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दोनो पांव से विकलांग को नियुक्ति देने का आदेश, कोर्ट ने कहा-विभाग का जवाब हास्यास्पद, एक पांव से और दोनों पांव से विकलांगता से बाहर - HC order on appointment of disable

राजस्थान हाईकोर्ट ने फार्मासिस्ट संविदा भर्ती में दोनों पांव से विकलांग एवं विशेष योग्यजन को नियुक्त नहीं देने पर कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए याचिकाकर्ता को उसके समकक्ष की नियुक्ति देने को कहा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 17, 2024, 6:45 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फार्मासिस्ट संविदा भर्ती में दोनों पांव से विकलांग एवं विशेष योग्यजन को नियुक्त नहीं देने पर कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए याचिकाकर्ता को उसके समकक्ष की नियुक्ति देने को कहा है. जस्टिस अरूण मोंगा की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि 'चिकित्सा विभाग द्वारा दिया गया यह तर्क कि विज्ञापन में आरक्षण केवल एक पैर की विकलांगता के लिए लागू है, दोनों पैरों की विकलांगता के लिए नहीं' बेतुका/हास्यास्पद है. 7 साल बाद याचिकाकर्ता राजेश चौधरी को आखिरकार कोर्ट से न्याय मिला कि दोनों पैर से विकलांग/विशेष योग्यजन को वर्ष 2016 से वरीयता सहित समस्त परिलाभ के साथ 30 दिन में नियुक्ति देने का आदेश दिया है. बलदेव नगर, जोधपुर निवासी याचिकाकर्ता राजेश चौधरी की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने वर्ष 2016 में रिट याचिका पेश की.

याचिका में बताया कि राजेश के दोनों पैर पोलियोग्रस्त होने से वह 45% लोकोमोटर विकलांग है, जिसके लिए सक्षम मेडिकल बोर्ड ने विशेष योग्यजन प्रमाण पत्र जारी कर रखा है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, जयपुर ने 28 जनवरी, 2016 को फार्मासिस्ट के कुल 591 सविंदा पदों के लिए भर्ती निकाली. उक्त विज्ञापन में विशेष योग्यजन के लिए मात्र यह अंकित था कि '40% या इससे अधिक निःशक्तता होने पर ही इस वर्ग के लिए आरक्षित पदों के लिए पात्र माना जावेगा.'

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साथ ही यह अंकित किया गया कि भारत सरकार के परिपत्र और अधिसूचना के सलंग्नक अनुसार चिन्हित श्रेणी के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ देय होगा. भारत सरकार द्वारा फार्मासिस्ट पद के लिए वन लेग, बोथ लेग, वन आर्म और बहरापन श्रेणी को उचित और उपयुक्त माना गया है. याची ने भी अपना आवेदन विशेष योग्यजन और ओबीसी क्षेणी में प्रस्तुत किया. विभाग द्वारा ली गई लिखित परीक्षा वर्ष 2016 में याची ने 95.346% प्राप्त किए. बावजूद इसके, उसे नियुक्ती नहीं दी गई. जिस पर उसने हाइकोर्ट में याचिका पेश की गई.

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याची की ओर से अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि याची ने विभाग द्वारा जारी मेरिट सूची में ओबीसी वर्ग में साथ-साथ विशेष योग्यजन श्रेणी में अंतिम कटऑफ से ज्यादा अंक हासिल किए हैं. बावजूद इसके, उसे न तो ओबीसी वर्ग में नियुक्ति दी और न ही विशेष योग्यजन श्रेणी में नियुक्ति दी गयी. राज्य सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता ने बहस कर बताया कि विज्ञप्ति में बोथ लेग विशेष योग्यजन अभ्यर्थी पात्र नहीं है, लेकिन भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना और सलंग्नक अनुसूची बाबत अनभिज्ञता जाहिर की.

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सुनवाई के बाद कोर्ट 'चिकित्सा विभाग द्वारा दिया गया यह तर्क कि विज्ञापन में आरक्षण केवल एक पैर की विकलांगता के लिए लागू है, दोनों पैरों की विकलांगता के लिए नहीं' बेतुका और हास्यास्पद है. साथ ही केंद्रीय सरकार के द्वारा जारी अधिसूचना के सलंग्नक अनुसुची के सत्यापन के अध्यधीन याची को कनिष्ठ अभ्यर्थियों के नियुक्ति दिनांक वर्ष 2016 से वरीयता सहित समस्त नोशनल परिलाभ के साथ 30 दिन के भीतर भीतर नियुक्ति देने के दिए आदेश दिए.

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