पटना : बेतिया राज की 15221 एकड़ जमीन समेत सारी परिसंपत्तियां अब बिहार सरकार की होगी. विधानसभा ने बेतिया राज की संपत्ति को निहित करने वाला विधेयक-2024 की मंजूरी दे दी. राज्य सरकार के इस विधेयक को राज्याल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जायेगा.
राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून लागू : बिहार सरकार के भूमि एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि बेतिया राज की 15221 एकड़ की संपत्ति को लेकर बिहार विधान मंडल में विधेयक पारित कर दिया गया है. अब यह संपत्ति बिहार सरकार के अधीन होगा महामहिम राज्यपाल के अनुमोदन के बाद यह कानून लागू हो जाएगा.
'जमीन मालिकों को दिया जाएगा मौका' : दिलीप जायसवाल ने बताया कि बेतिया राज की जमीन पर रह रहे लोगों के लिए भी सरकार मौका दे रही है. मंत्री ने बताया कि विधानसभा के कई सदस्य ने भी इस बात को उठाया था. दिलीप जायसवाल ने कहा कि सरकार की मंशा किसी को बेघर करने की नहीं है. बल्कि बेतिया राज की अतिक्रमित जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर आम लोगों की विकास के कामों में उपयोग करना है.
''बिहार सरकार ने निर्णय लिया है कि बेतिया राज की जमीन पर जो लोग दावा कर रहे हैं या घर बना कर रहे हैं, उनके दावा-अपत्ति के लिए संबंधित जिलों में विशेष पदाधिकारी नियुक्त किए जाएंगे. नोटिकेशन के 60 दिनों के अंदर विशेष पदाधिकारी दावा-आपत्ति स्वीकार करेंगे. दावा-आपत्ति दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर मामले का निष्पादन कर दिया जाएगा.''- दिलीप जायसवाल, भूमि एवं राजस्व मंत्री, बिहार सरकार
बेतिया राज की संपत्ति का अधिग्रहण क्यों ? : बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 26 मार्च 1893 को हुई थी. उनकी दो रानियां थीं, पहली पत्नी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हो गई. दूसरी रानी का नाम महारानी जानकी कुंवर था. कहा जाता है कि महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' द्वारा किया गया.
अंग्रेजों की ओर से अक्षम घोषित कर एक अप्रैल 1897 से बेतिया राज को प्रतिपाल्य अधिकरण अधिनियम के अधीन कर लिया गया था. महारानी जानकी कुंवर की मृत्यु 1954 में हो गई थी. तब से लगातार बेतिया राज की संपत्ति अलग अलग तरह का विवाद होता रहा है.