देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के लिए देरी के पीछे वजह सरकार का समय पर आरक्षण व्यवस्था तय न कर पाना है. हालांकि सरकार में राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद ये कहकर सरका दी थी कि सरकार पंचायत चुनाव के लिए तैयार है और राज्य निर्वाचन आयोग जब चाहे तारीख तय कर सकता है, लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार ने अब तक आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट ही नहीं की है. लिहाजा राज्य निर्वाचन आयोग अब सरकार की आरक्षण व्यवस्था का इंतजार कर रहा है.
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर जहां एक तरफ घमासान मचा है तो वहीं अब सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों ही अपनी-अपनी तैयारी को पूरा होने की बात कहकर गेंद एक दूसरे के पहले में सरका रहे हैं. पंचायतीराज सचिव चंद्रेश यादव ये पहले ही कह चुके हैं कि राज्य सरकार चुनाव कराने के लिए तैयार है और राज्य निर्वाचन आयोग जब भी चुनाव की तारीख तय करेगा, उसी दौरान चुनाव कराए जाएंगे.
सरकार की तरफ से आरक्षण की स्थिति स्पष्ट ही नहीं: उधर, अब राज्य निर्वाचन आयोग ने यह कहकर सरकार की तैयारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि अभी सरकार की तरफ से आरक्षण की स्थिति स्पष्ट ही नहीं की गई है. लिहाजा बिना आरक्षण के चुनाव संपन्न कराया जाना संभव नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग की माने तो अक्टूबर महीने के पहले ही सप्ताह में सरकार ने परिसीमन तय कर दिया था. इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने सात अक्टूबर से ही वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का कार्य शुरू कर दिया था, जिसका अंतिम प्रकाशन 13 जनवरी 2025 को किया जाएगा.