देहरादून: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के द्विवार्षिक अधिवेशन के दौरान प्रदेश कार्यकारिणी की निर्वाचन प्रक्रिया उस समय हंगामे की भेंट चढ़ गई, जब मौके पर ही कई कर्मचारियों ने निर्वाचन प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाकर नारेबाजी शुरू कर दीच. बड़ी बात ये है कि एक तरफ अधिवेशन कक्ष में निर्वाचन प्रक्रिया के बाद नए पदाधिकारियों को बधाई दी जा रही थी, तो दूसरी तरफ विरोध करने वाले कर्मचारियों ने भी अपने अलग पदाधिकारी को फूल मालाएं पहनाकर उन्हें पदाधिकारी बना लिया.
दरअसल निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान अध्यक्ष और महामंत्री पद पर चुनाव के लिए नाम प्रस्तावित किए गए और इसमें एक खेमे के प्रस्तावित नामों को निर्वाचन सूची में नहीं होने के कारण खारिज कर दिया गया. इस तरह अध्यक्ष और महामंत्री के महत्वपूर्ण पद पर बिना चुनाव के ही पदाधिकारी निर्वाचित हो गए.
इस पूरी प्रक्रिया के बाद कई कर्मचारियों ने हंगामा शुरू कर दिया और इसे धांधली का नाम देना शुरू कर दिया. वन विभाग के रेंजर संघ के अध्यक्ष विनोद चौहान समेत दूसरे तमाम विभागों के कर्मचारियों ने नारेबाजी शुरू कर दी और चुनाव में धांधली होने की बात कहकर कोर्ट की शरण में जाने की बात कही.
नगर निगम की हाल में हुई इस प्रक्रिया के दौरान एक अजीब सी स्थिति तब बन गई, जब एक तरफ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष के तौर पर पूर्व अध्यक्ष रहे अरुण पांडे को एक बार फिर निर्वाचित होने पर कर्मचारी बधाई दे रहे थे, तो दूसरी तरफ कई कर्मचारी विनोद चौहान को फूल माला पहनकर उन्हें अपना अध्यक्ष बता रहे थे.
कुछ कर्मचारियों ने आरोप लगाया गया कि निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान सेवानिवृत कर्मचारियों को निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है. इसके अलावा संगठन के संविधान का भी पालन नहीं किया गया.
कर्मचारी नेता अरुण पांडे ने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ पुरी की गई है और केवल कुछ लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं, जिनका नाम निर्वाचन सूची में ही शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एकजुट है और कुछ शरारती सदस्यों एवं तत्वों के विरुद्ध जल्द परिषद प्रांतीय कार्यकारिणी में ठोस कार्रवाई करेगी.
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