पटनाः हमारी संस्कृति में आत्महत्या को सबसे बड़ा पाप माना गया है, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध, दिन ब दिन बढ़ती प्रतियोगिता, समाज और परिवार की अपेक्षाओं पर खरा न उतरने का मलाल युवाओं में गहरी निराशा की वजह बनता जा रहा है. कई बार तो उस निराशा के भंवर ने निकलने की राह मिल जाती है लेकिन कभी-कभी मुश्किल हालात के आगे वो पस्त हो जाता है और आत्मघाती कदम उठा लेता है.
शहरों में ज्यादा केसः साल दर साल बढ़ते आत्महत्या के मामले हमारी जीवन शैली और सोच पर बड़े प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए है. जो आंकड़े सामने आए हैं वो बता रहे हैं कि गांव की अपेक्षा बड़े शहरों में युवा अधिक सुसाइड कर रहे हैं. बिहार जैसे राज्य में पारिवारिक और सामाजिक दायित्व के बोझ के तले युवा गलत निर्णय ले रहे हैं.
असफलता के बाद आत्महत्या:बिहार की राजधानी पटना में सुसाइड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. भागलपुर के रहने वाले एक छात्र ने पिछले दिनों कदमकुआं थाना क्षेत्र के काजीपुर मोहल्ले में सुसाइड कर लिया. सुसाइड नोट से यह स्पष्ट संदेश था कि छात्र नीट की असफलता स्वीकार नहीं कर पाया और माता-पिता से माफी मांगते हुए अपनी जीवनलीला समाप्त कर डाली.
नालंदा के रहनेवाले छात्र ने भी दी जानःराजधानी पटना के शास्त्री नगर थाना क्षेत्र में भी आत्महत्या का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया था. जब एक छात्र ने आईआईटी की परीक्षा में असफल होने के बाद फांसी लगा ली थीय मृतक 17 वर्षीय सोनू कुमार नालंदा का रहने वाला था और लॉज में रहकर आईआईटी की तैयारी कर रहा था.
आत्महत्या के मामले में बिहार निचले स्थान परःराष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक बिहार में आत्महत्या की दर निचले स्थान पर है. यहां प्रति एक लाख आबादी पर 0.6 आत्महत्या के मामले प्रकाश में आते हैं. इस मामले में बिहार पूरे देश में 36 वें स्थान पर है.
लगातार बढ़ रहे हैं आंकड़ेः एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2022 को छोड़ दिया जाए तो बिहार में भी साल दर साल आतमहत्या के आंकड़े बढ़ रहे हैं. 2018 में बिहार में जहां 443 लोगों ने आत्महत्या की थी तो 2019 में कुल 641 लोगों ने आत्महत्या की. 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 809 तक पहुंच गया और 2021 में ये आंकड़ा 827 हो गया.
2022 में दर्ज की गयी गिरावटःहालांकि 2022 में आंकड़े में 15 फीसदी की गिरावट आई और आंकड़ों के मुताबिक 702 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं 2022 में सिर्फ पटना में 53 लोगों ने सुसाइड किया. 2022 को छोड़ दें तो हर साल बिहार में खुदकुशी के आंकड़ों में इजाफा ही हुआ है.
क्या कहते हैं डॉक्टर ?: मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह का मानना है कि बड़े शहरों में युवा डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर ले रहे हैं.ज्यादातर आत्महत्या प्रेम-संबंधों को लेकर हो रही है तो करियर में असफल होने के बाद भी युवा आत्महत्या कर रहे हैं. युवाओं की एक्टिविटी पर माता-पिता को ध्यान रखने की जरूरत है.