भीलवाड़ा : प्रदेश के जनजाति विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी उदयपुर से जयपुर जाते समय अल्प समय के लिए भीलवाड़ा सर्किट हाउस में रुके. इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष प्रशांत मेवाड़ा के नेतृत्व में कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी का भव्य स्वागत किया गया. यहां कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए जनजाति क्षेत्र में किए जा रहे विकास और सरकार की उपलब्धियां गिनाईं.
100 छात्रों को नि:शुल्क कोचिंग : मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि जनजाति क्षेत्र में जितना विकास आदिवासियों का होना चाहिए था, वह विकास नहीं हो पाया है. भाजपा सरकार आने के बाद उन्होंने तुरंत अधिकारियों के साथ बैठक ली और पूछा कि जनजाति क्षेत्र में कितने आईएएस, आईपीएस तैयार हुए हैं. जवाब जीरो था. दो-तीन अधिकारी डूंगरपुर से अपने स्तर पर बने हैं. अधिकारियों से पूछा कि अब तक अधिकारी क्यों नहीं बना पाए. इसपर अधिकारियों ने जवाब दिया कि हम महंगी कोचिंग नहीं करा सकते हैं. इसपर अधिकारियों को आरएएस, आईएएस और आईपीएस की कोचिंग का लक्ष्य दिया है. देश के नामचीन संस्थानों से बात हुई है. अब 50 लड़कियों और 50 लड़कों को नि:शुल्क कोचिंग करवाएंगे. यह 50 बच्चे आदिवासी क्षेत्र के और आदिवासी ही होंगे.
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आदिवासियों का नहीं, सिर्फ अपना भला किया : भारत आदिवासी पार्टी 'बाप' आदिवासी क्षेत्र में भाजपा पर हमलावर है, इस सवाल पर कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि 'बाप' कुछ समय के लिए है. देश में जाति के आधार पर कई पार्टियां बनीं और कई राज्यों में सरकारें भी बनीं. बिहार का उदाहरण है, लालू प्रसाद यादव खत्म हो गए. यूपी में मुलायम सिंह व मायावती खत्म हो गईं. यह कुछ समय के लिए ही बूस्ट रहता है. उदयपुर रेंज में भी आदिवासियों को लेकर एक मूवमेंट बना था. इस दौरान आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा था कि हम आदिवासियों की पार्टी है और आदिवासियों का भला करेंगे. पहले बीटीपी के नाम से दो विधायक थे, अब वह पार्टी बाप हो गई. उन्होंने आदिवासियों का भला नहीं किया, सिर्फ अपना भला किया. सांसद राजकुमार रोत का मकान हवामहल जैसा है. राजकुमार के पास जयपुर में बंगला है. बाबूलाल खराड़ी ने आरोप लगाया कि राजकुमार ने माइंस और जमीनें खरीदी हैं, यह सब जनता को दिख रही है. आदिवासी के नाम से यह सिर्फ दुकान चला रहे हैं, जो आदिवासी अब धीरे-धीरे समझ रहे हैं. अब 'बाप' भी खत्म होगी.
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कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए जिले बनाए : प्रदेश में 9 जिले व तीन संभाग समाप्त करने को लेकर खराड़ी ने कहा कि जिलों के लिए आबादी और एरिया का मापदंड होता है. कांग्रेस ने चुनावी वर्ष में केवल और केवल राजनीतिक लाभ के लिए जिले बनाए. कहीं-कहीं तो एक-एक विधानसभा के जिले बना दी. एक विधानसभा में एक आईएएस-आईपीएस बैठेगा, यह संभव नहीं है. कम से कम आबादी और लंबा एरिया होना चाहिए, जिसमें आईएएस और आईपीएस बैठकर जनता का भला कर सके. इसके लिए हमारी सरकार आने के बाद हमने नवगठित जिलों की समीक्षा करवाई. समीक्षा के बाद जो जिले नियम में नहीं आ रहे थे, उन जिलों को खत्म किया. जो जिले हमारी कमेटी के नॉर्म्स में आ रहे थे, उनको यथावत रखा. डोटासरा का काम ही जुबानी हमला बोलने का है. जिले बनाने के बाद भी उनको राजनीति लाभ नहीं मिला. पूर्ववर्ती सरकार ने जितने जिले बनाए उनमें से दो विधानसभा सीटों के अलावा कहीं पर भी जीत दर्ज नहीं की.
बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर 'एक चुनाव-एक स्टेट' हमारी नीति है. इसके तहत काम किया जा रहा है. बार-बार चुनाव कराने से राज्य पर आर्थिक भार पड़ता है. बार-बार आचार संहिता लगने से विकास पर भी विराम लगता है. पंचायत राज व नगर पालिका का चुनाव एक साथ हो जाए, इसके लिए वर्तमान समय में पंचायत का पुनर्सीमांकन भी किया जा रहा है. छोटी पंचायत करने से विकास ज्यादा होगा.