नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा में खाली प्लॉट पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उस पर लोन अप्लाई करके प्लॉट को कब्जा करने वाले गिरोह का थाना 58 पुलिस ने आज बुधवार को खुलासा किया है, और गिरोह के सरगना समेत नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं.
कैसे बनाया गया फ्राड करने का प्लान: इस गिरोह के सरगना राकेश बिष्ट और देवाशीष हैं. डीसीपी नोएडा राम बदन सिंह ने बताया कि पीड़ित ने थाना 58 में ये शिकायत की कि प्लाट ए-6, सेक्टर 55 नोएडा में 375 स्क्वायर मीटर का है, 14 फरवरी की शाम प्लाट पर लगे कैमरे से पीड़ित ने देखा की कुछ लोग प्लाट का ताला तोड़ रहे है, वह फौरन प्लाट पर पहुंचा, उस वक्त आरोपी वहां से भाग गए. ताला टूटा हुआ था. इस सिलसिले में पुलिस की तरफ से मुकदमा दर्ज एक टीम का गठन किया गया. टीम ने घटना का अनावरण करते हुए सरगना समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया. बताया गया है कि फर्जी दस्तावेज इनके कब्जे से बरामद किये गये.
डीसीपी ने बताया कि राकेश बिष्ट ने देवाशीष को बताया था कि कोई विवादित प्रॉपर्टी हो तो मुझे बताना. इसके बाद देवाशीष ने ए 6 सेक्टर 55 की प्रॉपर्टी के बारे में उसे बताया. दोनों ने मिलकर प्लॉट पर कब्जा करने के लिए थाना 58 में प्लॉट के मालिक केदारनाथ राय के नाम से ऑनलाइन लोकल आर्टिकल रिपोर्ट दर्ज कर दी. इसके बाद केदारनाथ के नाम से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) के लिए एक फॉर्म रजिस्टर्ड कराई गई और केदारनाथ के नाम से ही यूनियन बैंक में एक करंट अकाउंट खोला गया. उसमें आधार कार्ड और अंदर दस्तावेज देवाशीष के लगाए गए.
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फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए: राकेश अक्सर अथॉरिटी के ऑफिस में जाता था और अपने आप को बड़ा अधिकारी बताता था. उसने प्रॉपर्टी के कागज अथॉरिटी से निकलवा लिए और केदारनाथ के नाम से फर्जी सेल डीड और अन्य कागजात तैयार कराए. इन की ओर से बैंक से लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और फर्जी सेल एग्रीमेंट बनाए गए. इसके बाद 50 लाख रुपए आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) और चेक के माध्यम से केदारनाथ राय के फॉर्म में ट्रांसफर कराए गए और लोन के पैसों को आपस में बांट लिया. जिसमें से 15 लाख रुपए राकेश को दिए गए, बाकी सभी लोगों को चार-चार लाख रुपए मिले और 11 लाख रुपए देवाशीष को मिले.
डीसीपी नोएडा का बयान: वर्तमान में प्रॉपर्टी की कीमत 12 करोड़ है लेकिन रितेश और उसके साथी लड़कों से 3 करोड़, 75 लाख में सौदा तय किया गया, इसी प्रॉपर्टी पर हितेश ने 3 करोड़ 21 लाख का लोन अप्लाई किया था. जब फाइनेंस कंपनी का अधिकारी सर्व करने आया तो यह सभी प्लॉट पर मौजूद थे. इस दौरान पीड़ित को उसकी जानकारी मिल गई और उसने मुकदमा दर्ज कर दिया.