देहरादूनः प्रयागराज महाकुंभ 2025 की चर्चा देश-दुनिया में चारों तरफ है. पहली बार 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम नगर प्रयागराज पहुंचकर महाकुंभ का पुण्य लाभ लिया है. प्रयागराज महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं को देखकर उत्तराखंड सरकार ने भी हरिद्वार में होने वाले 2027 के अर्ध कुंभ को लेकर कमर कस ली है. 6 साल बाद लगने वाले इस अर्ध कुंभ में भी करोड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. लेकिन इस बार हरिद्वार अर्धकुंभ को ऐतिहासिक बनाने की ठोस वजह गंगा सभा ने बताई है. जिस पर विचार हुआ तो अर्धकुंभ का पूरा स्वरूप बदल जाएगा.
क्या होता है कुंभ और अर्धकुंभ में अंतर: हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में हर 12 साल के बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है. इसके अलावा हर 6 साल बाद प्रयागराज और हरिद्वार में अर्ध कुंभ मेले का आयोजन होता है. हालांकि कुंभ मेला और अर्ध कुंभ मेला दोनों ही का स्वरूप बेहद अलग होता है. साधु संतों की पेशवाई, श्रद्धालुओं की भीड़, कुंभ में सबसे अधिक होती है. जबकि 6 साल में लगने वाले अर्ध कुंभ मेले में वह भव्यता भले ही ना हो. लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ अर्ध कुंभ मेले में भी अत्यधिक पहुंचती है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार या उत्तराखंड सरकार इस अर्धकुंभ मेले को करवाने के लिए सालों पहले तैयारी शुरू कर देती है. इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने भी अर्धकुंभ मिले पर अपना फोकस करना शुरू कर दिया है.
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दो साल में होने हैं ये काम: साल 2027 में हरिद्वार अर्धकुंभ के साथ राज्य में विधानसभा चुनाव भी होंगे. ऐसे में हरिद्वार जिला प्रशासन अभी से यह सुनिश्चित कर रहा कि अर्धकुंभ मेले में पार्किंग व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था, सुरक्षा यातायात, श्रद्धालुओं के रुकने खाने-पीने और आने-जाने की क्या रूपरेखा रहेगी. हरिद्वार में बन रहे कॉरिडोर का काम कब शुरू होगा और क्या 2027 अर्ध कुंभ मेले तक इसका काम पूरा किया जा सकता है या नहीं? इसको लेकर भी प्रशासन संबंधित एजेंसी से बातचीत कर रहा है. ताकि बीच अर्धकुंभ मेले में किसी तरह की अव्यवस्था की वजह से श्रद्धालुओं को दिक्कत ना हो.
जिलाधिकारी हरिद्वार कर्मेंद्र सिंह का कहना है कि,
हमने हाल ही में एक बैठक की है. जिसमें अर्धकुंभ को लेकर विस्तार से चर्चा हुई है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी विभागों को अपने-अपने काम बता दिए जाएं. जो काम पक्के होने हैं उनको शुरू करने के लिए जल्द से जल्द डीपीआर तैयार की जाए. जो अल्पकालिक कम होने हैं, उन कामों की भी सूची जल्द शासन प्रशासन को उपलब्ध करवाई जाए. ताकि बजट भी जारी किया जा सके. कुंभ मेले की तरह ही अर्धकुंभ मेले में हम लोग व्यवस्था हर बार करते हैं. हम पिछले सालों की व्यवस्था का भी अवलोकन कर रहे हैं.
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भव्यता अलग होगी अर्धकुंभ की: गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे का कहना है कि,
उत्तराखंड प्रशासन के कई अधिकारी प्रयागराज कुंभ में मौजूद हैं. हमारी एक लंबी-चौड़ी टीम उत्तर प्रदेश के महाआयोजन का हिस्सा बनी हुई है. ऐसे में स्वाभाविक है कि हमारे यहां कांवड़ मेला, कुंभ मेला और अर्धकुंभ जैसे आयोजन के साथ-साथ बड़े स्नान भी आयोजित होते हैं. इसलिए हम ऐसे अधिकारियों और पूर्व के अधिकारियों का अनुभव भी अर्धकुंभ और कांवड़ मेले में भरपूर लेंगे. उम्मीद है कि साल 2027 में होने वाले अर्ध कुंभ की भव्यता भी बेहद अलग होगी.
ये बात सरकार और संतों ने मानी तो अलौकिक होगा अर्धकुंभ: साल 2027 में अर्धकुंभ को लेकर हरिद्वार की प्रमुख गंगा सभा संस्थान ने राज्य सरकार और सभी अखाड़ों से वार्ता करने का मन बनाया है. यह वार्ता इसलिए होगी ताकि साल 2021 के हरिद्वार में आयोजित हुए कुंभ के दौरान कोरोना महामारी ने मेले की भव्यता को फीका किया था. उस दौरान साधु संत, कुंभ के दौरान होने वाली पेशवाई का आयोजन नहीं कर पाए थे.
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दूसरी बात यह है कि हरिद्वार में आयोजित होने वाले अर्ध कुंभ मेले के दौरान ही उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है. लेकिन इस 2027 के हरिद्वार अर्धकुंभ और 2028 के उज्जैन कुंभ के बीच 1 साल का अंतर होगा. लिहाजा गंगा सभा को उम्मीद है कि अगर राज्य सरकार और संतों से बातचीत की जाएगी तो इस बार का अर्धकुंभ मेला हरिद्वार में बेहद भव्य और दिव्य होगा.
गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि,
गंगा सभा इसलिए इस मुद्दे पर बातचीत करेगी. क्योंकि संस्था हर की पैड़ी का प्रतिनिधित्व करती है. ऐसे में वह सभी गणमान्य लोगों से बातचीत करेंगे. ताकि इस बार का अर्थ कुंभ मेला प्रयागराज की तरह ही भव्य और दिव्या हो.
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