कोटा : मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए देशभर से स्टूडेंट्स कोटा आते हैं. साल 2024 में यहां आने वाले स्टूडेंट की संख्या कम थी. इसके चलते इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा था, लेकिन इस साल हालात काफी सुधरते नजर आ रहे हैं. इस साल कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के साथ-साथ अन्य स्टेक होल्डर भी दावा कर रहे हैं कि बच्चों की संख्या बढ़ रही है. पहले अप्रैल से शुरू होने वाले सेशन के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह और फरवरी में क्वेरी आती थी, लेकिन इस बार अभी से क्वेरी आने का सिलसिला शुरू हो गया है.
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा को लेकर इस बार पूरी तरह से सकारात्मक माहौल है. जिला प्रशासन, पुलिस, कोचिंग, हॉस्टल और सभी स्थानीय लोग इसके लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि कोचिंग की जिस तरह की फैसिलिटी कोटा में है, वो देश और दुनिया में कहीं नहीं है. इसी के चलते अभी से ही इंक्वायरी बढ़ गई है. हर दिन 50 से 100 पेरेंट्स कोटा के अलग-अलग एरिया के हॉस्टल और कोचिंग का विजिट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से माहौल वर्तमान में दिख रहा है, इस बार बच्चों की संख्या बढ़ सकती है.
क्वेरी आनी शुरू : हॉस्टल संचालक भुवनेश नागर का कहना है कि बीते साल से इस बार जल्दी क्वेरी आनी शुरू हो गई है. इसका असर ये हो सकता है कि इस बार बीते साल से ज्यादा संख्या में बच्चे कोटा आएं. कोटा इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से हॉस्टल एसोसिएशन ने पेरेंट्स के लिए अपील की है कि वो कोटा का विजिट करें और हॉस्टल्स की व्यवस्थाओं को देखें. उन्हें निःशुल्क रुकना और भोजन की व्यवस्था दी जाएगी. उसका असर अभी से ही दिखने लगा है.
रिजल्ट में टॉप पर रहा था कोटा : दूसरे शहरों से परीक्षा देने वाले बच्चों की अपेक्षा कोटा से मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस के एग्जाम देने वाले बच्चों में कोटा टॉपर्स और सिलेक्शन के मामले में अव्वल रहा है. निजी कोचिंग संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट विनोद कुमावत का कहना है कि इंजीनियरिंग एंट्रेंस जेईई मेन और एडवांस्ड दोनों में कोटा का सिक्का जमकर चला था. इसके साथ ही नीट यूजी में भी कोटा के स्टूडेंट ने बाजी मारी थी. कोटा के जरिए देश के बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों और मेडिकल संस्थानों में पहुंचने वाले स्टूडेंट की संख्या एक तिहाई होती है. इनमें से अधिकांश बच्चे अपने होमटाउन या स्टेट से एग्जाम देते हैं, लेकिन सफलता में उनका कोटा का ही श्रेय रहता है.
कलेक्टर ने खुले पत्र से बताए ये प्रयास : जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने भी कोटा से ही मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी की थी. इसके बाद उन्होंने एमबीबीएस किया और बाद में सिविल सर्विसेज के लिए सफल हुए. वर्तमान में कोटा के कलेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने भी स्टूडेंट-पेरेंट्स को खुला पत्र लिखा है और बताया है कि कोटा शिक्षा की काशी है. देशभर के लाखों बच्चों का भविष्य बना चुकी है. यहां आने वाले बच्चों का देखभाल के लिए कोटा जिला प्रशासन के अलावा यहां के लोग कृत संकल्पित हैं. उन्होंने पत्र में बताया कि कोटा महोत्सव, गेट कीपर ट्रेनिंग, अधिकारियों की मॉनिटरिंग और संवाद सहित कई नवाचार किए गए हैं. उनके लिए डिनर विद कलेक्टर और अन्य संवाद कार्यक्रम भी किए जाते हैं. यह सब कुछ कोटा आने वाले बच्चों के लिए किया गया है. कोटा राष्ट्र निर्माण में अपनी पूरी भूमिका निभाता है, इसलिए कोटा के प्रति सकारात्मक सोच खड़ी हुई है.
कोटा सिखाता है देश व दुनिया में नेतृत्व क्षमता : लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी कोटा कोचिंग की तारीफ करते हुए कहा है कि सभी पेरेंट्स जो अपने बच्चों को कोटा पढ़ाना चाहते हैं, उनको यहां भेजना चाहिए. कोटा के बारे में गलतफहमियां फैलाई गई हैं, जबकि यहां ऐसा कुछ भी नहीं है. कोटा के प्रत्येक परिवार कोचिंग के स्टूडेंट की परवरिश अपने बच्चों की तरह करता है और इसी के बूते इतनी सफलता यहां के बच्चों ने अर्जित की है. कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस का गढ़ इन्हीं के बूते पर बना है.
मेटा कोलिब्रेशन, SOS ऐप से लेकर डेडिकेटेड पुलिस चौकियां : कोटा सिटी एसपी डॉ. अमृता दुहन ने भी कोटा पढ़ने वाले बच्चों और यहां पढ़ने के इच्छुक बच्चों के पेरेंट्स को आश्वासन दिया है कि सुरक्षा की दृष्टि से कोटा सबसे सेफ है. कोटा को लेकर कई प्रयास पुलिस और प्रशासन ने किए हैं. उनका कहना है कि हर तरह की सुविधा कोटा के बच्चों को मुहैया कराई जा रही है. कोटा सिटी पुलिस की कई टीमें कोचिंग स्टूडेंट के वेलफेयर के लिए काम करती हैं. उनके लिए स्पेसिफिक पुलिस चौकियां बनी हुई है. इसके साथ ही उनके सुरक्षा के लिए पुलिस के एसओएस सहायता, कालिका स्क्वाड पेट्रोलिंग व हेल्पलाइन नंबर जारी किए हुए हैं. इनके जरिए पूरे 24 घंटे मदद ले सकते हैं. यहां तक कि मेटा से कोलिब्रेशन किया हुआ है, ताकि किसी भी तरह के अवसाद में बच्चा होने पर सोशल मीडिया पर जब लिखेगा तो तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी मिलेगी.
कम हो गई थी बच्चों की संख्या, ये भी लगा था दाग : कोटा में साल 2022 में जहां पर 2,20,000 से भी ज्यादा बच्चे थे, इनमें साल 2023 में गिरावट आई थी. यह संख्या 181000 पहुंच गई थी. इसके बाद 2024 में यह और गिर गया था और तब 120000 बच्चे कोटा आए थे. इसके चलते कोटा की इकोनॉमी को काफी झटका लगा था. कोटा की अर्थव्यवस्था की धुरी कोचिंग के जरिए ही घूमती है. अधिकांश हॉस्टल और पीजी खाली थे, उनमें टू लेट के बोर्ड लगे रहे. ऐसे में यहां के ऑटो ड्राइवर से लेकर रोडसाइड शॉप, रेस्टोरेंट, हॉस्टल, मैस से लेकर कोचिंग संस्थानों तक पर खतरे की घंटी बज गई थी. यहां तक कि कोटा के लगभग सभी मार्केट पर इसका असर था. कोटा को लेकर सभी स्टेकहोल्डर इस बार काफी मेहनत की और काम कर रहे हैं. सुसाइड को लेकर कोटा की छवि भी खराब हुई थी. इसमें भी काफी सुधार प्रशासन और सभी स्टेकहोल्डर्स की मेहनत से हुआ है. साल 2024 में सुसाइड का आंकड़ा 40 फीसदी नीचे गिर गया है.
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