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जबलपुर के पढ़े-लिखे युवाओं में बढ़ रहा अहीर नृत्य का ट्रेंड, वेस्टर्न डांस को टक्कर दे रहा कदम संस्था का अनोखा प्रयास - jabalpur ahir folk dance

Jabalpur Ahir Folk Dance: जबलपुर में इन दिनों युवाओं में अहीर डांस का कल्चर बढ़ रहा है. यहां तक कि युवाओं ने इसे अपना पेशन बना लिया है. कई युवाओं ने डांस क्लासेस ज्वाइन कर इस अहीर डांस को सीखा है. बता दें यह भारत का एक पारंपरिक लोक नृत्य है.

jabalpur ahir folk dance
जबलपुर के पढ़े लिखे युवाओं में बढ़ रहा अहीर नृत्य का ट्रेंड

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 8:26 PM IST

जबलपुर के पढ़े लिखे युवाओं में बढ़ रहा अहीर नृत्य का ट्रेंड

जबलपुर।वेस्टर्न कल्चर वेस्टर्न डांस को सीखने के लिए बाकायदा क्लासेस लगाई जा रही है. जबकि हमारे पास अपनी संस्कृति से जुड़े हुए कुछ ऐसे बेहतरीन नृत्य हैं, जो हमारे ही समाज में सदियों में विकसित हुए लेकिन धीरे-धीरे अपनी पहचान खोते चले गए. यह डांस इतने गजब हैं कि जिनको देखने और सुनने से मन प्रसन्नित हो जाता है. ऐसा ही एक अहीर नृत्य जबलपुर के युवाओं की पसंद बन गया है. यह पढ़े-लिखे युवा इस नृत्य को अपना पेशन बना चुके हैं. इन युवाओं का कहना है कि 'हमारे नृत्य वेस्टर्न डांस से कहीं बेहतर है.'

अहीर नृत्य

यह भारत का एक पारंपरिक लोक नृत्य है. जो उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन के आसपास में किया जाता है. सामान्य तौर पर अहीर नृत्य दीपावली के दूसरे दिन किया जाता है. वहीं दूसरी बार अहीर नृत्य होली के मौके पर देखने को मिलता है. जब वृंदावन में होली खेलते नाचते गाते हुए रंग बिखेरते हैं. यह एक परंपरागत नृत्य है और बहुत ही कलरफुल है. उत्तर भारत के इस नृत्य के दीवाने आजकल जबलपुर के युवा हो रहे हैं.

अहीर डांस की युवाओं में खुशी

सामाजिक संस्था का अनोखा प्रयास

जबलपुर में कदम नाम की एक संस्था है, जो मूल रूप से पौधारोपण पर काम करती है, लेकिन इसी संस्था का एक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भी है. जिसमें एक अनोखा प्रयास किया है. इस संस्था ने उत्तर भारत के अहीर नृत्य को युवाओं को सिखाने का बीड़ी उठाया और जबलपुर के उपनगर राझी इलाके में एक मैदान में इसकी कार्यशाला शुरू की. शुरुआत में इस नृत्य को सिखाने वाले युवाओं की संख्या कम थी, लेकिन अब इस मुहिम से लगभग 100 युवा जुड़ चुके हैं. वह गजब के सुरताल के साथ अहीर नृत्य करते हैं.

ज्यादातर पढ़े-लिखे बच्चे

मास्टर ऑफ आर्ट्स करने वाली झील सिंह का कहना है कि 'इंटरनल एक्साइटमेंट लोक नृत्य से ही बाहर आता है. भले ही लोग कुछ देर के लिए वेस्टर्न डांस कर लें, लेकिन जो खुशी लोक नृत्य करने में मिलती है. वह वेस्टर्न डांस में नहीं मिलती. इसलिए वे अहीर नृत्य करती हैं. वे जब भी ये नृत्य करती हैं तो उन्हें एक अलग सी खुशी मिलती है.'

युवाओं में अहीर नृत्य का बढ़ता ट्रेंड

राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

इन बच्चों को डांस सिखाने वाले कृष्णकांत दीक्षित का कहना है कि 'उन्होंने जब इसे शुरू किया था. तब इसमें मात्र 10-12 बच्चे ही शामिल हुए थे. आज लगभग 100 से ज्यादा बच्चे हैं और यूनिवर्सिटी डांस कंपटीशन में जबलपुर की अहीर नृत्य की टोली ने राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भी जीता है. इस नृत्य के साथ जोड़ने के बाद बच्चों में अपनी संस्कृति से जुड़ने के गुण आए हैं. वे डांस सीखने के लिए बच्चों से जबरदस्ती नहीं करते बल्कि युवा अपनी मर्जी से इस विधा को सीख रहे हैं.

भारत के कई डांस फॉर्म बहुत प्रचलित हैं. इनमें भांगड़ा गुजरात का गरबा अपनी पहचान बना चुके है, लेकिन अभी भी कई ऐसे नृत्य हैं. जिन्हें यदि सही तरीके से किया जाए तो वह बड़े अदभुत हैं. जिस तरीके से अहीर नृत्य को एक सामाजिक संस्था ने विकसित कर लिया. उसी तरह से भारतीय संस्कृति के कई नृत्य हैं. जिन्हें यदि निखारा जाए तो फिर वेस्टर्न डांस से कहीं बेहतर साबित होंगे.

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