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सरकारी जमीन से हटाएं हर तरह के अवैध कब्जे, HC ने सभी विभागों को दिए कड़े निर्देश, एक महीने में काटें बिजली पानी कनेक्शन - ILLEGAL ENCROACHMENT ON GOVT LAND

हिमाचल हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 27, 2025, 9:45 PM IST

शिमला: सरकारी जमीन पर किसी भी तरह के अवैध कब्जे सहन नहीं किये जाएंगे. हिमाचल हाई कोर्ट ने इस संदर्भ में सरकार के सभी विभागों को कड़े निर्देश जारी किये हैं. हाईकोर्ट ने किसी भी किस्म की सरकारी भूमि को अवैध कब्जा मुक्त बनाने के लिए सभी सरकारी विभागों व प्राधिकरणों के संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को सख्त आदेश जारी किए हैं.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बीसी नेगी की खंडपीठ ने विशेष रूप से राजस्व, वन विभाग के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि भविष्य में बेदखल किए जा चुके अतिक्रमणकारियों सहित किसी अन्य व्यक्ति द्वारा सरकारी वन भूमि, सार्वजनिक सड़कों व सार्वजनिक रास्तों पर कोई नया अतिक्रमण न हो.

हाईकोर्ट ने वन रक्षक, पटवारी और कार्य निरीक्षक को आदेश दिए कि वह अपने संबंधित बीट, क्षेत्र, अधिकार क्षेत्र में सरकारी वन भूमि, सार्वजनिक सड़क व मार्ग पर सभी मौजूदा और किसी भी नए अतिक्रमण की सूचना संबंधित डिप्टी रेंजर, कानूनगो व कनिष्ठ अभियंता को दें. साथ ही ऐसी सूचना की प्रति संबंधित प्रभागीय वन अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार व सहायक अभियंता को बिना किसी देरी के भेजें. इसके अलावा संबंधित अधिकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए कानून के अनुसार तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है.

ऐसा इसलिए ताकि सरकारी, वन भूमि व सार्वजनिक सड़क को अतिक्रमण से बचाया जा सके. कोर्ट ने पूरे प्रदेश में वन रक्षकों को प्रत्येक माह के पहले सप्ताह के दौरान डिप्टी रेंजरों के माध्यम से संबंधित प्रभागीय वन अधिकारियों को लिखित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं. रिपोर्ट में उनकी बीट में सरकारी, वन भूमि पर अतिक्रमण का ब्यौरा जरूरी होना चाहिए.

कोर्ट ने क्षेत्र में तैनात प्रत्येक पटवारी को प्रत्येक माह के पहले सप्ताह के दौरान संबंधित तहसीलदार व नायब तहसीलदार को फील्ड कानूनगो के माध्यम से लिखित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत कर अपने पटवार सर्कल में सरकारी व वन भूमि पर अतिक्रमण का ब्यौरा प्रस्तुत करने के आदेश दिए. कोर्ट ने संबंधित क्षेत्र में तैनात प्रत्येक कार्य निरीक्षक को भी प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में जूनियर इंजीनियर के माध्यम से संबंधित सहायक अभियंता को लिखित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत कर सार्वजनिक सड़कों व सार्वजनिक रास्तों पर अतिक्रमण का विवरण देने के आदेश जारी किए.

कोर्ट ने प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी, सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी व सहायक अभियंता को प्रत्येक वर्ष जून और दिसंबर महीने के अंतिम तीन कार्य दिवसों के दौरान अतिक्रमण के नए मामलों की संख्या, उन पर की गई कार्रवाई, पिछले लंबित मामलों की स्थिति के संबंध में अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारी को प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए.

कोर्ट ने पंचायत सचिवों सहित पंचायत के पदाधिकारियों को भी अतिक्रमण के लिए व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण के मामलों की रिपोर्ट, संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी व सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी को लिखित रूप में संबंधित डीसी को ऐसी सूचना की प्रति के पृष्ठांकन के साथ देने के आदेश दिए.

कोर्ट ने सरकार को संबंधित अधिनियम व नियमों में उचित संशोधन करके कानून में उपयुक्त परिवर्तन करने का भी निर्देश दिया ताकि पंचायत सचिव सहित पंचायत के पदाधिकारी को ऐसा कर्तव्य सौंपा जा सके और उल्लंघन के परिणाम भी भुगतने पड़ें. कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड और जल शक्ति विभाग को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी भूमि पर बनाए गए अवैध निर्माणों को कोई बिजली या पानी का कनेक्शन प्रदान नहीं किया जाए, चाहे उस निर्माण की प्रकृति अस्थायी या साधारण टिन की हो.

यदि ऐसे अवैध ढांचे को बिजली और पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है, तो उन्हें एक महीने का नोटिस देकर ऐसे कनेक्शन काटने के लिए उचित कार्रवाई शुरू करने को कहा गया है. कोर्ट ने राजस्व, वन और लोक निर्माण विभागों को अतिक्रमणकारियों द्वारा न केवल पेड़ों को काटने, बल्कि फसल बोने और बाग लगाने के माध्यम से भूमि का उपयोग करने से अर्जित अनुचित लाभ की वसूली की कार्यवाही शुरू करने के आदेश भी दिए. हाई कोर्ट ने बेदखली की कार्यवाही को अंतिम रूप देने के बाद किसी भी अतिक्रमणकारी को सक्षम न्यायालय की अनुमति के बिना अतिक्रमित भूमि में प्रवेश करने की अनुमति न देने के आदेश भी जारी किए.

ये भी पढ़ें: अगर आपके पास है लकड़ी काटने का आरा तो देनी होगी सूचना, अवैध कटान को लेकर अलर्ट हुआ वन विभाग

शिमला: सरकारी जमीन पर किसी भी तरह के अवैध कब्जे सहन नहीं किये जाएंगे. हिमाचल हाई कोर्ट ने इस संदर्भ में सरकार के सभी विभागों को कड़े निर्देश जारी किये हैं. हाईकोर्ट ने किसी भी किस्म की सरकारी भूमि को अवैध कब्जा मुक्त बनाने के लिए सभी सरकारी विभागों व प्राधिकरणों के संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को सख्त आदेश जारी किए हैं.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बीसी नेगी की खंडपीठ ने विशेष रूप से राजस्व, वन विभाग के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि भविष्य में बेदखल किए जा चुके अतिक्रमणकारियों सहित किसी अन्य व्यक्ति द्वारा सरकारी वन भूमि, सार्वजनिक सड़कों व सार्वजनिक रास्तों पर कोई नया अतिक्रमण न हो.

हाईकोर्ट ने वन रक्षक, पटवारी और कार्य निरीक्षक को आदेश दिए कि वह अपने संबंधित बीट, क्षेत्र, अधिकार क्षेत्र में सरकारी वन भूमि, सार्वजनिक सड़क व मार्ग पर सभी मौजूदा और किसी भी नए अतिक्रमण की सूचना संबंधित डिप्टी रेंजर, कानूनगो व कनिष्ठ अभियंता को दें. साथ ही ऐसी सूचना की प्रति संबंधित प्रभागीय वन अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार व सहायक अभियंता को बिना किसी देरी के भेजें. इसके अलावा संबंधित अधिकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए कानून के अनुसार तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है.

ऐसा इसलिए ताकि सरकारी, वन भूमि व सार्वजनिक सड़क को अतिक्रमण से बचाया जा सके. कोर्ट ने पूरे प्रदेश में वन रक्षकों को प्रत्येक माह के पहले सप्ताह के दौरान डिप्टी रेंजरों के माध्यम से संबंधित प्रभागीय वन अधिकारियों को लिखित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं. रिपोर्ट में उनकी बीट में सरकारी, वन भूमि पर अतिक्रमण का ब्यौरा जरूरी होना चाहिए.

कोर्ट ने क्षेत्र में तैनात प्रत्येक पटवारी को प्रत्येक माह के पहले सप्ताह के दौरान संबंधित तहसीलदार व नायब तहसीलदार को फील्ड कानूनगो के माध्यम से लिखित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत कर अपने पटवार सर्कल में सरकारी व वन भूमि पर अतिक्रमण का ब्यौरा प्रस्तुत करने के आदेश दिए. कोर्ट ने संबंधित क्षेत्र में तैनात प्रत्येक कार्य निरीक्षक को भी प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में जूनियर इंजीनियर के माध्यम से संबंधित सहायक अभियंता को लिखित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत कर सार्वजनिक सड़कों व सार्वजनिक रास्तों पर अतिक्रमण का विवरण देने के आदेश जारी किए.

कोर्ट ने प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी, सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी व सहायक अभियंता को प्रत्येक वर्ष जून और दिसंबर महीने के अंतिम तीन कार्य दिवसों के दौरान अतिक्रमण के नए मामलों की संख्या, उन पर की गई कार्रवाई, पिछले लंबित मामलों की स्थिति के संबंध में अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारी को प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए.

कोर्ट ने पंचायत सचिवों सहित पंचायत के पदाधिकारियों को भी अतिक्रमण के लिए व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण के मामलों की रिपोर्ट, संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी, सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी व सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी को लिखित रूप में संबंधित डीसी को ऐसी सूचना की प्रति के पृष्ठांकन के साथ देने के आदेश दिए.

कोर्ट ने सरकार को संबंधित अधिनियम व नियमों में उचित संशोधन करके कानून में उपयुक्त परिवर्तन करने का भी निर्देश दिया ताकि पंचायत सचिव सहित पंचायत के पदाधिकारी को ऐसा कर्तव्य सौंपा जा सके और उल्लंघन के परिणाम भी भुगतने पड़ें. कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड और जल शक्ति विभाग को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी भूमि पर बनाए गए अवैध निर्माणों को कोई बिजली या पानी का कनेक्शन प्रदान नहीं किया जाए, चाहे उस निर्माण की प्रकृति अस्थायी या साधारण टिन की हो.

यदि ऐसे अवैध ढांचे को बिजली और पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है, तो उन्हें एक महीने का नोटिस देकर ऐसे कनेक्शन काटने के लिए उचित कार्रवाई शुरू करने को कहा गया है. कोर्ट ने राजस्व, वन और लोक निर्माण विभागों को अतिक्रमणकारियों द्वारा न केवल पेड़ों को काटने, बल्कि फसल बोने और बाग लगाने के माध्यम से भूमि का उपयोग करने से अर्जित अनुचित लाभ की वसूली की कार्यवाही शुरू करने के आदेश भी दिए. हाई कोर्ट ने बेदखली की कार्यवाही को अंतिम रूप देने के बाद किसी भी अतिक्रमणकारी को सक्षम न्यायालय की अनुमति के बिना अतिक्रमित भूमि में प्रवेश करने की अनुमति न देने के आदेश भी जारी किए.

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