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'सोना' की तरह महंगा है 'गैनोडर्मा मशरूम': इसकी फॉर्मिंग कर आप हो सकते हैं 'मालामाल' - GANODERMA MUSHROOM

गया के बीहड़ों और जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले गैनोडर्मा मशरूम से किसानों को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है. पढ़िये, एक रिपोर्ट.

Ganoderma mushroom
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 17 hours ago

Updated : 16 hours ago

गया: गया के बीहड़ों, जंगलों और शहर के कुछ हिस्सों में गैनोडर्मा मशरूम के प्राकृतिक रूप से उगने का पता चला है. यह किसानों की आय का नया स्रोत बन सकता है. इस औषधीय मशरूम को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका व्यवस्थित उत्पादन और उपयोग किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है.

गया में 'गैनोडर्मा मशरूम' की खेतीः मगध विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के रिसर्च स्कॉलर दानिश मसरूर ने दुर्लभ प्रजाति की मशरूम की खोज की है. मशरूम की खेती आधुनिक युग में बहुत हो रही है. सरकार की ओर से भी मशरूम फसल उत्पादन के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती है. लेकिन यहां हम जिस मशरूम 'गैनोडर्मा' की बात कर रहे हैं वह दुर्लभ और कीमती है.

गया में गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

बीहड़ों और जंगलों में किया शोधः गया के बीहड़ों और जंगलों समेत शहर के कुछ क्षेत्रों में ये मशरूम पाया जाता है. दानिश मसरूर ने मगध विश्वविद्यालय से अपने शोध के दौरान इसकी खोज की है. दानिश मसरूर मगध विश्वविद्यालय से बायोडायवर्सिटी पर शोध कर रहे हैं. पिछले कई सालों से शोध कर रहे हैं. उन्हें आउटस्टैंडिंग एनवायरनमेंटलिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

"गया शहर से लेकर बराबर पहाड़ की तलहटी, मगध विश्वविद्यालय के परागण और ऐसे 12 विभिन्न स्थानों पर इस मशरूम को स्वस्थ हालत में शोध के दौरान देखा है. अभी गया में किसी ने गैनोडर्मा मशरूम की खेती नहीं की है, हालांकि इसके स्वास्थ्य लाभ को जानने और स्वाद को चखने वाले कई शौकीन हैं जो खरीद कर उपयोग किए हैं."- दानिश मसरूर, शोधकर्ता

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

लकड़ी में उगता है मशरूमः दानिश मसरूर ने कहा कि शीशम और सीरीस पेड़ की लकड़ी में यह अधिक पाया जाता है. इसकी तीन प्रजातियां गया में मिली हैं. शीशम और सीरीस में 13 इंच तक सूखा हुआ मशरूम का छत्ता मिला है. एक मशरूम का वजन लगभग डेढ़ किलोग्राम तक होता है. इस मशरूम की खासियत यह है कि इसको सूखा कर पाउडर बनाकर बेचा जाता है.

सामान्य मशरूम से है अलगः दूसरे मशरूम जैसे वेस्टर मशरूम, बटन मशरूम आदि जब तक ताज़ा होता है तब तक वह ठीक रहता है, लेकिन जैसे ही हवा के संपर्क में आता है उसके रंग बदलने लगते हैं और एक से दो दिनों में उसकी कीमत घटती जाती है क्योंकि वह खराब हो जाता है, जिसके कारण किसानों को अधिक फायदा नहीं होता है, जबकि मैनोडर्मा के सूखने पर कीमत बढ़ जाती है.

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

कई राज्यों में हो रही फॉर्मिंगः गैनोडर्मा मशरूम की खेती मुख्य रूप से चीन में होती है. इस मशरूम का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए की जाती है. भारत में नौ प्रकार के गैनोडर्मा मशरूम पाये जाते हैं. गया में इसकी तीन प्रजातियां पाई गई हैं, इसकी कीमत मार्केट में 8 से 10 हज़ार रूपये प्रति किलो है. वर्तमान में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हिमालय के तलहटी क्षेत्र में इसकी फार्मिंग की जा रही है.

आयुवर्धक है गैनोडर्मा मशरूमः चीन और जापान में इस मशरूम को आयुवर्धक मानते हैं. ग्रीक भाषा या लैटिन भाषा में गैनोडर्मा का अर्थ 'चमड़े को चमकाने वाला' होता है. डर्मा शब्द स्किन के लिए यूज़ होता है. गैनो शब्द शाइनिंग के लिए उपयोग में आता है. स्किन की शाइनिंग के लिए चीन जापान के लोग लगभग 3 हजार साल पहले से इस्तेमाल कर रहा है. 1800 साल पुराने पेंटिंग में भी इस का जिक्र है.

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

बटन मशरूम की तरह हो सकती खेतीः गैनोडर्मा मशरूम की खेती के लिए गया का मौसम अनुकूल है. सूखी लकड़ी के टुकड़ों पर इसकी खेती होती है. बटन मशरूम की तरह इसकी खेती हो सकती है. प्लास्टिक बैग में भूसा भरने की जगह पर लकड़ी के टुकड़ों को भरना होगा. इसकी खेती के लिए तापमान 30 डिग्री सेल्सियस, 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता, प्रकाश और वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है.

गया का मौसम है अनुकूलः चूंकि यह मशरूम लकड़ी जैसा होता है, इसलिए इसे सुखाकर कई महीनों तक संग्रहित किया जा सकता है. गया का तापमान मार्च के बाद 30 डिग्री से अधिक हो जाता है, जो अगस्त तक रहता है. इस लिए गया का वातावरण और तापमान गैनोडर्मा मशरूम के अनुकूल है. गर्मी में इसकी उपज करने से एक किसान को लाखों की आमदनी हो सकती है.

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

महंगी प्रजाति को होता हैः दानिश मसरूर कहते हैं कि हम अपने आसपास मशरूम को दो से तीन रंगों और प्रकार में देखते हैं. लेकिन विश्व में मशरूम के कई प्रकार हैं. कई मशरूम की प्रजाति काफी महंगी बिकती है. इनमें गैनोडर्मा भी है. इसकी खेती मुख्य रूप से चीन में की जाती है. इस मशरूम का उपयोग दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. गया में बहुत जगहों पर स्वस्थ हालत में पाया गया है.

कई बीमारियों में है फायदेमंदः डॉ राज कुमार, जनरल फिजिशियन के अनुसार गैनोडर्मा न्यूट्रिश्यूटिकल्स का उपयोग हृदय संबंधी समस्याओं, ल्यूकेमिया, ल्यूकोपेनिया, हेपेटाइटिस, नेफ्राइटिस, गैस्ट्राइटिस, अनिद्रा, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस से पीड़ित रोगियों के इलाज में किया जाता है. यह मशरूम रक्त को पतला करता है. कैंसर, ट्यूमर विरोधी प्रभाव प्रदर्शित करता है. यह हेपेटाइटिस बी के खिलाफ प्रभावी है.

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

गैनोडर्मा के बीज मार्केट में है उपलब्धः दानिश मसरूर ने बताया कि कोई अगर इसकी खेती करना चाहता है तो हमारे आस पास गौनोडर्मा मशरूम के छत्ते हैं तो उसके निचली सतह पर बीज होती है. उसे तोड़ कर बीज गिरा दें तो उससे पौधे उगा सकते हैं. गया में इसकी खेती होती है तो यहां बड़ा मार्केट मिलेगा, क्योंकि यहां चीन व जापान समेत दुनिया के विभिन्न देशों के लोग आते हैं. गैनोडर्मा मशरूम का उपयोग करेंगे.

क्या कहते हैं अधिकारीः जिला बागवानी विभाग की अधिकारी तबस्सुम परवीन ने गया में इसकी खेती होने की जानकारी से इंकार किया. उन्होंने बताया कि इस संबंध में वह जानकारी प्राप्त कर विभाग के मार्गदर्शन में आगे की कार्यवाही करेगी. उन्होंने कहा कि किसान तैयार होते हैं तो इसकी खेती करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अभी उन्हें मालूम नहीं है कि गया में इसकी खेती हो रही है.

ganoderma mushroom.
ETV GFX (ETV Bharat)

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गया: गया के बीहड़ों, जंगलों और शहर के कुछ हिस्सों में गैनोडर्मा मशरूम के प्राकृतिक रूप से उगने का पता चला है. यह किसानों की आय का नया स्रोत बन सकता है. इस औषधीय मशरूम को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका व्यवस्थित उत्पादन और उपयोग किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है.

गया में 'गैनोडर्मा मशरूम' की खेतीः मगध विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के रिसर्च स्कॉलर दानिश मसरूर ने दुर्लभ प्रजाति की मशरूम की खोज की है. मशरूम की खेती आधुनिक युग में बहुत हो रही है. सरकार की ओर से भी मशरूम फसल उत्पादन के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती है. लेकिन यहां हम जिस मशरूम 'गैनोडर्मा' की बात कर रहे हैं वह दुर्लभ और कीमती है.

गया में गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

बीहड़ों और जंगलों में किया शोधः गया के बीहड़ों और जंगलों समेत शहर के कुछ क्षेत्रों में ये मशरूम पाया जाता है. दानिश मसरूर ने मगध विश्वविद्यालय से अपने शोध के दौरान इसकी खोज की है. दानिश मसरूर मगध विश्वविद्यालय से बायोडायवर्सिटी पर शोध कर रहे हैं. पिछले कई सालों से शोध कर रहे हैं. उन्हें आउटस्टैंडिंग एनवायरनमेंटलिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

"गया शहर से लेकर बराबर पहाड़ की तलहटी, मगध विश्वविद्यालय के परागण और ऐसे 12 विभिन्न स्थानों पर इस मशरूम को स्वस्थ हालत में शोध के दौरान देखा है. अभी गया में किसी ने गैनोडर्मा मशरूम की खेती नहीं की है, हालांकि इसके स्वास्थ्य लाभ को जानने और स्वाद को चखने वाले कई शौकीन हैं जो खरीद कर उपयोग किए हैं."- दानिश मसरूर, शोधकर्ता

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

लकड़ी में उगता है मशरूमः दानिश मसरूर ने कहा कि शीशम और सीरीस पेड़ की लकड़ी में यह अधिक पाया जाता है. इसकी तीन प्रजातियां गया में मिली हैं. शीशम और सीरीस में 13 इंच तक सूखा हुआ मशरूम का छत्ता मिला है. एक मशरूम का वजन लगभग डेढ़ किलोग्राम तक होता है. इस मशरूम की खासियत यह है कि इसको सूखा कर पाउडर बनाकर बेचा जाता है.

सामान्य मशरूम से है अलगः दूसरे मशरूम जैसे वेस्टर मशरूम, बटन मशरूम आदि जब तक ताज़ा होता है तब तक वह ठीक रहता है, लेकिन जैसे ही हवा के संपर्क में आता है उसके रंग बदलने लगते हैं और एक से दो दिनों में उसकी कीमत घटती जाती है क्योंकि वह खराब हो जाता है, जिसके कारण किसानों को अधिक फायदा नहीं होता है, जबकि मैनोडर्मा के सूखने पर कीमत बढ़ जाती है.

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गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

कई राज्यों में हो रही फॉर्मिंगः गैनोडर्मा मशरूम की खेती मुख्य रूप से चीन में होती है. इस मशरूम का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए की जाती है. भारत में नौ प्रकार के गैनोडर्मा मशरूम पाये जाते हैं. गया में इसकी तीन प्रजातियां पाई गई हैं, इसकी कीमत मार्केट में 8 से 10 हज़ार रूपये प्रति किलो है. वर्तमान में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हिमालय के तलहटी क्षेत्र में इसकी फार्मिंग की जा रही है.

आयुवर्धक है गैनोडर्मा मशरूमः चीन और जापान में इस मशरूम को आयुवर्धक मानते हैं. ग्रीक भाषा या लैटिन भाषा में गैनोडर्मा का अर्थ 'चमड़े को चमकाने वाला' होता है. डर्मा शब्द स्किन के लिए यूज़ होता है. गैनो शब्द शाइनिंग के लिए उपयोग में आता है. स्किन की शाइनिंग के लिए चीन जापान के लोग लगभग 3 हजार साल पहले से इस्तेमाल कर रहा है. 1800 साल पुराने पेंटिंग में भी इस का जिक्र है.

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गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

बटन मशरूम की तरह हो सकती खेतीः गैनोडर्मा मशरूम की खेती के लिए गया का मौसम अनुकूल है. सूखी लकड़ी के टुकड़ों पर इसकी खेती होती है. बटन मशरूम की तरह इसकी खेती हो सकती है. प्लास्टिक बैग में भूसा भरने की जगह पर लकड़ी के टुकड़ों को भरना होगा. इसकी खेती के लिए तापमान 30 डिग्री सेल्सियस, 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता, प्रकाश और वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है.

गया का मौसम है अनुकूलः चूंकि यह मशरूम लकड़ी जैसा होता है, इसलिए इसे सुखाकर कई महीनों तक संग्रहित किया जा सकता है. गया का तापमान मार्च के बाद 30 डिग्री से अधिक हो जाता है, जो अगस्त तक रहता है. इस लिए गया का वातावरण और तापमान गैनोडर्मा मशरूम के अनुकूल है. गर्मी में इसकी उपज करने से एक किसान को लाखों की आमदनी हो सकती है.

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गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

महंगी प्रजाति को होता हैः दानिश मसरूर कहते हैं कि हम अपने आसपास मशरूम को दो से तीन रंगों और प्रकार में देखते हैं. लेकिन विश्व में मशरूम के कई प्रकार हैं. कई मशरूम की प्रजाति काफी महंगी बिकती है. इनमें गैनोडर्मा भी है. इसकी खेती मुख्य रूप से चीन में की जाती है. इस मशरूम का उपयोग दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. गया में बहुत जगहों पर स्वस्थ हालत में पाया गया है.

कई बीमारियों में है फायदेमंदः डॉ राज कुमार, जनरल फिजिशियन के अनुसार गैनोडर्मा न्यूट्रिश्यूटिकल्स का उपयोग हृदय संबंधी समस्याओं, ल्यूकेमिया, ल्यूकोपेनिया, हेपेटाइटिस, नेफ्राइटिस, गैस्ट्राइटिस, अनिद्रा, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस से पीड़ित रोगियों के इलाज में किया जाता है. यह मशरूम रक्त को पतला करता है. कैंसर, ट्यूमर विरोधी प्रभाव प्रदर्शित करता है. यह हेपेटाइटिस बी के खिलाफ प्रभावी है.

ganoderma mushroom.
गैनोडर्मा मशरूम. (ETV Bharat)

गैनोडर्मा के बीज मार्केट में है उपलब्धः दानिश मसरूर ने बताया कि कोई अगर इसकी खेती करना चाहता है तो हमारे आस पास गौनोडर्मा मशरूम के छत्ते हैं तो उसके निचली सतह पर बीज होती है. उसे तोड़ कर बीज गिरा दें तो उससे पौधे उगा सकते हैं. गया में इसकी खेती होती है तो यहां बड़ा मार्केट मिलेगा, क्योंकि यहां चीन व जापान समेत दुनिया के विभिन्न देशों के लोग आते हैं. गैनोडर्मा मशरूम का उपयोग करेंगे.

क्या कहते हैं अधिकारीः जिला बागवानी विभाग की अधिकारी तबस्सुम परवीन ने गया में इसकी खेती होने की जानकारी से इंकार किया. उन्होंने बताया कि इस संबंध में वह जानकारी प्राप्त कर विभाग के मार्गदर्शन में आगे की कार्यवाही करेगी. उन्होंने कहा कि किसान तैयार होते हैं तो इसकी खेती करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अभी उन्हें मालूम नहीं है कि गया में इसकी खेती हो रही है.

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