पटना: मकर संक्रांति का त्योहार तो पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में सभी त्योहारों में से मकर संक्रांति का खास महत्व है. मकर संक्रांति को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है. मकर संक्रांति के दिन लोग स्नान-दान, पूजा-पाठ जैसे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं. इस दिन सूर्य देव धनु राशि के निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं.
खिचड़ी खाने से घर में सुख-समृद्धि आती: मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने की पंरपरा का उल्लेख कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी भगवान सूर्य और शनि देव से जुड़ी है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. दाल, चावल और हरी सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है.
वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व:सिर्फ यही वजह नहीं है कि खिचड़ी सुपाच्य के लिए ही खाई जाती है. खिचड़ी को पौष्टिक आहार माना जाता है. खिचड़ी खाने से सर्दियों में एनर्जी मिलती है. इसका वैज्ञानिक कारण भी है और इसका धार्मिक महत्व भी है. पंडित पुनीत छवि आलोक ने बताया कि मकर संक्रांति का त्योहार है वह सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने का है. जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस काल खंड में मकर संक्रांति मनाया जाता है.
"धनु अपनी अपनी उच्च राशि से शनि की राशि में होते हुए मकर में प्रवेश करते है तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं. यह काल पुण्य काल होता है. संक्रांति के मौके पर भारत के अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है. मुख्य परंपरा में तिल, जौ, गुड व्यंजन बनते हैं. खिचड़ी का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है."- पुनीत छवि आलोक, पंडित
खिचड़ी का धार्मिक और वैज्ञानिकमहत्व: पंडित छवि बताते है कि इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है. चावल, दाल, जौ अन्य सामग्री हम प्रयोग करते हैं. उसकी वजह से हमारे शरीर में उष्णता जो होती है. सुपाच्य होता है यह हमारे शरीर के पाचन शक्ति को बढ़ाता है. सामान्य जीवन में खिचड़ी का प्रयोग रोगी करते हैं. रोगी को यह खिचड़ी दिया जाता है और वह स्वस्थ होकर प्रथम बार किसी भोजन का प्रयोग करता है वह खिचड़ी होती है.