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मकर संक्रांति पर इसलिए खाई जाती है खिचड़ी, जानिए धार्मिक मान्यताएं और परंपरा - MAKAR SANKRANTI

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा से जुड़ी कहानी बहुत ही प्रचलित है. खिचड़ी बनाने और खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है.

संक्रांति में खिचड़ी खाने का महत्व
संक्रांति में खिचड़ी खाने का महत्व (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 13, 2025, 8:46 PM IST

Updated : Jan 13, 2025, 9:40 PM IST

पटना: मकर संक्रांति का त्योहार तो पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में सभी त्योहारों में से मकर संक्रांति का खास महत्व है. मकर संक्रांति को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है. मकर संक्रांति के दिन लोग स्नान-दान, पूजा-पाठ जैसे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं. इस दिन सूर्य देव धनु राशि के निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं.

खिचड़ी खाने से घर में सुख-समृद्धि आती: मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने की पंरपरा का उल्लेख कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी भगवान सूर्य और शनि देव से जुड़ी है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. दाल, चावल और हरी सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है.

पंडित पुनीत छवि आलोक (ETV Bharat)

वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व:सिर्फ यही वजह नहीं है कि खिचड़ी सुपाच्य के लिए ही खाई जाती है. खिचड़ी को पौष्टिक आहार माना जाता है. खिचड़ी खाने से सर्दियों में एनर्जी मिलती है. इसका वैज्ञानिक कारण भी है और इसका धार्मिक महत्व भी है. पंडित पुनीत छवि आलोक ने बताया कि मकर संक्रांति का त्योहार है वह सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने का है. जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस काल खंड में मकर संक्रांति मनाया जाता है.

"धनु अपनी अपनी उच्च राशि से शनि की राशि में होते हुए मकर में प्रवेश करते है तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं. यह काल पुण्य काल होता है. संक्रांति के मौके पर भारत के अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है. मुख्य परंपरा में तिल, जौ, गुड व्यंजन बनते हैं. खिचड़ी का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है."- पुनीत छवि आलोक, पंडित

मकर संक्रांति का त्योहार (ETV Bharat)

खिचड़ी का धार्मिक और वैज्ञानिकमहत्व: पंडित छवि बताते है कि इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है. चावल, दाल, जौ अन्य सामग्री हम प्रयोग करते हैं. उसकी वजह से हमारे शरीर में उष्णता जो होती है. सुपाच्य होता है यह हमारे शरीर के पाचन शक्ति को बढ़ाता है. सामान्य जीवन में खिचड़ी का प्रयोग रोगी करते हैं. रोगी को यह खिचड़ी दिया जाता है और वह स्वस्थ होकर प्रथम बार किसी भोजन का प्रयोग करता है वह खिचड़ी होती है.

खिचड़ी के दान का बहुत महत्व:संक्रांति में संध्याकालीन में खिचड़ी का प्रयोग किया जाता है. जितने भी स्थान में शीत का प्रकोप होता है, इसका उपयोग किया जाता है. यह नित्य प्रतिदिन भी किया जाता है लेकिन, संक्रांति में विशेष रूप से किया जाता है. मकर संक्रांति के दिन शनि वह तिल को धारण करते हैं. गुड को धारण करते हैं, खिचड़ी को धारण करते हैं. जब शनि को बहुत शरीर में गर्मी आ गई थी तब महादेव के आशीर्वाद से मां पार्वती ने उन्हें सर्वप्रथम खिचड़ी का भोजन कराया था. इसलिए इस दिन खिचड़ी के दान का बहुत महत्व माना जाता है.

ये है मान्यता:मान्यता है कि ताजा-ताजा धान की कटाई होने के बाद चावल को पकाकर उसे खिचड़ी के रूप में सबसे पहले सूर्य देवता को भोग लगाया जाता है. इससे सूर्य देवता आशीर्वाद देते हैं. इस दिन भगवान सूर्य के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है. मकर संक्रांति पर सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गुड, गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन गुड़, तिल और खिचड़ी का सेवन करना भी शुभ माना जाता है.

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Last Updated : Jan 13, 2025, 9:40 PM IST

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