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वोटिंग प्रतिशत में गिरावट ने सभी दलों की बढ़ाई चिंता, कम मत प्रतिशत से किसको फायदा ? - lok sabha election 2024

VOTING ON 4 SEATS IN BIHAR लोकतंत्र में वोट का अहम महत्व होता है. वोट का प्रतिशत कैसे बढ़े, इसके लिए प्रशासन लगातार प्रयास करता है. वोटरों को जागरूक करने के लिए कई तरह के अभियान भी चलाये गये इसके बाद भी वोट का प्रतिशत नहीं बढ़ा. शुक्रवार को बिहार की जिन चार लोकसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान हुआ, जहां 2019 में औसतन 53.47 फीसदी वोट पड़े थे. इस बार यह 48.23 प्रतिशत तक ही पहुंच सका है. ये गिरते मजबूत लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है, वहीं राजनीति दलों की नींद उड़ा दी है. पढ़ें, विस्तार से.

प्रथम चरण का चुनाव
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 19, 2024, 10:46 PM IST

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में शुक्रवार 19 अप्रैल को बिहार में चार सीटों पर मतदान हुआ. मतदाताओं में उम्मीद के मुताबिक उत्साह नहीं दिखा. बिहार चुनाव आयोग के अनुसार हीट वेव और लू के थपेड़ों के कारण वोटर्स में काफी उदासीनता दिखी. 2019 के मुकाबले 2024 में 5% कम मतदान हुआ. लो वोटिंग प्रतिशत के कारण नेताओं का चुनावी गणित गड़बड़ाने लगा है. एनडीए और इंडिया ब्लाक में फिर से हिसाब किताब लगाना शुरू कर दिया है.

गया में वोटिंग प्रतिशत कुछ बेहतर रहाः पहले चरण में जमुई, नवादा, गया और औरंगाबाद में चुनाव हुए. सबसे अधिक वोटिंग प्रतिशत गया में रहा, जहां 52% लोगों ने मतदान किया. 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा 56% के आसपास था. इस बार लगभग 4% कम मतदान हुआ. गया लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के बीच सीधा मुकाबला है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी गया लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार किए थे.

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जमुई-औरंगाबाद में सीधा मुकाबलाः जमुई लोकसभा सीट पर 50% मतदान हुए. 2019 के लोकसभा चुनाव में 55.26 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किए थे. कुल मिलाकर 5.26 प्रतिशत कम मतदान 2024 में हुआ. जमुई लोकसभा सीट पर चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती और महागठबंधन उम्मीदवार अर्चना रविदास के बीच मुकाबला है. प्रधानमंत्री मोदी ने जमुई लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया था. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 50% मतदान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लगभग 49.85% मतदान हुआ था. औरंगाबाद सीट पर वोटों का प्रतिशत 2019 और 2024 में लगभग बराबर रहा. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर महागठबंधन उम्मीदवार अभय कुशवाहा और एनडीए के सुशील सिंह के बीच सीधा मुकाबला है.

नवादा में सबसे कम वोटिंगः सबसे चौका देने वाले आंकड़े नवादा से निकाल कर आए हैं. नवादा में सबसे कम वोटिंग हुई है. 41% लोगों ने ही मतदान किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 52.50% लोगों ने मतदान किया था. 2019 के मुकाबले लगभग 11% वोटिंग कम हुई है. नवादा लोकसभा सीट पर त्रिकोणात्मक मुकाबला है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से भाजपा के विवेक ठाकुर है तो महागठबंधन ने श्रवण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. राष्ट्रीय जनता दल की स्थानीय इकाई ने श्रवण कुशवाहा के खिलाफ राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव को सहयोग किया है.

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एंटी इनकंबेंसी फैक्टर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे लो वोटिंग टर्नआउट के पीछे वोटर की एनडीए के प्रति उदासीनता बताते हैं. अरुण पांडे कहते हैं कि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर साफ तौर पर देखने को मिली है. जनता की उदासीनता यह बताती है कि मोदी लहर का जो दावा किया जा रहा था वह हकीकत से परे है. लालू प्रसाद यादव ने बैकवर्ड फॉरवर्ड चुनाव करने की कोशिश की थी उन्हें भी कामयाबी नहीं मिली. जहां तक सवाल बढ़त का है तो गया लोकसभा सीट पर लड़ाई कठिन दिख रही है. लेकिन बाकी की तीनों सीट नवादा, औरंगाबाद और जमुई में एनडीए को बढ़त मिल रही है.

लालू का प्रयोग सफल नहींः वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत प्रत्यूष का मानना है कि शुक्रवार का दिन होने के चलते वोटिंग टर्न आउट कम हुआ. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जुमे का नमाज अदा करते हैं ऐसे में 1:00 बजे तक मतदान केंद्र पर उनकी उपस्थिति ना के बराबर थी. 2:00 के बाद जो लोग आए होंगे उसमें काफी कम लोगों को वोट करने का मौका मिल पाया होगा. पहले चरण में कैंडिडेट की चर्चा कहीं नहीं थी. मोदी फैक्टर काम कर रहा था. लालू प्रसाद यादव ने जो मंडल का मॉडल का प्रयोग किया था, वह भी सफल होता नहीं दिखा. अगर सफल होता तो मतदाता वोट करने आते.

लोगों ने बदलाव के लिए वोट नहीं कियाः श्रीकांत प्रत्यूष ने कहा कि जहां तक बढ़त का सवाल है तो तीन सीटों पर एनडीए को बढ़त मिलते दिख रहा है. गया लोकसभा सीट पर थोड़ी लड़ाई दिख रही है. नवादा लोकसभा सीट का नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि राजबल्लव यादव के भाई विनोद यादव राष्ट्रीय जनता दल को कितना डैमेज करते हैं और गुंजन सिंह भाजपा का कितना वोट काटते हैं. श्रीकांत प्रत्यूष ने कहा कि काम वोटिंग प्रतिशत का मतलब यह है कि लोगों ने बदलाव के लिए वोट नहीं किया है.

इसे भी पढ़ेंः जागरुकता अभियान के बाद भी बिहार में राष्ट्रीय औसत से 10 प्रतिशत कम वोटिंग, लोकतंत्र के लिए चुनौती - VOTING PERCENTAGE IN BIHAR

इसे भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव: पहले चरण में 60% से अधिक मतदान, जानें किस राज्य में कितने प्रतिशत वोट पड़े - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः किन्नरों ने चलाया मतदाता जागरूकता अभियान, ढोल बजाकर कहा 'पहले वोट, उसके बाद जलपान' - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः निर्वाचन आयोग का मतदाता जागरूकता अभियान, 300 बसों को किया रवाना, वोटिंग परसेंटेज पर जोर - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः 'पहले मतदान फिर जलपान' 25 मई को पश्चिम चंपारण में वोटिंग, लोगों को जागरुक करने में जुटा प्रशासन - Lok Sabha Election 2024

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में शुक्रवार 19 अप्रैल को बिहार में चार सीटों पर मतदान हुआ. मतदाताओं में उम्मीद के मुताबिक उत्साह नहीं दिखा. बिहार चुनाव आयोग के अनुसार हीट वेव और लू के थपेड़ों के कारण वोटर्स में काफी उदासीनता दिखी. 2019 के मुकाबले 2024 में 5% कम मतदान हुआ. लो वोटिंग प्रतिशत के कारण नेताओं का चुनावी गणित गड़बड़ाने लगा है. एनडीए और इंडिया ब्लाक में फिर से हिसाब किताब लगाना शुरू कर दिया है.

गया में वोटिंग प्रतिशत कुछ बेहतर रहाः पहले चरण में जमुई, नवादा, गया और औरंगाबाद में चुनाव हुए. सबसे अधिक वोटिंग प्रतिशत गया में रहा, जहां 52% लोगों ने मतदान किया. 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा 56% के आसपास था. इस बार लगभग 4% कम मतदान हुआ. गया लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और महागठबंधन उम्मीदवार पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के बीच सीधा मुकाबला है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी गया लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार किए थे.

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जमुई-औरंगाबाद में सीधा मुकाबलाः जमुई लोकसभा सीट पर 50% मतदान हुए. 2019 के लोकसभा चुनाव में 55.26 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किए थे. कुल मिलाकर 5.26 प्रतिशत कम मतदान 2024 में हुआ. जमुई लोकसभा सीट पर चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती और महागठबंधन उम्मीदवार अर्चना रविदास के बीच मुकाबला है. प्रधानमंत्री मोदी ने जमुई लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया था. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर 50% मतदान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लगभग 49.85% मतदान हुआ था. औरंगाबाद सीट पर वोटों का प्रतिशत 2019 और 2024 में लगभग बराबर रहा. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर महागठबंधन उम्मीदवार अभय कुशवाहा और एनडीए के सुशील सिंह के बीच सीधा मुकाबला है.

नवादा में सबसे कम वोटिंगः सबसे चौका देने वाले आंकड़े नवादा से निकाल कर आए हैं. नवादा में सबसे कम वोटिंग हुई है. 41% लोगों ने ही मतदान किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में 52.50% लोगों ने मतदान किया था. 2019 के मुकाबले लगभग 11% वोटिंग कम हुई है. नवादा लोकसभा सीट पर त्रिकोणात्मक मुकाबला है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से भाजपा के विवेक ठाकुर है तो महागठबंधन ने श्रवण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. राष्ट्रीय जनता दल की स्थानीय इकाई ने श्रवण कुशवाहा के खिलाफ राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव को सहयोग किया है.

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एंटी इनकंबेंसी फैक्टर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे लो वोटिंग टर्नआउट के पीछे वोटर की एनडीए के प्रति उदासीनता बताते हैं. अरुण पांडे कहते हैं कि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर साफ तौर पर देखने को मिली है. जनता की उदासीनता यह बताती है कि मोदी लहर का जो दावा किया जा रहा था वह हकीकत से परे है. लालू प्रसाद यादव ने बैकवर्ड फॉरवर्ड चुनाव करने की कोशिश की थी उन्हें भी कामयाबी नहीं मिली. जहां तक सवाल बढ़त का है तो गया लोकसभा सीट पर लड़ाई कठिन दिख रही है. लेकिन बाकी की तीनों सीट नवादा, औरंगाबाद और जमुई में एनडीए को बढ़त मिल रही है.

लालू का प्रयोग सफल नहींः वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत प्रत्यूष का मानना है कि शुक्रवार का दिन होने के चलते वोटिंग टर्न आउट कम हुआ. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जुमे का नमाज अदा करते हैं ऐसे में 1:00 बजे तक मतदान केंद्र पर उनकी उपस्थिति ना के बराबर थी. 2:00 के बाद जो लोग आए होंगे उसमें काफी कम लोगों को वोट करने का मौका मिल पाया होगा. पहले चरण में कैंडिडेट की चर्चा कहीं नहीं थी. मोदी फैक्टर काम कर रहा था. लालू प्रसाद यादव ने जो मंडल का मॉडल का प्रयोग किया था, वह भी सफल होता नहीं दिखा. अगर सफल होता तो मतदाता वोट करने आते.

लोगों ने बदलाव के लिए वोट नहीं कियाः श्रीकांत प्रत्यूष ने कहा कि जहां तक बढ़त का सवाल है तो तीन सीटों पर एनडीए को बढ़त मिलते दिख रहा है. गया लोकसभा सीट पर थोड़ी लड़ाई दिख रही है. नवादा लोकसभा सीट का नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि राजबल्लव यादव के भाई विनोद यादव राष्ट्रीय जनता दल को कितना डैमेज करते हैं और गुंजन सिंह भाजपा का कितना वोट काटते हैं. श्रीकांत प्रत्यूष ने कहा कि काम वोटिंग प्रतिशत का मतलब यह है कि लोगों ने बदलाव के लिए वोट नहीं किया है.

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