बांसवाड़ा. जिले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया अपने एक दिवसीय के दौरे पर शुक्रवार की रात बांसवाड़ा पहुंचे. वे शनिवार सुबह मां त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन के बाद उदयपुर के लिए रवाना हो गए. इस दौरान, किसान पुत्र होने के नाते पार्टी की प्राथमिकताओं में बदलाव के सवाल पर पुनिया ने कहा कि समय के साथ नेतृत्व में परिवर्तन और नए लोगों को अवसर प्रदान करना भाजपा की परिपाटी रही है. प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी की मैंने खुद कभी कल्पना नहीं की थी. लेकिन एक छोटे से गांव में किसान के घर जन्म लेने वाले कार्यकर्ता पर केंद्रीय नेतृत्व में जो भरोसा जताया है. मैं पार्टी के लिए और भी मजबूती से काम करूंगा.
पूनिया ने कहा कि जहां तक सीएम पद का सवाल है, हम लोग कार्यकर्ता है और हमारे लिए जनता पार्टी और मिशन मुख्यमंत्री पद से भी बड़ा है. लेकिन मेरी कोशिश रहेगी कि कार्यकर्ताओं के साथ राजस्थान को भी कांग्रेस मुक्त किया जाए. बता दें कि वर्ष 2000 में राजगढ़ चूरू विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेता भैरों सिंह शेखावत ने उन्हें जनरल नेता करार दिया था. जबकि संघ से जुड़े लोगों को अब तक केवल संगठन के तौर पर ही पहचाना जाता रहा है.
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आरसीए को लेकर कांग्रेस में चली खींचतान से आगामी चुनाव में भाजपा की तस्वीर के सवाल पर 8 अक्टूबर को प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने जा रहे पूनिया ने कहा कि हम तो हम इसमें कोई टीम नहीं थे. ए और बी दोनों ही टीमें कांग्रेस की थी. डूडी मुख्यमंत्री के पुत्र के सामने खड़े थे. हम तो केवल दर्शक थे. खुद पायलट ने माना कि पार्टी कमजोर हुई है. वहीं डूडी ने मुख्यमंत्री गहलोत को धृतराष्ट्र तक की संज्ञा दे दी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस में कलह चल रही है और इससे निश्चित ही पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ है.
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कांग्रेस सरकार के अक्टूबर तक अपने ही कर्मों से गिरने के बयान पर मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए पूनिया ने इसका आधार बताते हुए कहा कि बसपा के विधायकों को मिलाने से सरकार मजबूत नहीं कमजोर दिखाई दे रही है. मुख्यमंत्री गहलोत को कहीं ना कहीं आशंका है कि सरकार अल्पमत में है. राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को विधायकों के संख्या बल की जरूरत थी. लेकिन उस समय गहलोत ने कोई रुचि नहीं दिखाई. उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के लगातार बयान और आरसीए की चुनावी पिच मुख्यमंत्री को कमजोर साबित कर रहे थे. इसीलिए उन्होंने गुपचुप बसपा विधायकों की बैसाखी का सहारा लिया. मेरा मानना है कि जिस प्रकार का सरकार में अंतर्विरोध दिखाई दे रहा है. उससे कांग्रेस खुद ही हिट विकेट हो जाएगी.