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CAA से गैर मुस्लिम वोटरों को पक्ष में करेगी BJP, बिहार में कितने शरणार्थी, जानें फायदे का अंक गणित - Lok Sabha Elections

Politics On CAA: भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा गेम खेला है. देश में सीएए के माध्यम से शरणार्थियों को नागरिकता देकर करोड़ों वोट अपने पक्ष में करने को कोशिश की है. भाजपा की नजर बिहार के 40 सीटों पर भी है. ऐसे में बिहार में इससे भाजपा को कितना फायदा होगा? देखें रिपोर्ट.

बिहार में सीएए को लेकर सियासत
बिहार में सीएए को लेकर सियासत

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 12, 2024, 8:36 PM IST

बिहार में सीएए को लेकर सियासत

पटनाःलोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने एक बड़ा गेम खेला है. इंडिया गटबंधन की खीर में मट्ठा डालने के लिए देश में CAA लागू कर दिया गया है. बिहार में ओवैसी और लालू पहले से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं. भाजपा भी हिंदू वोटरों को एकजुट करना चाहती है. पार्टी की पहली नजर सीमांचल में हैं जहां 53 प्रतिशत हिन्दू वोटर हैं. इस क्षेत्र में गैर मुस्लिम वोटर 43 प्रतिशत हैं.

गैर मुस्लिम को नागरिकताः नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर केंद्र की सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. 11 दिसंबर 2019 को ही संसद से नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया जा चुका था. 24 घंटे के अंदर मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन नियमों को लेकर अधिसूचना जारी नहीं हुई थी. अब लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर भाजपा गैर मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की है. हालांकि इसका विरोध भी हो रहा है.

'यह कानून संविधान हित में नहीं': देश में नागरिकता संसोधन कानून लागू होते ही विपक्ष इसे चुनावी जुमला बता रहे हैं. बिहार में खासकर राजद नेता इसके विरोध में हैं. इनका कहना है कि यह देश हित में नहीं है. राजद के वरीष्ठ नेता वृषिण पटेल ने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने का संविधान में कोई प्रावधन नहीं है. उन्होंने कहा कि आप गैर मुस्लिम को नागरिकता दे रहे हैं और मुस्लिम से भेदभाव कर रहे हैं.

"भाजपा सीएए के जरिए वोट बैंक की सियासत कर रही है. सिर्फ नॉन मुस्लिम को ही नागरिकता क्यों दे रही है. हमारे संविधान में समता का अधिकार है. अगर नागरिकता देनी है तो सभी जाति धर्म समुदाय के लोगों को दी जानी चाहिए. धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के खिलाफ है. यह संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है."-वृषिण पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष, RJD

बिहार में शरणार्थी की संख्याः देश में शरणार्थियों की संख्या की बात करें एक रिपोर्ट के अनुसार 199,931 हैं. यह आंकड़ा 2014 तक का है. 2022 की बात करें तो 242, 835.00 देश में शरणार्थी हैं. लेकिन जो 2014 तक भारत आए थे सिर्फ उन्हें ही नागरिकता देने का प्रावधन है. बिहार की बात करें तो एक लाख 32 हजार से ज्यादा गैर मुस्लिम शरणार्थी हैं. इसमें हिंदू, सिख, इसाई, जैन और बौद्ध शामिल हैं जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा से भारत आ गए थे.

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सीमाचंल में मुस्लिम आबादीः सीमांचल में 43% मुस्लिम आबादी है. जबकि पूरे बिहार में मुस्लिम आबादी 17% है. यह देश स्तर पर 14% है. भाजपा 53% हिन्दू वोट बैंक अपने पक्ष में करना चाहती है. सिमांचल के 4 जिले अररिया पूर्णिया कटिहार और किशनगंज जिले में अल्पसंख्यक आबादी अच्छी है. 10 लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी है. इसमें किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, भागलपुर, सिवान शामिल है.

1 लाख 32 हजार गैर मुस्लिम शरणार्थीः बिहार में 2 करोड़ 31 लाख 38000 से ज्यादा आबादी मुस्लमानों की है. 1951 से लेकर 2011 तक देश की आबादी में मुस्लिम हिस्सेदारी जहां 4% के हिसाब से बढ़ी थी. सीमांचल में यह आंकड़ा 16 प्रतिशत के आसपास है. इससे स्पष्ट है कि 12% के आसपास बांग्लादेशी शरणार्थी सीमांचल इलाके में है. बिहार में भी गैर मुस्लिम आबादी हैं. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से माइग्रेट कर आने वाले की संख्या 1 लाख 32 हजार से ज्यादा है.

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'गैर मुस्लिम को सम्मान मिलना जरूरी': भाजपा नेता इसे देश हित में बता रहे हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि यह कोई नागरिकता छीनने का बल्कि देने का कानून है. हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने का प्रावधन है. इस दौरान उन्होंने कहा कि ये शरणार्थी वही हैं जो दूसरे देश में धार्मिक दंगा के कारण भारत आए थे. उनको सम्मान मिलना जरूरी है.

"कानून के जरिए हम किसी की नागरिकता छीनने नहीं जा रहे हैं. कानून में नागरिकता देने का प्रावधान है. बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अंदर हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, और ईसाई को प्रताड़ित किया गया. वे भारत आ गए, उन्हें ही नागरिकता देने का प्रावधान है. विश्व के किसी भी देश में इनके रहने के लिए सम्मानजनक स्थिति नहीं है. मुस्लमानों के लिए तो कई देश हैं. वह कहीं भी रह सकते हैं."-प्रेम रंजन पटेल, भाजपा के वरिष्ठ नेता

भाजपा को मुस्लिम वोट की चिंता नहीं: राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का यह मास्टर स्ट्रोक है. वरीष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी कहते हैं कि इसके खिलाफ देश में काफी आंदोलन भी हुए. इससे भाजपा को लगा कि यह कानून हिन्दुओं के ध्रुविकरण में मदद करेगा. बिहार की बात करें तो सिमांचल में 47 प्रतिशत मुस्लमान और 53 प्रतिशत हिन्दु हैं. भाजपा की कोशिश है कि वह 80:20 का खेल खेले. भाजपा को मुस्लिम वोट की चिंता नहीं है.

"भाजपा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू कर बड़ा गेम खेला है. ओवैसी और इंडिया गठबंधन की सियासत को एक तरीके से झटका है. बीजेपी कानून के जरिए गैर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के जरिए वोट बैंक को धार देना चाहती है."-कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

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