पटना : बिहार में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. जलवायु परिवर्तन की मार भी बिहार झेल रहा है. जिसका असर अब तक पांच दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी नदियों पर पड़ा है. बड़ी नदियों पर भी संकट के बादल हैं. गंगा, घाघरा, कमला बलान, फल्गु, दुर्गावती जैसी नदियों का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. पिछले चार-पांच सालों में गंगा जैसी नदियों में जून महीने में हर साल पानी नीचे चला जा रहा है.
लगातार घट रहा गंगा का जलस्तर : जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट की माने तो पिछले तीन सालों में जून महीने में गंगा में पानी लगभग एक मीटर नीचे जा चुका है. गंगा जैसी नदियों पर काम करने वाले विशेषज्ञ भी कहते हैं की स्थिति चिंताजनक है. नदियों का जो जल स्रोत है, वहां से भी पानी कम आ रहा है और लगातार हो रहे नदियों में कंस्ट्रक्शन से भी असर पड़ा है.
गंगा नदी का हर साल जलस्तर नीचे जा रहा :हिमालय के नेपाल स्थित जल ग्रहण क्षेत्र में बारिश पर कई नदियों के जल स्तर पर असर डालता है. अत्यधिक बारिश होने पर सभी नदियां उफान भरने लगती हैं. पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार कहते रहे हैं नेपाल में होने वाली बारिश का सीधा असर बिहार की नदियों से है. नेपाल के क्षेत्र में डैम बनने के बाद ही नेपाल से आने वाले पानी को नियंत्रित किया जा सकता है. अब कुछ दिनों में ही बिहार में भी मानसून प्रवेश कर जाएगा, तब देखना है नदियों के जलस्तर पर क्या असर होता है.
भागलपुर में सबसे कम जलस्तर : गंगा बिहार की सबसे बड़ी नदियों में से एक है लगातार जलस्तर घट रहा है. जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जून महीने में गंगा नदी में औसतन 27 मीटर से 51 मीटर तक पानी रहता था लेकिन अब 24.50 मीटर से 48.75 मीटर तक पानी पहुंच गया है और इसमें भी कमी आ रही है. भागलपुर में सबसे कम तो बक्सर में सबसे अधिक है.
बिहार में क्या है गंगा की हालत. (ETV Bharat) 'बिहार जल संकट की ओर बढ़ रहा' :विशेषज्ञ दिनेश मिश्रा के अनुसार, ''जलवायु परिवर्तन के कारण बिहार की नदियों पर भी असर पड़ा है. मानसून में कम बारिश और समय पर बारिश नहीं होने के कारण भी स्थिति खराब हुई है. नदियों में गाद लगातार बढ़ता जा रहा है. गाद बढ़ने का बड़ा कारण बराज और बांध हैं. गाद की सही स्थिति का पता लगाने के लिए अंग्रेज जब भारत छोड़कर गए थे, उस समय नदियों को लेकर उन्होंने आकलन किया होगा, उस रिपोर्ट को देखना चाहिए और आज से तुलना करनी चाहिए. नदियों का जल स्रोत भी संकट में है. वहां से पानी कम आ रहा है और अनियमित ढंग से आ रहा है, इसलिए बिहार जल संकट की ओर बढ़ रहा है.''
20 वर्षों में 6 वर्ष ही सामान्य से अधिक बारिश :अगर गौर से देखें तो, पिछले 20 वर्षों में बिहार में औसत से भी कम बारिश हुई है. बिहार में औसतन 850 से 950 मिली मीटर बारिश होती है, लेकिन पिछले तीन वर्षों में औसतन 800 मिलीमीटर बारिश हुई है. 2023 में 760 मिली मीटर तो उससे पहले 2022 में 683 मिली मीटर बारिश हुई थी. जल संसाधन विभाग के आंकड़ों को देखें तो पिछले 20 वर्षों में केवल 6 वर्ष में ही सामान्य से अधिक बारिश हुई है.
घट रहा जलस्तर. (ETV Bharat) नदियों में बढ़ रहा गाद : नदियों का हाल बेहाल है क्योंकि नदियों में गाद लगातार बढ़ता जा रहा है. गंगा नदी सालाना 736 मीट्रिक टन गाद लेकर बहती है. फरक्का बराज बनने के बाद 328 मीट्रिक टन गाद घाट जमा हो जाता है. पटना और भोजपुर में ही गंगा में लगभग 30 करोड़ सीएफटी गाद जमा हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व के जल संसाधन मंत्री संजय झा की ओर से गाद को लेकर लगातार केंद्र सरकार के सामने मांग रखी जाती रही है.
नदी किनारे कंस्ट्रक्शन से हो रही परेशानी :गंगा बचाओ अभियान चलाने वाले गुड्डू बाबा का कहना है कि गंगा का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. गंगा एक तरह से खतरे में है क्योंकि जिस प्रकार से निर्माण कार्य हो रहा है वह सब गंगा के पेट में किया जा रहा है. गंगा नदी के ऊपर कई ब्रिज बन रहे हैं और गंगा किनारे भी लगातार कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. पटना में गंगा नदी के किनारे मरीन ड्राइव का निर्माण किया गया है और लगातार कंस्ट्रक्शन हो रहा है जो सही नहीं है.
''पहले ही गंगा पटना से दूर जा चुकी है, अब अधिकांश घाट से गंगा दूर है. केंद्र सरकार की ओर से गंगा को लेकर कई योजनाएं चल रही है लेकिन आज हकीकत है कि गंगा में खुलेआम नालों की पानी को बहाया जाता है. गंगा में जो पानी है उसकी सहायक नदियों की पानी है. यही कारण है कि सहायक नदियों से जब पानी आना कम होता है तो गंगा की स्थिति और खराब हो जाती है. सहायक नदियों में उफान आने पर गंगा में भी उफान देखने को मिलता है.''-गुड्डू बाबा, गंगा बचाओ अभियान के प्रमुख
क्या है कारण. (ETV Bharat) लगातार किया जा रहा काम- मंत्री :बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार का कहना है जलवायु परिवर्तन को लेकर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली अभियान चलाया है. पिछले 3 सालों में इस पर काफी काम किया गया है. पेड़ पौधे बड़ी संख्या में लगाने के साथ जल स्रोत को विकसित किया गया है. लगातार इस पर काम चल रहा है. जल स्रोत को अतिक्रमण मुक्त भी किया गया है. भूमि का वाटर लेवल कैसे बढ़े इस पर भी काम लगातार हो रहा है. वाटर मैनेजमेंट पर भी नीतीश कुमार जोर दे रहे हैं.
जलाशय और नदियों की स्थिति बेहाल :जल संसाधन विभाग के रिपोर्ट के अनुसार इस साल बिहार में 23 जलाशयों में से अधिकांश में पानी काफी कम हो गयी है, कई सुख भी गए हैं. वहीं 60 से अधिक नदियों में पानी नहीं है. अन्य नदियों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है है. बिहार की जिन नदियों में पानी नहीं है उनमें अधवारा, खिरोई, झरही, अपर बदुआ, बरंडी, पश्चिम कनकई, चिरायण, पंडई , सिकरहना, फरियानी, परमान, दाहा, गंडकी, पुना, पुनपुन, बनास, मरहा, पंचाने, धोबा, चिरैया, मुहाने, नोनाई, भूतही, लोकाइन, चंदन, चीर, गेरुआ, धर्मावती, हरोहर, मुहानी, सियारी, माही, थोमान, अवसाने, पैमार, बरनार, अपर किउल, दरघा,कररुआ, सकरी, तिलैया, मोरहर, जमुने, नून, कारीकोसी, बटाने, किउल, बलान, लखन देई, खलखलिया, काव, कर्मनाशा, कुदरा, सुअवरा, दुर्गावती, कमलाधार, तीस भंवरी, जीवछ, बाया, डोर, कुंभरी सासी, धनायन, अदरी, केशहर, मदाड़, झिकरीया, सुखनर, स्याही बलदइया, बैती, चंद्रभागा, छोटी बागमती, खुरी, फल्गु, कंचन, छाड़ी, सोन, धनखड जैसी नदियां प्रमुख रूप से है.
बारिश नहीं हुई तो संकट और गहराएगा : जल संसाधन विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बड़ी नदियों की स्थिति चिंताजनक है और अगले एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो पानी आधा मीटर तक और नीचे जाने की संभावना है. दोनों बड़े बराज बाल्मीकि नगर के गंडक बराज और बीरपुर बराज कोसी की स्थिति लगातार खराब हो रही है. बीरपुर बराज में महज 33000 क्यूसेक तो बाल्मीकि नगर बाराज में मात्र 10000 क्यूसेक पानी बचा है. ऐसे में मौसम विभाग ने इस बार बिहार में सामान्य बारिश होने का अनुमान लगाया है लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून पर भी असर पड़ा है. यदि मानसून में अच्छी बारिश नहीं हुई तो जल संकट बड़ी समस्या आने वाले दिनों में बन सकती है.
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