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कितने लाख रुपये का कारोबार होने पर GST में करवाना होगा रजिस्ट्रेशन? जानें - GOODS AND SERVICE TAX

लोगों के मन में यह सवाल रहता है यह GST के लिए किन लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना होता है और इसके फायदा क्या है?

GST
किन लोगों के लिए जरूरी है GST रजिस्ट्रेशन करवाना? (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 12 hours ago

नई दिल्ली: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) ने भारत में टैक्स सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया है. इसे 2017 में लागू किया गया था. GST ने एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स जैसे पुराने टैक्स सिस्टम की जगह ली थी. इसका उद्देश्य एक आसान,ट्र्रांसपेरेंट और टैक्स चोरी से मुक्त व्यवस्था बनाना था. खास बात यह है कि जीएसटी के तहत टैक्स पूरे देश में एक समान दरों पर लागू होता है. साथ ही ग्राहक फाइनल प्रोडक्ट की कीमत में टैक्स चुकाते हैं.

ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है यह GST के लिए किन लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना होता है और इसके फायदा क्या है? अगर आपके मन भी जीएसटी को लेकर ऐसे सवाल हैं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. हालांकि, आपके लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर जीएसटी है क्या?

क्या है GST?
GST एक्ट 2017 में लागू किया गया था. इसे कई तरह के इनडायरेक्ट टैक्स जैसे कि एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स आदि की जगह लगाया जाता है. सरकार ने इसे टैक्स चोरी पर लगाम लगाने के लिए लागू किया था. जीएसटी किसी भी चीज पर देशभर में समान रूप से लगता है.

यानी GST एक सिंगल, कम्पोजिट, इनडायरेक्ट टैक्स है जो गुड्स और सर्विस की सप्लाई पर लगाया जाता है. इसके तहत प्रोडक्टस की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर रिटेलर्स के कंजंप्शन तक, जब भी प्रोडक्ट में कोई वैल्यू एडिशन होता है, तो टैक्स लगाया जाता है. ग्राहक इस टैक्स का भुगतान फाइनल स्टेज करते हैं क्योंकि यह प्रोडक्ट की कीमत में शामिल होता है.

GST रेट स्लैब
फिलहाल आम टैक्सपेयर्स के लिए विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए पांच रेट स्लैब बनाए गए हैं. इसकते तहत खाद्य पदार्थों और आवश्यक सेवाओं पर कम दरें लगाई जाती हैं, जबकि लग्जरी आइटम पर ज्यादा टैक्स लगाया जाता है. जीएसटी चार तरह का होता हैं. इनमें सेंट्रल जीएसटी, स्टेट जीएसटी, यूटी जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी शामिल है.

किसको करवाना चाहिए GST के लिए रजिस्टर?
GST रजिस्ट्रेशन उन सभी बिजनेस के लिए जरूरी है, जिनका एक फाइनेंशियल ईयर में 40 लाख रुपये से अधिक का कारोबार है. हालांकि, कुछ राज्यों में यह सीमा 20 लाख और कुछ राज्यों में 10 लाख रुपये है. जीएसटी उन लोगों पर भी लागू होता है जो पहले से उत्पाद शुल्क, वैट या सर्विस टैक्स जैसे पुराने टैक्स के तहत रजिस्टर्ड हैं और इनका भुगतान कर रहे थे.

इसके अलावा अस्थायी रूप से किसी जगह पर कारोबार करने वाले, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत टैक्स देने वाले सप्लायर और एजेंट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म चलाने वाले या उनके जरिए सर्विस और सामान बेचने वाले और भारत में ऑनलाइन डेटा या सर्विस प्रदान करने वाले कारोबारियों को भी GST के तहत रजिस्टर करना जरूरी है.

यह भी पढ़ें- क्यों सस्पेंड होता है आधार कार्ड और कैसे करें एक्टिव ? जानें पूरा प्रॉसेस

नई दिल्ली: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) ने भारत में टैक्स सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया है. इसे 2017 में लागू किया गया था. GST ने एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स जैसे पुराने टैक्स सिस्टम की जगह ली थी. इसका उद्देश्य एक आसान,ट्र्रांसपेरेंट और टैक्स चोरी से मुक्त व्यवस्था बनाना था. खास बात यह है कि जीएसटी के तहत टैक्स पूरे देश में एक समान दरों पर लागू होता है. साथ ही ग्राहक फाइनल प्रोडक्ट की कीमत में टैक्स चुकाते हैं.

ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है यह GST के लिए किन लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना होता है और इसके फायदा क्या है? अगर आपके मन भी जीएसटी को लेकर ऐसे सवाल हैं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. हालांकि, आपके लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर जीएसटी है क्या?

क्या है GST?
GST एक्ट 2017 में लागू किया गया था. इसे कई तरह के इनडायरेक्ट टैक्स जैसे कि एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स आदि की जगह लगाया जाता है. सरकार ने इसे टैक्स चोरी पर लगाम लगाने के लिए लागू किया था. जीएसटी किसी भी चीज पर देशभर में समान रूप से लगता है.

यानी GST एक सिंगल, कम्पोजिट, इनडायरेक्ट टैक्स है जो गुड्स और सर्विस की सप्लाई पर लगाया जाता है. इसके तहत प्रोडक्टस की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर रिटेलर्स के कंजंप्शन तक, जब भी प्रोडक्ट में कोई वैल्यू एडिशन होता है, तो टैक्स लगाया जाता है. ग्राहक इस टैक्स का भुगतान फाइनल स्टेज करते हैं क्योंकि यह प्रोडक्ट की कीमत में शामिल होता है.

GST रेट स्लैब
फिलहाल आम टैक्सपेयर्स के लिए विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए पांच रेट स्लैब बनाए गए हैं. इसकते तहत खाद्य पदार्थों और आवश्यक सेवाओं पर कम दरें लगाई जाती हैं, जबकि लग्जरी आइटम पर ज्यादा टैक्स लगाया जाता है. जीएसटी चार तरह का होता हैं. इनमें सेंट्रल जीएसटी, स्टेट जीएसटी, यूटी जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी शामिल है.

किसको करवाना चाहिए GST के लिए रजिस्टर?
GST रजिस्ट्रेशन उन सभी बिजनेस के लिए जरूरी है, जिनका एक फाइनेंशियल ईयर में 40 लाख रुपये से अधिक का कारोबार है. हालांकि, कुछ राज्यों में यह सीमा 20 लाख और कुछ राज्यों में 10 लाख रुपये है. जीएसटी उन लोगों पर भी लागू होता है जो पहले से उत्पाद शुल्क, वैट या सर्विस टैक्स जैसे पुराने टैक्स के तहत रजिस्टर्ड हैं और इनका भुगतान कर रहे थे.

इसके अलावा अस्थायी रूप से किसी जगह पर कारोबार करने वाले, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत टैक्स देने वाले सप्लायर और एजेंट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म चलाने वाले या उनके जरिए सर्विस और सामान बेचने वाले और भारत में ऑनलाइन डेटा या सर्विस प्रदान करने वाले कारोबारियों को भी GST के तहत रजिस्टर करना जरूरी है.

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