पटना: बिहार लोक सेवा आयोग ने जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर और उनके कई अन्य साथियों को कानूनी नोटिस भेजा है. आयोग ने 7 दिनों के भीतर उनसे और उनकी टीम के साथियों के द्वारा आयोग पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर साक्ष्य देने की मांग की है. नोटिस में 2, 3 और 6 जनवरी को पीके के बयान को आधार बनाया गया है और उनके बयान का यूट्यूब क्लिप अटैच किया गया है. 7 दिन के भीतर जवाब देने नहीं देने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है.
पीके की मौजूदगी में आयोग के खिलाफ लगे नारे: दरअसल 2 जनवरी से प्रशांत किशोर बीपीएससी अभ्यर्थियों के कुछ समूह द्वारा 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोप पर पूरी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर अनशन पर हैं. पीके ने 2 जनवरी की शाम से गांधी मैदान में अनशन शुरू किया और इस दौरान आयोग के अध्यक्ष पर उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए. उनकी मौजूदगी में छात्रों ने आयोग के अध्यक्ष रवि मनु भाई परमार को 'चोर' तक कह दिया था. खुद पीके ने अपने संबोधन में कई बार कहा कि पूरी परीक्षा की सेटिंग हो चुकी है और सभी सीट बिक गए हैं.
बीपीएससी ने तीन आरोपों पर मांगा जवाब: ऐसे में अब आयोग की ओर से आयोग की लीगल टीम के द्वारा पीके और उनकी टीम को लीगल नोटिस भेजा गया है. आयोग के अधिवक्ता संजय सिंह की ओर से प्रशांत किशोर और उनके कई साथियों को नोटिस भेजा गया है. इस बात की जानकारी आयोग के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने देते हुए कहा कि लीगल नोटिस के माध्यम से प्रशांत किशोर के तीन आरोपों पर साक्ष्य मांगे गए हैं.
पीके के किस बयान पर नोटिस मिला?: आयोग के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि अनशन के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा था, 'बिहार में इस बार जिन पदों के लिए बीपीएससी के एग्जाम हो रहे हैं, उसके लिए बीपीएससी के पदाधिकारियों के दलाल, शिक्षा माफिया और यहां के नेता डील कर रहे हैं. एक पोस्ट के लिए लाखों रुपए लिये जा रहे हैं.'
अनियमितता के सबूत दें प्रशांत किशोर: आयोग के कानूनी नोटिस में प्रशांत किशोर से इस बात पर भी जवाब मांगा गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है और कुछ सीट एक से डेढ़ करोड़ में बेची गई है और यह हजार करोड़ से अधिक का घोटाला है. आयोग ने इस संबंध में साक्ष्य उपलब्ध कराने की मांग की है.
पीके दें जवाब, कैसे दबाव में है आयोग?: आयोग ने अपने लीगल नोटिस में यह भी आरोप लगाया है कि प्रशांत किशोर का कहना है कि बीपीएससी गलत कर पा रही है क्योंकि सरकार उसके पीछे खड़ी है. परीक्षा से पहले ही आधे से ज्यादा सीट सरकार के साथ मिलकर आयोग ने बेच दी है. आयोग ने कहा है कि पीके के ऐसे आरोपों से बीपीएससी जैसी स्वायत्त संस्था की छवि धूमिल हुई है. अगर 7 दिन के भीतर वह सभी आरोप का जवाब दें, अन्यथा आगे कानूनी कार्रवाई होगी.
"प्रशांत किशोर ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इससे बीपीएससी जैसी स्वायत्त संस्था की छवि धूमिल हुई है. इसलिए हमने लीगल नोटिस में मांग की है कि 7 दिन के भीतर सभी आरोप का वे साक्ष्य के साथ जवाब दें. अगर वह समूचित जवाब नहीं देते हैं तो आगे कानूनी कार्रवाई होगी."- सत्य प्रकाश शर्मा, सचिव, बिहार लोक सेवा आयोग
परीक्षा में नहीं हुआ पेपर लीक: आयोग के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा का कहना है कि बीपीएससी स्वायत्त संस्था है और यह किसी के दबाव में काम नहीं करती. 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा में कहीं पेपर लीक नहीं हुआ है ना ही पेपर लिखकर साक्ष्य मिला है. एक केंद्र पर प्रश्न पत्र समय पर ना मिलने से अनियमित हुई तो आयोग ने उसे केंद्र की परीक्षा रद्द की. दोबारा 4 जनवरी को स्वच्छ और कदाचार मुक्त माहौल में परीक्षा आयोजित किया गया.
गड़बड़ी के सबूत हो तो आयोग को दें: सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि जो लोग परीक्षा पर प्रश्न चिह्न खड़े कर रहे हैं, उन्हें उस समय भी आयोग की ओर से कहा गया था कि कहीं कुछ गड़बड़ी के साक्ष्य हैं तो आयोग को उपलब्ध कराएं. किसी ने भी कोई ऐसा साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया है. जिसके कारण सभी केंद्र की परीक्षा रद्द की जाए.
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