सहरसा:राजस्व एवं भूमि सुधारमंत्री दिलीप जायसवाल ने पीएम विश्वकर्मा योजना के एक साल पूरे होने पर सहरसा के राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा 1890 में अंग्रेज के जमाने में लैंड सर्वे का काम शुरू हुआ था. करीब 130 साल बाद बीच में रिवीजनल सर्वे हुआ था लेकिन 130 साल बाद सरकार स्पेशल सर्वे सर्वेक्षण अभियान की शुरुआत की है.
'जमीन विवाद का मामला खत्म हो जाएगा': मंत्री ने कहा कि जब सर्वे की शुरुआत हुई तो 62 प्रतिशत लोग जिनके पास कागजात हैं, उनके अलावे 38 प्रतिशत लोगों (जिनको वंशावली की जरूरत है) को खतियान की जरूरत है. जिनको बंटवारे की जरूरत है, उन लोगों को कागजात निकालने में थोड़ी परेशानी हो सकती है लेकिन सर्वे हो जाने के बाद बिहार के अंदर जमीन का विवाद खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि थाने में 60 प्रतिशत जमीन विवाद को लेकर हत्या, मारपीट और विभिन्न घटना घटती है. ऐसे में जमीन सर्वे से 60 प्रतिशत केस की संख्या में कमी हो जाएगी और सिविल सूट टाइटिल-सूट की स्थिति भी खत्म हो जाएगी.
'थोड़ा कष्ट होगा लेकिन भविष्य में आसानी होगी':दिलीप जायसवाल ने कहा कि सर्वे के बाद सारा पेपर डिजिटल हो जाएगा तो जमीन को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी. हालांकि उन्होंंने माना कि जमीन सर्वे के कारण अभी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अभी जैसे सर्वे शुरू हुआ तो दो तरह के लोगों को काफी परेशानी हो रही है. एक तो वो जो जमीन माफिया हैं और जो किसी की जमीन बेचकर किसी के नाम रजिस्ट्री करवा देता था. वहीं, दूसरे वैसे लोग, जो 50 हजार एकड़ जमीन पूरे बिहार की सरकारी जमीन को अतिक्रमण किए हुए हैं. अब उनको लगता है कि सर्वे होने पर उसका सब राज खुल जाएगा.
लोगों से की मंत्री ने की अपील:राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि जब भी कोई बड़ा काम होता है तो थोड़ी-बहुत दिक्कत होती ही है लेकिन जमीन सर्वे का काम पूरा हो जाने के बाद जमीन विवाद की समस्या का समाधान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं, सर्वे होने से उनके लिए भविष्य में सहूलियत होगी. ऐसे में थोड़ा कष्ट उठाकर भी फिलहाल सभी लोगों को जमीन सर्वे के काम में सहयोग करना चाहिए. मंत्री ने कहा कि कागजात को ठीक करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाएगा, जल्द ही इसको लेकर आदेश जारी कर दिया जाएगा.
"आज जिसका बाल-बच्चा दिल्ली-मुंबई या बेंगलोर में रहता है, आज उसके मा-बाप तो कागज निकाल कर सर्वे करवा लेगा लेकिन 5 साल बाद वह आकर जमीन का खतियान नहीं खोज पाएगा. इसलिए थोड़ा कष्ट तो होगा लेकिन एक बार सर्वे हो जाएगा तो हर चीज डिजीटल हो जाएगी और जमीन का विवाद भी खत्म हो जाएगा. जब कोई बड़ा काम होता है तो थोड़ी दिक्कत तो होती ही है. हम जनता को कागजात सही करने के लिए 3 महीने का समय देने जा रहे हैं."- दिलीप जायसवाल, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार