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इस साल महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग, जानें कितना खास है ये दिन - MAHASHIVRATRI 2025

साल 2025 में महाशिवरात्रि के दिन एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. इस दिन कुंभ राशि में तीन ग्रहों की युति होगी. दरअसल...

This year a rare coincidence is going to happen after 60 years on Mahashivratri 2025, know how special this day is
इस साल महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग, (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Feb 15, 2025, 12:44 PM IST

विज्ञान हजारों वर्षों से 'शिव' के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है. जब भौतिकता का मोह समाप्त हो जाता है और ऐसी स्थिति आ जाती है कि इंद्रियां भी बेकार हो जाती हैं, उस स्थिति में शून्यता आकार ले लेती है और जब शून्यता भी अस्तित्वहीन हो जाती है तब वहां शिव प्रकट होते हैं. शिव शून्य से परे हैं, जब व्यक्ति भौतिक जीवन को त्यागकर सच्चे मन से ध्यान करता है तो शिव की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि शिव के एक-आयामी और अलौकिक रूप को हर्षोल्लास के साथ मनाने का त्योहार है.

भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं बेहद प्रचलित
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव यानी भगवान शिव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन शिव भक्त और शिव में आस्था रखने वाले लोग व्रत रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करते हैं. महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं बहुत ज्यादा प्रचलित हैं. माना जाता है कि इस खास दिन पर भगवान शंकर आधी रात को ब्रह्मा के रुद्र रूप में अवतरित हुए थे.

तांडव और विवाह से जुड़ी मान्यताएं
ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपनी तीसरी आंख खोली थी और इसी आंख की ज्वाला से ब्रह्मांड को नष्ट कर दिया था. इसके अलावा कई जगहों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इस पावन दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

वैसे तो हर महीने में शिवरात्रि होती है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का बहुत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. दरअसल महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की पूजा का पर्व है, जब धार्मिक लोग विधि-विधान से महादेव की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं, जो शिव के दर्शन और पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं.

इस पवित्र वस्तुओं से करें भगवान शिव का अभिषेक
महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा-अर्चना कर उनका विभिन्न पवित्र वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि चढ़ाए जाते हैं. भगवान शिव को भांग बहुत प्रिय है, इसलिए कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं. पूरे दिन व्रत और पूजा करने के बाद शाम को फलाहार किया जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है. कहा जाता है कि अगर इस दिन भोले को प्रसन्न कर लिया जाए तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख-समृद्धि आती है. भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है, जो बेलपत्र और जल चढ़ाकर शिव का गुणगान करते हैं.

60 साल बाद महाशिवरात्रि बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग
हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी, 2025 को सुबह 11:08 बजे से शुरू हो रही है और 27 फरवरी, 2025 को सुबह 08:54 बजे तक रहेगी. साल 2025 में महाशिवरात्रि के दिन एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. इस दिन कुंभ राशि में तीन ग्रहों की युति होगी. दरअसल, इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि एक साथ रहेंगे. साल 1965 में महाशिवरात्रि के दिन ऐसा ही संयोग बना था. इसके साथ ही 60 साल पहले महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा मकर राशि में था, इस बार भी चंद्रमा मकर राशि में रहेगा. इस दुर्लभ संयोग पर महाशिवरात्रि का आना बेहद खास माना जा रहा है.

महाशिवरात्रि के पावन अवसर इस तरह भोलेनाथ की कृपा पा सकते हैं.

  • शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन ज्योतिषीय उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां समाप्त हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन महादेव और पार्वती की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए, तभी इसका फल मिलता है.
  • इस दिन का हर पल अत्यंत शुभ होता है. इस दिन व्रत रखने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पति मिलता है और विवाहित महिलाओं का वैधव्य दोष भी नष्ट होता है.
  • महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करने से कुंडली के नौ ग्रह दोष शांत होते हैं, खासकर चंद्रमा से होने वाले दोष जैसे मानसिक अशांति, माता के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में देरी, हृदय रोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ठ रोग, सर्दी-खांसी, दमा रोग, खांसी-निमोनिया संबंधी रोग ठीक होते हैं और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति होती है और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है. भांग चढ़ाने से घर में अशांति, भूत बाधा और चिंताएं दूर होती हैं. मंदार पुष्प से नेत्र और हृदय रोग दूर रहते हैं.
  • शिवलिंग पर धतूरे के पुष्प और फल चढ़ाने से औषधियों और विषैले जीवों का खतरा समाप्त होता है. शमीपत्र चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती, मारकेश और अशुभ ग्रह गोचर से हानि नहीं होती. इसलिए श्री महाशिवरात्रि के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करें और शिव कृपा से तीनों प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाएं.

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

महाशिवरात्रि पूजा विधि: शिवपुराण के अनुसार, भक्त को सुबह उठकर स्नान करके संध्या के नित्य कर्म से निवृत्त होकर माथे पर भस्म का तिलक लगाना चाहिए और गले में रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिए, शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए और शिव को नमस्कार करना चाहिए. इसके बाद इस प्रकार भक्ति भाव से व्रत का संकल्प लेना चाहिए.

हल्दी का तिलक: शिवरात्रि पर भक्त मंदिर में भगवान शिव को हल्दी से तिलक लगाते हैं. वैसे भी हल्दी का प्रयोग लगभग हर धार्मिक कार्य में किया जाता है. लेकिन भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती. इसका कारण यह है कि हल्दी स्त्री प्रसाधन है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है.

लाल फूल: आपने देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर खूब फूल बिकते हैं. लेकिन क्या आपने गौर किया है कि इन फूलों में लाल फूल नहीं होते. ज्यादातर गेंदा ही दिखाई देता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव को लाल फूल नहीं चढ़ाए जाते. कहा जाता है कि सफेद फूल चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं.

सिंदूर या कुमकुम: महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सिंदूर या कुमकुम लगाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए. इसके बजाय आप चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

तांबे का लोटा: इस बार जब आप भगवान शिव को जल चढ़ाने जाएं तो तांबे या पीतल के लोटे का ही इस्तेमाल करें, स्टील या लोहे के लोटे का नहीं.

शंख बजाना शुभ: हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना जाता है. हर पूजा में इसे बजाना और इससे लोगों को जल देना बहुत शुभ माना जाता है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि शंख से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना वर्जित माना जाता है.

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और सूचना पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, सूचना की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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विज्ञान हजारों वर्षों से 'शिव' के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है. जब भौतिकता का मोह समाप्त हो जाता है और ऐसी स्थिति आ जाती है कि इंद्रियां भी बेकार हो जाती हैं, उस स्थिति में शून्यता आकार ले लेती है और जब शून्यता भी अस्तित्वहीन हो जाती है तब वहां शिव प्रकट होते हैं. शिव शून्य से परे हैं, जब व्यक्ति भौतिक जीवन को त्यागकर सच्चे मन से ध्यान करता है तो शिव की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि शिव के एक-आयामी और अलौकिक रूप को हर्षोल्लास के साथ मनाने का त्योहार है.

भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं बेहद प्रचलित
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव यानी भगवान शिव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन शिव भक्त और शिव में आस्था रखने वाले लोग व्रत रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करते हैं. महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं बहुत ज्यादा प्रचलित हैं. माना जाता है कि इस खास दिन पर भगवान शंकर आधी रात को ब्रह्मा के रुद्र रूप में अवतरित हुए थे.

तांडव और विवाह से जुड़ी मान्यताएं
ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपनी तीसरी आंख खोली थी और इसी आंख की ज्वाला से ब्रह्मांड को नष्ट कर दिया था. इसके अलावा कई जगहों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इस पावन दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

वैसे तो हर महीने में शिवरात्रि होती है, लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्रि का बहुत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. दरअसल महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की पूजा का पर्व है, जब धार्मिक लोग विधि-विधान से महादेव की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं, जो शिव के दर्शन और पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं.

इस पवित्र वस्तुओं से करें भगवान शिव का अभिषेक
महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा-अर्चना कर उनका विभिन्न पवित्र वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि चढ़ाए जाते हैं. भगवान शिव को भांग बहुत प्रिय है, इसलिए कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं. पूरे दिन व्रत और पूजा करने के बाद शाम को फलाहार किया जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है. कहा जाता है कि अगर इस दिन भोले को प्रसन्न कर लिया जाए तो आपके सारे काम सफल होते हैं और सुख-समृद्धि आती है. भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है, जो बेलपत्र और जल चढ़ाकर शिव का गुणगान करते हैं.

60 साल बाद महाशिवरात्रि बनने जा रहा है दुर्लभ संयोग
हर साल यह पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी, 2025 को सुबह 11:08 बजे से शुरू हो रही है और 27 फरवरी, 2025 को सुबह 08:54 बजे तक रहेगी. साल 2025 में महाशिवरात्रि के दिन एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. इस दिन कुंभ राशि में तीन ग्रहों की युति होगी. दरअसल, इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि एक साथ रहेंगे. साल 1965 में महाशिवरात्रि के दिन ऐसा ही संयोग बना था. इसके साथ ही 60 साल पहले महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा मकर राशि में था, इस बार भी चंद्रमा मकर राशि में रहेगा. इस दुर्लभ संयोग पर महाशिवरात्रि का आना बेहद खास माना जा रहा है.

महाशिवरात्रि के पावन अवसर इस तरह भोलेनाथ की कृपा पा सकते हैं.

  • शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन ज्योतिषीय उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां समाप्त हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन महादेव और पार्वती की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए, तभी इसका फल मिलता है.
  • इस दिन का हर पल अत्यंत शुभ होता है. इस दिन व्रत रखने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पति मिलता है और विवाहित महिलाओं का वैधव्य दोष भी नष्ट होता है.
  • महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करने से कुंडली के नौ ग्रह दोष शांत होते हैं, खासकर चंद्रमा से होने वाले दोष जैसे मानसिक अशांति, माता के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में देरी, हृदय रोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ठ रोग, सर्दी-खांसी, दमा रोग, खांसी-निमोनिया संबंधी रोग ठीक होते हैं और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति होती है और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है. भांग चढ़ाने से घर में अशांति, भूत बाधा और चिंताएं दूर होती हैं. मंदार पुष्प से नेत्र और हृदय रोग दूर रहते हैं.
  • शिवलिंग पर धतूरे के पुष्प और फल चढ़ाने से औषधियों और विषैले जीवों का खतरा समाप्त होता है. शमीपत्र चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती, मारकेश और अशुभ ग्रह गोचर से हानि नहीं होती. इसलिए श्री महाशिवरात्रि के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करें और शिव कृपा से तीनों प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाएं.

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

महाशिवरात्रि पूजा विधि: शिवपुराण के अनुसार, भक्त को सुबह उठकर स्नान करके संध्या के नित्य कर्म से निवृत्त होकर माथे पर भस्म का तिलक लगाना चाहिए और गले में रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिए, शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए और शिव को नमस्कार करना चाहिए. इसके बाद इस प्रकार भक्ति भाव से व्रत का संकल्प लेना चाहिए.

हल्दी का तिलक: शिवरात्रि पर भक्त मंदिर में भगवान शिव को हल्दी से तिलक लगाते हैं. वैसे भी हल्दी का प्रयोग लगभग हर धार्मिक कार्य में किया जाता है. लेकिन भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती. इसका कारण यह है कि हल्दी स्त्री प्रसाधन है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है.

लाल फूल: आपने देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर खूब फूल बिकते हैं. लेकिन क्या आपने गौर किया है कि इन फूलों में लाल फूल नहीं होते. ज्यादातर गेंदा ही दिखाई देता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव को लाल फूल नहीं चढ़ाए जाते. कहा जाता है कि सफेद फूल चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं.

सिंदूर या कुमकुम: महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सिंदूर या कुमकुम लगाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए. इसके बजाय आप चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

तांबे का लोटा: इस बार जब आप भगवान शिव को जल चढ़ाने जाएं तो तांबे या पीतल के लोटे का ही इस्तेमाल करें, स्टील या लोहे के लोटे का नहीं.

शंख बजाना शुभ: हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना जाता है. हर पूजा में इसे बजाना और इससे लोगों को जल देना बहुत शुभ माना जाता है. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि शंख से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना वर्जित माना जाता है.

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और सूचना पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, सूचना की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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