्ट खत्म होने के बावजूद अभी भी खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू न करने पर हाईकोर्ट ने उपरोक्त जानकारी तलब की है.
इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (लाइब्रेरियन) के नाम से भरे जाने वाले पदों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को अंतिम रूप देने के आदेश दिए थे. पहले जिन पदों को असिस्टेंट लाइब्रेरियन के नाम से जाना जाता था उनके स्थान पर नए कैडर के जेओए (लाइब्रेरियन) के करीब 2000 पद शिक्षा विभाग में खाली पड़े हैं.
न्यू कैडर के इन पदों के लिए भर्ती नियम नए सिरे से बना दिए गए हैं. तातापानी निवासी प्रताप सिंह ठाकुर की ओर से मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. सरकारी स्कूलों में इन पदों के खाली रहते बच्चे निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं.
यह भी आरोप लगाया गया है कि गरीब लोग निजी स्कूलों की फीस नहीं दे पाते और सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी न होने की वजह से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अच्छे से नहीं कर पाते. पत्र के माध्यम से गुहार लगाई गई है कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट लाइब्रेरियन के पद भरने के आदेश दिए जाएं.
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