मयूरभंज: ओडिशा के सिमिलिपाल जंगल में दुर्लभ मेलेनिस्टिक बाघ के अवैध शिकार ने जंगली जानवारों की सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने रॉयल बंगाल टाइगर की खाल और पंजे के साथ चार शिकारियों को गिरफ्तार किया है. दुकुरा रेंज के वन विभाग के कर्मियों ने 12 जनवरी की रात को छापेमारी के बाद आरोपियों को पकड़ा, जब वे काले बाघ की खाल बेचने की कोशिश कर रहे थे.
सिमिलिपाल दक्षिण वन्यजीव प्रभाग की विशेष प्रवर्तन शाखा ने यह कार्रवाई की. वन विभाग ने उदला थाने के अंतर्गत टेंटाला क्षेत्र से दो और सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) परियोजना के अंतर्गत बारीपदा वन क्षेत्र के अंतर्गत बालीघाट क्षेत्र से दो शिकारियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों में अजंबर नाइक, पटंबर नाइक, राम नाइक और बैरम मुर्मू शामिल हैं.
माना जा रहा है कि दुर्लभ काले बाघ का शिकार सिमिलिपाल वन्यजीव अभ्यारण्य में किया गया है, क्योंकि काले धारीदार कोट के लिए जाने जाने वाले मेलेनिस्टिक बाघ विशेष रूप से यहां के टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं. मेलेनिस्टिक बाघ को मारने के बाद आरोपी उसकी खाल, पंजे और दांत लेकर भाग गए थे.
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (दक्षिण) के उप-निदेशक सम्राट गौड़ा ने विश्वसनीय स्रोतों से सूचना मिलने पर छापेमारी की. छापेमारी के दौरान आरोपियों के कब्जे से दुर्लभ मेलेनिस्टिक बाघ की खाल और पंजे जब्त किए गए. सिमिलिपाल (दक्षिण) वन्यजीव प्रभाग की विशेष प्रवर्तन शाखा मामले में आगे की जांच कर रही है.
पिछले महीने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कैमरे की मदद से 13 शिकारियों को पकड़ा गया था. शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग सिमिलिपाल वन्यजीव खुफिया नेटवर्क (एसडब्ल्यूआईएन) जैसी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर रहा है.
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