नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की महापौर सुनीता दयाल और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक के बीच तल्खी बढ़ गई है. नगर आयुक्त ने पत्र लिखकर कहा कि महापौर के पति को नगर निगम के फाइलों को देखने का अधिकार नहीं है. फाइलों को अप्रूवल से पहले मंगाकर देखने की बात सामने आई है. नगर आयुक्त ने सभी विभागाध्यक्षों को लेटर भेजा है. वहीं, महापौर ने भी आयोग की तरफ से लगाए गए तमाम आरोपों का पत्र जारी कर जवाब दिया है. नगर आयुक्त को संबोधित करते हुए महापौर ने लिखा कि आप शायद यह स्थापित करना चाहते है कि आपको नगर निगम में निरंकुश शासन करने का अधिकार है.
नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि शासकीय कार्य की पत्रावलियां बिना हस्ताक्षर की स्वीकृति प्राप्त किये बिना ही महापौर के पति के समक्ष प्रस्तुत की जा रही हैं. जबकि, आप नगर निगम की महापौर निर्वाचित है तथा नगर निगम अधिनियम-1959 के अनुसार महापौर को ही बैठक में सम्मलित होने का अधिकार है. शासकीय कार्य की पत्रावली वे केवल नगरााक्त की आज्ञा से देख सकती हैं. विधिवत आवेदन के बाद उन्हें पत्रावली अवलोकन करने की इजाजत दी जाएगी.
आदेश में कहा गया है कि महापौर के पति नगर निगम अधिकारियों से फोन करके उचित माध्यम के बिना पत्रावलियों की कॉपी मंगाते हैं. यह सरकारी कार्य में हस्तक्षेप की श्रेणी में आता है. यह आफिसियल सीक्रेट एक्ट-1923 का खुला उल्लंघन और एक दंडनीय अपराध है. इसके पश्चात भी निरंतर उनके द्वारा इस प्रकार का कार्य आपके सहयोग निरंतर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोई भी पत्रावली उपलब्ध न कराएं और न ही सरकारी.