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माघ पूर्णिमा पर ऐसे करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा, जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि - MAGH PURNIMA 2025

पूर्णिमा तिथि का हिंदुओं में अत्यधिक धार्मिक महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु, चंद्र देव और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है.

MAGH PURNIMA 2025
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी (GETTY IMAGE)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 4, 2025, 1:00 PM IST

हैदराबाद: ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया गया है. माना जाता है कि इस दिन जल और प्रकृति में एक अद्भुत ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो मानव जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. माघ पूर्णिमा का तो विशेष रूप से धार्मिक महत्व है. इस वर्ष माघ पूर्णिमा 2025 और भी विशेष बन गई है क्योंकि यह महाकुंभ के शाही स्नान के साथ आ रही है.

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं. स्नान के बाद पवित्र नदी में खड़े होकर सूर्य देव को जल का अर्घ्य देने से उनकी कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.

माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
माघ पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र माना जाता है. यह माना जाता है कि जो व्यक्ति प्रयाग में माघ पूर्णिमा के समय संगम में स्नान करता है, उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है.

पृथ्वी पर देवताओं का आगमन
पौराणिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवगण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं. इसलिए, इस दिन की गई पूजा, व्रत और दान का विशेष फल प्राप्त होता है. दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

माघ पूर्णिमा 2025: विशेष संयोग
इस बार माघ पूर्णिमा महाकुंभ में शाही स्नान के साथ आ रही है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इस शुभ संयोग में स्नान और दान करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होंगे. इस दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा.

पुण्य अर्जित करने के उपाय
यदि आप पुण्य अर्जित करना चाहते हैं, तो माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें. भगवान विष्णु को इस तिथि पर विशेष रूप से पूजा जाता है क्योंकि यह शुभता और समृद्धि लाता है.

चंद्र देव की पूजा
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की पूजा का भी विशेष विधान है. चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. माना जाता है कि चंद्रमा की शीतलता मन को शांत करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है.

माघ पूर्णिमा 2025: तिथि और समय

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 फरवरी 2025, शाम 06.55 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025, शाम 07.22 बजे
  • व्रत और पूजा तिथि: 12 फरवरी 2025 (उदयातिथि के अनुसार)

माघ पूर्णिमा पूजा विधि

  • स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
  • संकल्प: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें.
  • प्रतिमा स्थापना: पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें.
  • श्रृंगार: प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित करें और मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.
  • आरती: देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें. आरती करते समय विष्णु जी के मंत्रों का जाप और चालीसा का पाठ करें.
  • कथा श्रवण: विधिपूर्वक व्रत कथा का पाठ करें या सुनें.
  • भोग: अंत में फल और मिठाई का भोग लगाएं.
  • प्रार्थना और प्रसाद वितरण: जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं. ETV BHARAT यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है.

यह भी पढ़ें- आज का राशिफल: अधिकारियों का मिलेगा सहयोग, सैलरी भी बढ़ेगी, मित्रों से होगा लाभ

हैदराबाद: ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया गया है. माना जाता है कि इस दिन जल और प्रकृति में एक अद्भुत ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो मानव जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. माघ पूर्णिमा का तो विशेष रूप से धार्मिक महत्व है. इस वर्ष माघ पूर्णिमा 2025 और भी विशेष बन गई है क्योंकि यह महाकुंभ के शाही स्नान के साथ आ रही है.

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं. स्नान के बाद पवित्र नदी में खड़े होकर सूर्य देव को जल का अर्घ्य देने से उनकी कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.

माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
माघ पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र माना जाता है. यह माना जाता है कि जो व्यक्ति प्रयाग में माघ पूर्णिमा के समय संगम में स्नान करता है, उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है.

पृथ्वी पर देवताओं का आगमन
पौराणिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवगण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं. इसलिए, इस दिन की गई पूजा, व्रत और दान का विशेष फल प्राप्त होता है. दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

माघ पूर्णिमा 2025: विशेष संयोग
इस बार माघ पूर्णिमा महाकुंभ में शाही स्नान के साथ आ रही है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इस शुभ संयोग में स्नान और दान करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होंगे. इस दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा.

पुण्य अर्जित करने के उपाय
यदि आप पुण्य अर्जित करना चाहते हैं, तो माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें. भगवान विष्णु को इस तिथि पर विशेष रूप से पूजा जाता है क्योंकि यह शुभता और समृद्धि लाता है.

चंद्र देव की पूजा
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की पूजा का भी विशेष विधान है. चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. माना जाता है कि चंद्रमा की शीतलता मन को शांत करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है.

माघ पूर्णिमा 2025: तिथि और समय

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 फरवरी 2025, शाम 06.55 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025, शाम 07.22 बजे
  • व्रत और पूजा तिथि: 12 फरवरी 2025 (उदयातिथि के अनुसार)

माघ पूर्णिमा पूजा विधि

  • स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
  • संकल्प: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें.
  • प्रतिमा स्थापना: पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें.
  • श्रृंगार: प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित करें और मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.
  • आरती: देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें. आरती करते समय विष्णु जी के मंत्रों का जाप और चालीसा का पाठ करें.
  • कथा श्रवण: विधिपूर्वक व्रत कथा का पाठ करें या सुनें.
  • भोग: अंत में फल और मिठाई का भोग लगाएं.
  • प्रार्थना और प्रसाद वितरण: जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं. ETV BHARAT यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है.

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