सिर्फ हैप्पी होली नहीं, थोड़ी-सी सावधानी से मनाएं 'हैप्पी एंड सेफ होली' - Holi celebration tips
Safe Holi celebration : बहुत से लोगों को होली के बाद पेट में गड़बड़ी, सर्दी-जुखाम बुखार, आंखों में इन्फेक्शन तथा त्वचा से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. होली का आनंद, आनंद ही रहे, खराब स्वास्थ्य या समस्याओं के कारण उसके रंग में भंग ना पड़ जाए इसलिए बहुत जरूरी है कि होली खेलते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाय. Holi Colors , holi skin hair care tips , holi health issues , holi tips to avoid health issues , Holi hair care , holi tips .
हैदराबाद: होली के मौके पर रंग-गुलाल के साथ अगर गुजिया, चाट-पकौड़े, पकवानों, ठंडाई और कांजी के पानी का जायका ना लिया जाय तो होली का हुल्लड़ अधूरा ही लगता है! लेकिन होली के दिन अगर इन मजेदार जायकों का मजा यदि कुछ ज्यादा ही ले लिया जाय तो होली के बाद कई बार डॉक्टर को दिखाने की नौबत भी आ सकती है. होली के रंग में भंग ना पड़े इसलिए होली खेलते समय और होली के बादकुछ सावधानी जरूरी है.
रेडीमेड पकवान करते हैं नुकसान : आज के समय में भी होली को मनाने परंपरा पहले जैसी ही है, यानी रंग खेलना और जम कर खाना पीना. लेकिन जो चीज बदली है वह है होली को मनाने की तैयारी. पहले के समय में होली से तीन-चार दिन पहले से ही हर घर में बड़ी कढ़ाई लग जाती थी. जिनमें गुजिया, नमकीन और मीठे पकवान, चाट के लिए पपड़ी और गुजिया सब घर में ही साफ सफाई से बनते थे.
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वहीं पीने में ठंडाई के साथ घर में बनी गाजर/मूंग के बड़ों की कांजी, जलजीरा या गुलाब/खस के शर्बत परोसे जाते थे. वहीं आजकल ज्यादातर लोग होली के दिन परोसे जाने वाले पकवान बाजार से लाते हैं. वहीं पेय पदार्थों में ज्यादातर लोग चाय या कोल्ड ड्रिंक्स और कुछ लोग शराब भी परोसते हैं. जो सेहत खासतौर पर पाचनतंत्र पर काफी भारी पड़ते हैं. वहीं आजकल किफायती, खुशबूदार तथा ज्यादा चटकीले होने के चलते लोग अलग-अलग प्रकार के रसायन युक्त रंगों का ज्यादा उपयोग करते हैं. जो सिर्फ त्वचा या बालों को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं.
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सावधानी के साथ मनाएं होली भोपाल मध्य प्रदेश के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर राजेश शर्मा बताते हैं कि पहले के समय में होली पर जब घर में पकवान बनाए जाते थे तो एक तो उनमें नुकसानदायक प्रिजर्वेटिव्स, खराब तेल या ज्यादा नमक-मसालों का इस्तेमाल नहीं होता था. जिससे सेहत पर ज्यादा असर नहीं पड़ता था. वहीं इस अवसर पर घर में बनने वाली अलग-अलग प्रकार की कांजी या ठंडाई पाचन को दुरुस्त रखने में और शरीर में जरूरी ऊर्जा बनाए रखने में मदद करती थी.
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डॉक्टर राजेश शर्मा बताते हैं कि आजकल एक तो वैसे ही हर उम्र के लोगों में गैस-एसिडिटी की समस्या आमतौर पर देखने में आने लगी है. वहीं सामान्य तौर पर लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी आजकल कम ही देखी जाती है. उस पर होली मौसम के संधिकाल में मनाई जाती है. इस मौसम को सामान्य तौर पर बीमारियों का मौसम भी कहा जाता है, क्योंकि जब मौसम बदलता है उस समय लोगों में सर्दी, जुखाम, बुखार, फ्लू या अन्य समस्याओं के मामले काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. ऐसे में होली पर रंगों का हुल्लड़ और खानपान में लापरवाही होली के बाद लोगों की शारीरिक समस्याओं को ज्यादा बढ़ा देती है. डॉक्टर राजेश शर्मा बताते हैं कि हैप्पी व सेफ होली मनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना काफी लाभकारी हो सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
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होली पर अगर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के घर मिलने जा रहे हैं तो कोशिश करें कि घर में बने पकवानों का ही सेवन करें. लेकिन वो भी सीमित मात्रा में.
एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचे.
बहुत ज्यादा कोल्ड ड्रिंक, शराब और यहां तक की चाय व कॉफी के सेवन से भी बने.
रंग-गुलाल आमतौर पर गले में खुश्की का कारण बनते हैं. वहीं अगर आप तेज धूप में घर के बाहर होली खेल रहे हैं तो भी शरीर में डिहाइड्रेशन होने की आशंका रहती है. इसलिए होली के दिन ज्यादा मात्रा में पानी तथा नियंत्रित मात्रा में ताजे जूस, नारियल पानी, नींबू पानी, लस्सी, छाछ तथा ग्रीन टी का सेवन करें.
गंदे हाथों या रंग भरे हाथों से कुछ भी खाने से बचे. जब भी कुछ खाना हो तो पहले साफ पानी से हाथों को अच्छे से धोएं.
ऐसे लोग जो पहले से सर्दी-जुकाम या किसी अन्य प्रकार के सामान्य संक्रमण का सामना कर रहे हैं उन्हें पानी वाली होली खेलने से बचना चाहिए. लेकिन यदि वह होली खेल ही रहे हैं तो वह सुबह पहले कुछ हेल्दी खाएं और उसके बाद अपनी दवाई खाकर ही होली खेलने जाए. यही नहीं यदि वे किसी ऐसे स्थान पर जा रहे हैं जहां बहुत ज्यादा भीड़ हो या बहुत ज्यादा रंग उड़ रहा हो तो उन्हें अपनी नाक को किसी मास्क या कपड़े से ढक कर रखना चाहिए.
ऐसे लोग जिन्हें अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या श्वसन तंत्र संबंधी कोई रोग या समस्या हो उन्हें होली खेलने से बचना चाहिए या कम से कम रंग खेलना चाहिए.
होली के रंग कहीं त्वचा और बालों के लिए भी समस्या का कारण न बन जाए इसलिए होली खेलने से पहले सिर, चेहरे, हाथों- पैरों पर अच्छे से तेल लगा ले. और यदि संभव हो तो बालों को किसी कपड़े या स्कार्फ से ढक लें. जहां तक संभव हो हर्बल या ऑर्गेनिक रंगों से ही होली खेले.
होली में रंगों के चलते आंखों में संक्रमण होने या आंखों को नुकसान होने का खतरा भी काफी ज्यादा रहता है. इसलिए जहां तक संभव हो अपनी आंखों को रंगों से बचा कर रखें. यदि गलती से आंखों में रंग चला भी जाए तो तुरंत साफ पानी से अपनी आंखों को धो ले.
होली के बाद भी सावधानी जरूरी डॉ राजेश बताते हैं कि सिर्फ होली वाले दिन ही नहीं बल्कि होली के बाद कुछ दिनों तक अपने आहार व व्यवहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जहां तक संभव हो होली से लेकर अगले दो-तीन दिन तक हल्का-फुल्का आहार ले जिससे यदि पेट में पाचन संबंधी कोई समस्या हो भी रही हो तो उसमें आराम मिले. यदि संभव हो तो होली के दो-तीन दिन बाद तक आहार में लिक्विड डाइट की मात्रा बढ़ाएं तथा रात को पूरी नींद ले. Holi Colors , holi skin hair care tips , safe holi celebration , holi health issues , holi tips to avoid health issues , Holi hair care , holi tips