गया: बिहार के गया धाम में पितृपक्ष मेला आगामी 17 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. पितृपक्ष मेला में लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं और अपने पितरों के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड करते हैं, लेकिन इसके बीच गया जी में एक ऐसी वेदी है, जहां लोग पितरों का नहीं, बल्कि खुद का पिंडदान करते हैं.
जीते जी क्यों पिंडदान करते हैं लोग?:विश्व प्रसिद्ध गयाजी धाम में पिंडदान के लिए पितृपक्ष मेले में लाखों की संख्या में लोग आते हैं. पितरों के निमित्त पिंंडदान के लिए लाखों श्रद्धालु जहां आते हैं. वहीं इसके बीच गया जी धाम में एक ऐसी पिंडवेदी भी है, जो मंदिर रूप में है. यहां पितरों के निमित्त नहीं, बल्कि खुद के लिए पिंडदान किया जाता है. यहां मोक्ष की प्राप्ति के लिए लोग खुद का श्राद्ध करते हैं. साधु संन्यासी, घर गृहस्थी से विमुख या जिनकी कोई संतान न हो, ऐसे लोग यहां खुद का पिंडदान करने पहुंचते हैं.
भगवान जनार्दन नाम से विख्यात: यहां भगवान विष्णु जनार्दन स्वरूप में मौजूद हैं. काले पत्थर की अत्यंत चमत्कारी प्रतिमा भगवान जनार्दन की है. भगवान जनार्दन पिंड ग्रहण करने की मुद्रा में विराजमान हैं. यहां खुद का पिंडदान करने आने वाले लोग भगवान विष्णु के हाथों में पिंड अर्पित करते हैं. मान्यता है, कि भगवान विष्णु पिंड ग्रहण करते हैं और पिंडदान करने वाले को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
सबसे ज्यादा साधु संन्यासी करते हैं पिंडदान:खुद का पिंडदान के लिए प्रसिद्ध जनार्दन मंदिर में सबसे ज्यादा साधु संन्यासी आते हैं. यह गया धाम की मुख्य वेदियों में से एक है, जो खुद का श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है. यहां पहुंचने वाले अधिकांश साधु संन्यासी होते हैं, जो जनार्दन मंदिर में आकर पिंंडवेेदी के रूप में मशहूर इस धार्मिक स्थली पर खुद का श्राद्ध करते हैं.
निसंतान भी करते हैं खुद का पिंडदान: साधु संन्यासियों के अलावे यहां वैसे लोग भी आते हैं, जो घर से विमुख हो चुके हैं, या फिर उन्हें लगता है कि उनके वंश के लोग उनका पिंडदान नहीं करेंगे. ऐसे लोग भी यहां खुद का श्राद्ध करते हैं. वही, निसंतान व्यक्ति भी यहां खुद का पिंडदान करते हैं. इस तरह साधु संन्यासियों के अलावे जिनका कोई न हो, घर गृहस्थी के वंश पर भरोसा न हो, वैसे लोग भगवान जनार्दन के मंदिर में आकर पिंडदान करते हैं.
पुराणों में वर्णित है यह मंदिर: यह मंदिर पुराणों में वर्णित है. इसका इतिहास गौरवपूर्ण रहा है. इसकी कई महिमा है. इच्छापूर्ति के लिए भी इस मंदिर (पिंडवेदी) को जाना जाता है. भगवान विष्णु जनार्दन रूप में मौजूद होकर भक्तों की इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद देते हैं.