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कराटे में भारत का नाम रोशन करेंगे पाक विस्थापित हिंदू बच्चे, संघर्ष की कहानी सुन आप भी करेंगे सैल्यूट - NATIONAL KARATE COMPETITION

राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में शामिल होंगे पाक विस्थापित 15 हिंदू बच्चे, कोच ने सुनाई संघर्ष की कहानी.

NATIONAL KARATE COMPETITION
भारत का नाम रोशन करेंगे पाक विस्थापित बच्चे (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 19 hours ago

जोधपुर : पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आने वाले हिंदू विस्थापितों के नौनिहाल भी अब देश की मुख्यधारा में जुड़ कर भारत का नाम रोशन करने की तैयारी कर रहे हैं. राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता के लिए 15 बच्चे मेहनत कर रहे हैं. इनमें लड़कियां भी शामिल हैं. खास बात यह है कि भारत में स्थायी वास के लिए जद्दोजहद करने वाले परिवारों के इन बच्चों ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है. इनमें कइयों को अभी तक नागरिकता तक नहीं मिली है, लेकिन लॉन्ग टर्म वीजा से आधार कार्ड बनने की वजह से बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और यहां से ही इनको खेल का रास्ता मिला है.

जोधपुर के गंगाणा स्थित विस्थापितों की बस्ती में रहने वाले ये बच्चे बताते हैं कि उनके लिए पाकिस्तान में रहते हुए खेलना, तो जैसे कोई दुश्वार सपना सा था. 21 साल के दिलीप कुमार ने बताया कि वो साल 2013 में भारत आए. उस समय उनकी उम्र 10 साल थी. उन्होंने बताया कि वो पाकिस्तान में पढ़ते थे, लेकिन वहां खेलने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, क्योंकि वहां उनके लिए सुविधाएं नहीं थी.

स्पोर्टस में उतर रहे पाक विस्थापित हिंदू बच्चे (ETV BHARAT JODHPUR)

इसे भी पढ़ें - 355 पाक विस्थापित हिंदुओं को भारतीय नागरिकता मिल​ते ही गूंजा 'भारत माता की जय' का नारा, चेहरों पर दिखी खुशी

दिलीप ने बताया कि उन्हें मार्शल आर्ट का शौक सोशल मीडिया से लगा. उसके बाद एक संस्था के मार्फत कोच भारत पन्नू तक पहुंचे. वहीं, ​दिलीप की तरह ही 13 साल की आरती का जन्म भी पाकिस्तान में हुआ. तीन साल की उम्र में वो जोधपुर आई. वो बताती है कि यहां आए तो रहने खाने का भी कोई ठिकाना नहीं था. पिता टैक्सी चलाकर उनको पाले. जयपुर में होने वाली प्रतियोगिता में आरती के अलावा अंजनी, ममता, नैना, मीना, भूरी और रेशमा भाग ले रही हैं.

नागरिकता मिली, अब नाम करेंगे : कोच भारत पन्नू 15 ऐसे बच्चों को निशुल्क मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दे रहे हैं. दिलीप और आरती ने बताया कि वे अब ज्यादा खुश हैं, क्योंकि दो दिन पहले ही उनको परिवार सहित सीएए के तहत नागरिकता मिली है. उनका सपना है कि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन कर खिताब जीतें, जिससे उनका और देश का नाम रोशन हो.

National Karate Competition
पाक विस्थापित हिंदू बच्चे (ETV BHARAT JODHPUR)

इसे भी पढ़ें - छह पाक विस्थापित बने भारतीय, जिला प्रशासन ने सौंपा नागरिकता प्रमाण पत्र - Six Pak migrants got citizenship

3 माह से बहा रहे पसीना : आर्मी ट्रेनर कोच भारत प्रोफशनल मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर चुके हैं. वे बताते हैं कि इन बच्चों के लिए जब बात हुई, तो मैंने तय किया था कि इनको निशुल्क कोचिंग करवाऊंगा. तीन माह से लगातार दिन में तीन घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं. 25-26 जनवरी को जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में कुल 40 बच्चे जा रहे हैं. इनमें 15 पाक विस्थापित हैं. इन बच्चों ने दिसंबर में जोधपुर में आयोजित क्वालीफाइंग राउंड क्लियर किया था. पन्नू ने बताया कि मुझे उम्मीद है कि ये बच्चे भी अच्छा प्रदर्शन कर मेडल हासिल करेंगे.

National Karate Competition
पाक विस्थापित बच्चों को प्रशिक्षित करते कोच भारत पन्नू (ETV BHARAT JODHPUR)

आसान नहीं विस्थापितों की जिंदगी : पाकिस्तान से आने वाले हिंदू विस्थापितों के लिए जोधपुर सहित कहीं पर भी जाकर बसना आसान नहीं होता है. सबसे बड़ी वजह उनके पास उनकी पहचान उस समय तक पाकिस्तानी की होती है. जब तक नागरिकता नहीं​ मिल जाए, उसके पहले से आए हुए रिश्तेदार होते, तो उनको थोड़ी बहुत सहूलियत मिल जाती है. अन्यथा रात बिताने के लिए भी ठीकाना नहीं होता है. वर्तमान में जोधपुर आने वाले ऐसे नए विस्थापित गंगाणा में अपना ठीकाना बनाते हैं, जहां धीरे-धीरे छोटी मोटी मजदूरी कर जीवन गुजारते हैं. एलटीवी मिलने पर आधार कार्ड बनने से उनके लिए कुछ सहूलियत जरूर हो जाती है.

जोधपुर : पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आने वाले हिंदू विस्थापितों के नौनिहाल भी अब देश की मुख्यधारा में जुड़ कर भारत का नाम रोशन करने की तैयारी कर रहे हैं. राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता के लिए 15 बच्चे मेहनत कर रहे हैं. इनमें लड़कियां भी शामिल हैं. खास बात यह है कि भारत में स्थायी वास के लिए जद्दोजहद करने वाले परिवारों के इन बच्चों ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है. इनमें कइयों को अभी तक नागरिकता तक नहीं मिली है, लेकिन लॉन्ग टर्म वीजा से आधार कार्ड बनने की वजह से बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और यहां से ही इनको खेल का रास्ता मिला है.

जोधपुर के गंगाणा स्थित विस्थापितों की बस्ती में रहने वाले ये बच्चे बताते हैं कि उनके लिए पाकिस्तान में रहते हुए खेलना, तो जैसे कोई दुश्वार सपना सा था. 21 साल के दिलीप कुमार ने बताया कि वो साल 2013 में भारत आए. उस समय उनकी उम्र 10 साल थी. उन्होंने बताया कि वो पाकिस्तान में पढ़ते थे, लेकिन वहां खेलने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, क्योंकि वहां उनके लिए सुविधाएं नहीं थी.

स्पोर्टस में उतर रहे पाक विस्थापित हिंदू बच्चे (ETV BHARAT JODHPUR)

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दिलीप ने बताया कि उन्हें मार्शल आर्ट का शौक सोशल मीडिया से लगा. उसके बाद एक संस्था के मार्फत कोच भारत पन्नू तक पहुंचे. वहीं, ​दिलीप की तरह ही 13 साल की आरती का जन्म भी पाकिस्तान में हुआ. तीन साल की उम्र में वो जोधपुर आई. वो बताती है कि यहां आए तो रहने खाने का भी कोई ठिकाना नहीं था. पिता टैक्सी चलाकर उनको पाले. जयपुर में होने वाली प्रतियोगिता में आरती के अलावा अंजनी, ममता, नैना, मीना, भूरी और रेशमा भाग ले रही हैं.

नागरिकता मिली, अब नाम करेंगे : कोच भारत पन्नू 15 ऐसे बच्चों को निशुल्क मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दे रहे हैं. दिलीप और आरती ने बताया कि वे अब ज्यादा खुश हैं, क्योंकि दो दिन पहले ही उनको परिवार सहित सीएए के तहत नागरिकता मिली है. उनका सपना है कि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन कर खिताब जीतें, जिससे उनका और देश का नाम रोशन हो.

National Karate Competition
पाक विस्थापित हिंदू बच्चे (ETV BHARAT JODHPUR)

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3 माह से बहा रहे पसीना : आर्मी ट्रेनर कोच भारत प्रोफशनल मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर चुके हैं. वे बताते हैं कि इन बच्चों के लिए जब बात हुई, तो मैंने तय किया था कि इनको निशुल्क कोचिंग करवाऊंगा. तीन माह से लगातार दिन में तीन घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं. 25-26 जनवरी को जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में कुल 40 बच्चे जा रहे हैं. इनमें 15 पाक विस्थापित हैं. इन बच्चों ने दिसंबर में जोधपुर में आयोजित क्वालीफाइंग राउंड क्लियर किया था. पन्नू ने बताया कि मुझे उम्मीद है कि ये बच्चे भी अच्छा प्रदर्शन कर मेडल हासिल करेंगे.

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पाक विस्थापित बच्चों को प्रशिक्षित करते कोच भारत पन्नू (ETV BHARAT JODHPUR)

आसान नहीं विस्थापितों की जिंदगी : पाकिस्तान से आने वाले हिंदू विस्थापितों के लिए जोधपुर सहित कहीं पर भी जाकर बसना आसान नहीं होता है. सबसे बड़ी वजह उनके पास उनकी पहचान उस समय तक पाकिस्तानी की होती है. जब तक नागरिकता नहीं​ मिल जाए, उसके पहले से आए हुए रिश्तेदार होते, तो उनको थोड़ी बहुत सहूलियत मिल जाती है. अन्यथा रात बिताने के लिए भी ठीकाना नहीं होता है. वर्तमान में जोधपुर आने वाले ऐसे नए विस्थापित गंगाणा में अपना ठीकाना बनाते हैं, जहां धीरे-धीरे छोटी मोटी मजदूरी कर जीवन गुजारते हैं. एलटीवी मिलने पर आधार कार्ड बनने से उनके लिए कुछ सहूलियत जरूर हो जाती है.

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