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उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल, विशेषज्ञों से जानें कब हो जाती है डायबिटीज की समस्या - BLOOD SUGAR LEVEL ACCORDING TO AGE

ब्लड शुगर का लेवल उम्र के हिसाब से अलग-अलग होता है और यह फिजिकल एक्टिविटी, मेटाबॉलिक और सामान्य हेल्थ फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है...

What should be the blood sugar level according to age, know from experts when diabetes becomes a problem
उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल, (FREEPIK)
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By ETV Bharat Health Team

Published : 11 hours ago

डायबिटीज के लक्षणों की पहचान और मैनेजमेंट के लिए ब्लड शुगर लेवल महत्वपूर्ण है. बता दें, आपके शरीर को एनर्जी देने के लिए ब्लड शुगर की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि ब्ल शुगर का लेवल बहुत अधिक (हाइपरग्लाइसेमिया) या बहुत कम (हाइपोग्लाइसेमिया) हो या अनियंत्रित हो जाए, तो इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इन स्थितियों में, ग्लूकोज से संबंधित स्थितियों का सटीक प्रारंभिक पता लगाना, रोकथाम और मैनेजमेंट, उम्र और जीवनशैली के आधार पर सामान्य ब्लड शुगर रेंज को समझने पर निर्भर करता है. इस खबर में, हम उम्र के अनुसार नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल का चार्ट, विभिन्न आयु के बीच इसमें उतार-चढ़ाव कैसे होता है, और इसके क्या प्रभाव होते हैं, इस पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम आपको बताएंगे कि ओवरऑल स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए हेल्थी ब्लड शुगर लेवल को कैसे बनाए रखा जाए...

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के मुताबिक जानें ब्लड शुगर लेवल क्या है?

  • ब्लड शुगर लेवल को दो मुख्य परीक्षणों का उपयोग करके मापा जाता है. पहला है फास्टिंग ब्लड शुगर (FBS)- यह कम से कम 8 घंटे के उपवास या भोजन से परहेज के बाद शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मापता है. यह जांच आपको बता सकता है कि फास्टिंग की स्थिति में आपका शरीर ग्लूकोज को किस प्रकार तोड़ता है, जो आधारभूत विनियमों के बारे में अधिक स्पष्टता प्रदान करता है.
  • दूसरा है रैंडम ब्लड शुगर (RBS)- किसी भी समय ग्लूकोज के स्तर को मापता है, चाहे आपने आखिरी बार कब खाया हो यह इस जांच में मायने नहीं रखता है. इसका उपयोग हाइपरग्लाइसेमिया या हाइपोग्लाइसेमिया के लक्षणों की पहचान के लिए किया जाता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि आपका शरीर किसी भी समय ग्लूकोज से कैसे निपटता है.
  • दोनों टेस्ट इस बारे में बेहद मूल्यवान जानकारी देते हैं कि आपका शरीर ब्लड शुगर लेवल को कैसे मैनेज कर रहा है. इसलिए, डायबिटीज या अन्य मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के लक्षणों की पहचान के लिए यह जांच बेहद जरूरी होता है.

medlineplus.gov पर दी गई जानकारी के मुताबिक, उम्र के अनुसार नार्मल ब्लड शुगर लेवल को इस चार्ट के माध्यम से जानें.

बता दें, नार्मल ब्लड शुगर लेवल व्यक्ति की उम्र और स्थिति के साथ बदलता रहता है. इन्हें जानने से आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि आपका ग्लूकोज सही सीमा में है या नहीं. यहां एज क्लासिफिकेशन के आधार पर जानें नार्मल फास्टिंग और रैंडम ब्लड शुगर लेवल के बारे में...

एज ग्रुपफास्टिंग ब्लड शुगर लेवल (mg/dL) रैंडम ब्लड शुगर लेवल (mg/dL) इम्पोर्टेन्ट नोट्स
शिशु या छोटे बच्चे (0-3 वर्ष)60-11060-180ब्लड शुगर के लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है. फास्टिंग का लेवल आम तौर पर 60 और 110 mg/dL के बीच होता है. खाना खाने के बाद रैंडम ब्लड शुगर थोड़ा ज्यादा हो सकता है.
बच्चे (3-12 वर्ष)70-14070-180शिशुओं की तुलना में इसका लेवल थोड़ा ज्यादा होता है. निगरानी महत्वपूर्ण है, विशेषकर यदि परिवार में डायबिटीज का इतिहास रहा हो.
किशोर (13-18 वर्ष)70-14070-180युवा अवस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव ग्लूकोज के लेवल को प्रभावित कर सकता है. विकास के दौरान अस्थायी इंसुलिन प्रतिरोध विकसित हो सकता है.
एडल्ट (19+ वर्ष)70-13070-180ब्लड शुगर का लेवल ज्यादा स्थिर होता है. प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के लिए फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 130 mg/dL से अधिक नहीं होना चाहिए.

ब्लड शुगर लेवल को इफेक्ट करने वाले फैक्टर्स

ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव खाना खाने के अलावा अन्य कई कारणों से भी हो सकता है. जिसमें शामिल हैं...

  • उम्र
  • डाइट
  • फिजिकल एक्टिविटी
  • दवाएं
  • मेडिकल कंडीशन आदि.

ध्यान देनें वाली बात

यदि आपको हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) है तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 130 mg/dL से ऊपर रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 180 mg/dL से अधिक रहेगा. अगर आपका ब्लड शुगर लेवल लगातार इन सीमाओं से ऊपर है, तो आपको प्री-डायबिटीज या डायबिटीज हो सकता है. अगर इसे कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह हार्ट डिजीज, तंत्रिका समस्याओं और किडनी की बीमारियों जैसी गंभीर चिकित्सा समस्याओं का कारण बन सकता है.

अगर आपको लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) की समस्या है, तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 70 mg/dL से कम रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 60 mg/dL से कम रहेगा. आपकों लो ब्लड शुगर के कारण चक्कर आना, भ्रम, बेहोशी और दुर्लभ मामलों में दौरे पड़ सकते हैं. यह आमतौर पर इंसुलिन या एंटीडायबिटिक दवा लेने वाले रोगियों में पाया जाता है, या जो बहुत लंबे समय तक फास्टिंग करते हैं या बहुत लंबे समय तक व्यायाम करते हैं.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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डायबिटीज के लक्षणों की पहचान और मैनेजमेंट के लिए ब्लड शुगर लेवल महत्वपूर्ण है. बता दें, आपके शरीर को एनर्जी देने के लिए ब्लड शुगर की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि ब्ल शुगर का लेवल बहुत अधिक (हाइपरग्लाइसेमिया) या बहुत कम (हाइपोग्लाइसेमिया) हो या अनियंत्रित हो जाए, तो इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इन स्थितियों में, ग्लूकोज से संबंधित स्थितियों का सटीक प्रारंभिक पता लगाना, रोकथाम और मैनेजमेंट, उम्र और जीवनशैली के आधार पर सामान्य ब्लड शुगर रेंज को समझने पर निर्भर करता है. इस खबर में, हम उम्र के अनुसार नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल का चार्ट, विभिन्न आयु के बीच इसमें उतार-चढ़ाव कैसे होता है, और इसके क्या प्रभाव होते हैं, इस पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम आपको बताएंगे कि ओवरऑल स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए हेल्थी ब्लड शुगर लेवल को कैसे बनाए रखा जाए...

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के मुताबिक जानें ब्लड शुगर लेवल क्या है?

  • ब्लड शुगर लेवल को दो मुख्य परीक्षणों का उपयोग करके मापा जाता है. पहला है फास्टिंग ब्लड शुगर (FBS)- यह कम से कम 8 घंटे के उपवास या भोजन से परहेज के बाद शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मापता है. यह जांच आपको बता सकता है कि फास्टिंग की स्थिति में आपका शरीर ग्लूकोज को किस प्रकार तोड़ता है, जो आधारभूत विनियमों के बारे में अधिक स्पष्टता प्रदान करता है.
  • दूसरा है रैंडम ब्लड शुगर (RBS)- किसी भी समय ग्लूकोज के स्तर को मापता है, चाहे आपने आखिरी बार कब खाया हो यह इस जांच में मायने नहीं रखता है. इसका उपयोग हाइपरग्लाइसेमिया या हाइपोग्लाइसेमिया के लक्षणों की पहचान के लिए किया जाता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि आपका शरीर किसी भी समय ग्लूकोज से कैसे निपटता है.
  • दोनों टेस्ट इस बारे में बेहद मूल्यवान जानकारी देते हैं कि आपका शरीर ब्लड शुगर लेवल को कैसे मैनेज कर रहा है. इसलिए, डायबिटीज या अन्य मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के लक्षणों की पहचान के लिए यह जांच बेहद जरूरी होता है.

medlineplus.gov पर दी गई जानकारी के मुताबिक, उम्र के अनुसार नार्मल ब्लड शुगर लेवल को इस चार्ट के माध्यम से जानें.

बता दें, नार्मल ब्लड शुगर लेवल व्यक्ति की उम्र और स्थिति के साथ बदलता रहता है. इन्हें जानने से आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि आपका ग्लूकोज सही सीमा में है या नहीं. यहां एज क्लासिफिकेशन के आधार पर जानें नार्मल फास्टिंग और रैंडम ब्लड शुगर लेवल के बारे में...

एज ग्रुपफास्टिंग ब्लड शुगर लेवल (mg/dL) रैंडम ब्लड शुगर लेवल (mg/dL) इम्पोर्टेन्ट नोट्स
शिशु या छोटे बच्चे (0-3 वर्ष)60-11060-180ब्लड शुगर के लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है. फास्टिंग का लेवल आम तौर पर 60 और 110 mg/dL के बीच होता है. खाना खाने के बाद रैंडम ब्लड शुगर थोड़ा ज्यादा हो सकता है.
बच्चे (3-12 वर्ष)70-14070-180शिशुओं की तुलना में इसका लेवल थोड़ा ज्यादा होता है. निगरानी महत्वपूर्ण है, विशेषकर यदि परिवार में डायबिटीज का इतिहास रहा हो.
किशोर (13-18 वर्ष)70-14070-180युवा अवस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव ग्लूकोज के लेवल को प्रभावित कर सकता है. विकास के दौरान अस्थायी इंसुलिन प्रतिरोध विकसित हो सकता है.
एडल्ट (19+ वर्ष)70-13070-180ब्लड शुगर का लेवल ज्यादा स्थिर होता है. प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के लिए फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 130 mg/dL से अधिक नहीं होना चाहिए.

ब्लड शुगर लेवल को इफेक्ट करने वाले फैक्टर्स

ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव खाना खाने के अलावा अन्य कई कारणों से भी हो सकता है. जिसमें शामिल हैं...

  • उम्र
  • डाइट
  • फिजिकल एक्टिविटी
  • दवाएं
  • मेडिकल कंडीशन आदि.

ध्यान देनें वाली बात

यदि आपको हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) है तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 130 mg/dL से ऊपर रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 180 mg/dL से अधिक रहेगा. अगर आपका ब्लड शुगर लेवल लगातार इन सीमाओं से ऊपर है, तो आपको प्री-डायबिटीज या डायबिटीज हो सकता है. अगर इसे कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह हार्ट डिजीज, तंत्रिका समस्याओं और किडनी की बीमारियों जैसी गंभीर चिकित्सा समस्याओं का कारण बन सकता है.

अगर आपको लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) की समस्या है, तो आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 70 mg/dL से कम रहेगा और रैंडम ब्लड शुगर 60 mg/dL से कम रहेगा. आपकों लो ब्लड शुगर के कारण चक्कर आना, भ्रम, बेहोशी और दुर्लभ मामलों में दौरे पड़ सकते हैं. यह आमतौर पर इंसुलिन या एंटीडायबिटिक दवा लेने वाले रोगियों में पाया जाता है, या जो बहुत लंबे समय तक फास्टिंग करते हैं या बहुत लंबे समय तक व्यायाम करते हैं.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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