पटना: भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य अमित शाह की नजर सीमांचल पर है. पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जदयू गठबंधन सीमांचल की एक सीट हर गई थी. इस बार सभी 40 सीट जीतने के लिए अमित शाह ने खास रणनीति बनाई है. सीमांचल में अमित शाह के साथ नीतीश कुमार भी हैं. बिहार में दूसरे चरण का लोकसभा चुनाव सीमांचल इलाके में होना है. सीमांचल में तमाम बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
कटिहार में अमित शाह ने सभा कीः असदुद्दीन ओवैसी किशनगंज में कैंप कर रहे हैं तो भाजपा के चाणक्य ने कटिहार में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कटिहार से जदयू के प्रत्याशी दुलालचंद्र गोस्वामी के लिए चुनाव प्रचार किया. अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे. आपको बता दें कि सीमांचल के ज्यादातर सीटों पर जदयू के उम्मीदवार हैं. पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में जदयू के उम्मीदवार हैं. अररिया में भाजपा के उम्मीदवार हैं.
"भाजपा और जदयू की नजर सीमांचल के अल्पसंख्यक वोट बैंक पर है. उस वोट बैंक को एनडीए नेता नाराज नहीं करना चाहते हैं. अल्पसंख्यकों को लेकर गृह मंत्री का भाषण भी संयमित था. नीतीश कुमार ने भी खुद को अल्पसंख्यकों का हिमायती करार दिया."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
सीमांचल में अमित शाह का नपा तुला भाषणः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सीमांचल में नपा-तुला भाषण दिया. अमित शाह ने ना तो सीएए जिक्र किया ना ही बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाया. मंच से राम मंदिर मुद्दे पर भी गृह मंत्री ने कुछ नहीं कहा. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मुद्दे पर अमित शाह ने महागठबंधन को आड़े हाथों लिया. एनआरसी के मुद्दे पर भी गृह मंत्री बोलने से बचते दिखे. इसको लेकर सियासी चर्चा जोर शोर से चल रही है.
नीतीश ने खुद को मुस्लिम का हिमायती बतायाः किशनगंज लोकसभा सीट एनडीए के लिए चुनौती है. 47% अल्पसंख्यक वोट बैंक की बदौलत एनडीए 40 सीट देखना चाहती है. मुख्यमंत्री की नजर भी अल्पसंख्यक वोट बैंक पर है. कटिहार में नीतीश कुमार ने कहा कि यहां पर मुस्लिम लोगों के लिए क्या किया, पहले सिर्फ झगड़ा कराने का काम करते थे. एनडीए के समय में हिंदू मुस्लिम का कोई झगड़ा नहीं होता है. हम लोग मिलकर काम किए हैं. हम लोगों ने हिंदू मुस्लिम का झगड़ा खत्म कर दिया. कुछ लोग भाषण देते हैं पहले किसी का रक्षा करता था.
"सीमांचल में अमित शाह और नीतीश कुमार असदुद्दीन ओवैसी और तेजस्वी को कोई मौका नहीं देना चाहते हैं. जदयू को अल्पसंख्यकों का वोट भी मिलता रहा है. ऐसे में हिंदुत्व के एजेंट को भाजपा नेता पीछे ही रखना चाहते हैं."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
ओवैसी की मौजूदगी से सीमांचल की लड़ाई दिलचस्प बनीः बिहार में अल्पसंख्यक सियासत का रुख सीमांचल तय करता है. सीमांचल इलाका मुस्लिम आबादी के लिए जाना जाता है. पूर्णिया प्रमंडल में 47% मुस्लिम आबादी है. पूर्णिया, कटिहार किशनगंज और अररिया लोकसभा सीट सीमांचल इलाके में आता है. सीमांचल को साधने के लिए राजनीतिक दल मुद्दे और एक्शन प्लान दोनों तैयार करते हैं. असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी ने सीमांचल की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. राजनीतिक दल फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं.