गया : बिहार के गया में अजोला घास की खेती शुरू हुई है. अजोला घास की खेती कई मायने में महत्वपूर्ण है. खास कर दुधारू पशुओं के लिए यह एक तरह से अमृत के समान है. अजोला को पशु चारे में मिलाकर देने से दुधारू पशुओं में न सिर्फ दूध देने की क्षमता बढ़ती है, बल्कि उनका दुबलापन भी दूर हो शारीरिक विकास हो जाता है. इस तरह से पशुओं को अजोला निरोग रखता है. अजोला घास 3 सौ रुपए प्रति किलो मिलती है. इस तरह देखें, तो गया में किसान ड्राई फ्रूट से महंगा घास दुधारू पशुओं को खिला रहे हैं.
गया में अजोला की खेती: गया में अजोला की खेती शुरू हुई है. गया के किस बसंत कुमार यादव ने अजोला की खेती शुरू की है. अजोला दुधारू पशुओं के लिए कई तरह से महत्वपूर्ण है. इसे दुधारू पशुओं को दिए जाने से से न सिर्फ दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है, बल्कि दुधारू पशु अजोला घास खिलाने से निरोग भी रहते हैं और उनका शारीरिक विकास यह करता है. अजोला घास से पशुओं की प्रजनन क्षमता भी सही रहती है. अजोला घास दुधारू पशु जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी, मुर्गी आदि को चारे में दिया जाए तो यह उनके लिए अमृत के समान होता है. वही, अजोला घास खिलाने का लाभ किसानों-मवेशी पालको को मिलता है. क्योंकि उनके दुधारू पशु में दूध देने की क्षमता 15 से 25% तक बढ़ जाती है.
गया के तिनकेड़वा गांव में भी अजोला की खेती : गया जिले के तिनकेेङवा गांव में अजोला घास की खेती हो रही है. अजोला की खेती कर किसान भी मालोमाल हो रहे हैं. वही, दुधारू पशुओं के इससे स्वस्थ रहकर दूध देने की क्षमता बढ़ जा रही है है. गया जिले में पहली बार अजोला की खेती शुरू हुई है और दुधारू पशुओं को लेकर लोगों को जागरुक कर इसकी बिक्री भी की जा रही है. अजोला घास देने से दुधारू पशुओं में दूध देने की वृद्धि हो जाती है, तो किसानों ने अब अजोला घास का पैमाने पर उपयोग शुरू किया है. अजोला घास की खेती किसानों के लिए काफी मुनाफे का सौदा साबित हो रही है.
ड्राई फ्रूट से महंगा अजोला घास पशुओं को खिला रहे हैं किसान: अजोला घास ड्राई फ्रूट से भी महंगा है. किशमिश की तरह अजोला 300 रूपए किलो के आसपास की मिलती है. अजोला घास 300 रुपए के प्रति किलो की दर से बिक रही है. सामान्य तौर पर लोग पहले खेतों में होने वाले घास को खिलाते थे, जो कि 5 से 10 रुपए दउरी के हिसाब से मिलते थे, किंतु अब ड्राई फ्रूट से भी महंगी अजोला घास लोग पशुओं को खिला रहे हैं. किशमिश के आसपास के मूल्य के अजोला को खिलाकर किसान एक ओर अपने मवेशियों को अधिक दुधारू बना रहे हैं, तो दूसरी ओर पशुओं को निरोग रखने में भी सफल हो रहे हैं.
ऐसी होती है खेती अजोला की खेती : अजोला घास की खेती थोड़ी मेहनत वाली होती है. इस पर ध्यान न दिया जाए तो फसल जल जाती है. अजोला की खेती के लिए सबसे पहले 6 इंच का गडढा करना होता है. 6 इंच का गडढा करने के बाद उसमें प्लास्टिक डाल देते हैं. इसके बाद 1 इंच मिट्टी, वर्मी कंपोस्ट डाली जाती है. फिर अजोला का बीज डाला जाता है. अजोला का बीज को अजोला घास भी कह सकते हैं. क्योंकि एक बार जब उसे लगा दें, तो फिर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. अन्य किसी को अजोला घास को भी अजोला बीच के रूप में दिया जा सकता है. फिलहाल में गया के तिनकेेङवा गांव के किसान बसंत कुमार यादव ने अजोला घास की खेती शुरू की है.