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राजस्थान के दो विधायकों ने छोड़ा 'हाथी' का साथ, थामा तीर-कमान, शिवसेना (शिंदे) में शामिल हुए बसपा विधायक न्यांगली और जसवंत गुर्जर - Two MLAs left BSP

लोकसभा चुनाव के बीच ही नेताओं के 'आने जाने' का दौर जारी है. इसी कड़ी में राजस्थान के दो नेताओं ने बसपा छोड़कर शिवसेना (शिंदे) का दामन थामा है. दोनों ही नेता ​वर्तमान में बसपा से विधायक हैं.

Two Rajasthan MLAs left BSP, joined Shiv Sena Shinde
राजस्थान के दो विधायकों ने बसपा का साथ छोड़ा, शिवसेना शिंदे में आए

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 16, 2024, 1:15 PM IST

जयपुर. लोकसभा चुनाव की गहमा-गहमी के बीच राजस्थान की राजनीति से जुड़ी यह बड़ी और चौंकाने वाली खबर है. बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए दो विधायकों ने हाथी का साथ छोड़कर शिवसेना (शिंदे) ज्वाइन कर ली है. मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बसपा से आए दोनों विधायकों को शिवसेना (शिंदे) पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई. दरअसल, बसपा के टिकट पर चूरू जिले की सादुलपुर सीट से विधायक बने मनोज न्यांगली और धौलपुर की बाड़ी सीट से विधायक बने जसवंत गुर्जर ने शिवसेना (शिंदे) का दामन थामा है.इसकी पुष्टि महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना (शिंदे) के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर की है.

शिंदे ने लिखा, 'राजस्थान और महाराष्ट्र का एक दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध है. राजस्थान वीर महाराणा प्रताप की भूमि है तो महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है. उनके विचारों को अपनाकर हमारी सरकार आगे बढ़ रही है और इस धरती से दो नए शिलेदारों के शिवसेना में शामिल होने से राजस्थान में शिवसेना और मजबूत हो गई है.'

राजस्थान में बीते साल हुए विधानसभा चुनावों में बसपा के 2 विधायकों ने जीत हासिल की थी, जो दोनों अब शिवसेना के पाले में चले गए हैं. दरअसल किसी एक दल या निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद किसी दूसरे दल को समर्थन देने से उनकी विधानसभा सदस्यता खतरे में नहीं आती है.

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कमल खिलाने में जुटेंगे गुर्जर और न्यांगली:महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे) और भाजपा सत्ता में साझेदार है. वहां दोनों पार्टियों के गठबंधन की सरकार है, जबकि लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना (शिंदे) भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. ऐसे में शिवसेना (शिंदे) का दामन थामने के बाद विधायक मनोज न्यांगली और जसवंत गुर्जर चूरू और धौलपुर में कमल खिलाने की कवायद में जुटेंगे.

राजपूत और गुर्जर वोट साधने की कवायद : चूरू की सादुलपुर सीट से चुनाव जीते मनोज न्यांगली की राजपूत मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है, जबकि गुर्जर समाज से आने वाले जसवंत गुर्जर धौलपुर की बाड़ी सीट से विधायक हैं. इन दोनों के शिवसेना (शिंदे) में शामिल होने को राजस्थान में अकेले चुनाव लड़ रही भाजपा के लिए इन दोनों समाज के मतदाताओं को साधने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है.

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रूपाला से नाराज राजपूत वोटर्स को साध पाएंगे न्यांगली: लोकसभा चुनाव के बीच केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने गुजरात की एक सभा में राजपूत समाज की महिलाओं को लेकर विवादित बयान दिया था. इसके बाद से देशभर में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. राजपूत समाज ने भाजपा आलाकमान को अल्टीमेटम देते हुए पुरुषोत्तम रूपाला के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर लोकसभा चुनाव में राजपूत समाज ने भाजपा को इसका खामियाजा भुगतने की भी चेतावनी दी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि भाजपा की सहयोगी शिवसेना (शिंदे) में शामिल होकर मनोज न्यांगली क्या राजपूत मतदाताओं को भाजपा के लिए साध पाएंगे.

चुनाव से पहले बसपा को बड़ा धक्का: इन दोनों विधायकों के शिवसेना में शामिल होने से बहुजन समाज पार्टी को बड़ा धक्का लगा है. मनोज न्यांगली वर्तमान में सादुलपुर से विधायक है. मनोज 2013 में भी सादुलपुर से विधायक रह चुके हैं. उनकी सादुलपुर में अच्छी पकड़ है. विधानसभा चुनाव में न्यागली ने कांग्रेस की बड़ी नेता कृष्णा पूनिया को हराया था.

शिंदे गुट की शिवसेना राजस्थान में बढ़ा रही अपना दायरा: यह पहला मौका नहीं हैं, जब हाल ही के समय में नेता शिवसेना में जा रहे हैं. इससे पहले राजस्थान में भरतपुर के बयाना रूपवास से निर्दलीय विधायक रितु बनावत ने भी शिवसेना को समर्थन दिया था. वहीं राजस्थान की राजनीति में चर्चित चेहरा राजेंद्र गुढ़ा भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो चुके हैं.

कांग्रेस-बीजेपी के काम आते हैं बसपा विधायक: दरअसल, पिछले 10 सालों के सूबे के राजनीतिक इतिहास को देखें तो बसपा विधायक कांग्रेस को ही किसी ना किसी तरह समर्थन देते रहे हैं, लेकिन इस बार बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना मायावती के विधायकों को अपने पाले में ले जाने में कामयाब हो गई.

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