जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राजस्थान यूनिवर्सिटी के समाज शास्त्र विभागाध्यक्ष व महारानी कॉलेज प्रिंसिपल के निलंबन पर एकलपीठ की ओर से गत 31 मई 2024 को लगाई गई रोक के आदेश में दखल से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही राजस्थान यूनिवर्सिटी की अपील को खारिज कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश दिए.
यूनिवर्सिटी ने अपील में एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एकलपीठ ने राजस्थान यूनिवर्सिटी की वीसी की ओर से समाज शास्त्र विभागाध्यक्ष सोहनलाल शर्मा व महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल निमाली सिंह परमार को निलंबित कर दिया था. यूनिवर्सिटी का कहना था कि सक्षम प्राधिकरण ने प्रथम दृष्टया दोनों के खिलाफ केस बनना पाया था और श्याम लाल जेडिया की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी. ऐसे में एकलपीठ को निलंबन आदेश में दखल का अधिकार नहीं है.
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इसके जवाब में सोहनलाल और निमाली सिंह की ओर से कहा गया कि उनका उत्कृष्ठ सेवा रिकॉर्ड और साफ सुथरी छवि रही है. उनके सर्विस रिकॉर्ड को देखते हुए वीसी ने 4 अगस्त 2022 को उन्हें छात्रसंघ चुनाव 2022 की व्याख्या समिति में सदस्य व सिंडिकेट सदस्य बनाया. समिति का मुख्य कार्य छात्रसंघ चुनाव के संविधान की पालना करवाना व छात्रों के किसी भी तरह के संदेह को दूर करना था.
इस दौरान 2022 के छात्रसंघ चुनाव हुए और उसका परिणाम भी आ गया. वहीं, शोध छात्र प्रतिनिधि के चुनाव में पराजित रहे छात्र पुष्पेन्द्र सिंह ने व्याख्या समिति पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय एसटी आयोग में शिकायत की. जिस पर आयोग ने वीसी को निर्देश दिए और उन्होंने आयोग के प्रभाव में आकर मस्तिष्क का उपयोग किए बिना और सुनवाई का मौका दिए बिना उन्हें निलंबित कर दिया.