जबलपुर।वेस्टर्न कल्चर वेस्टर्न डांस को सीखने के लिए बाकायदा क्लासेस लगाई जा रही है. जबकि हमारे पास अपनी संस्कृति से जुड़े हुए कुछ ऐसे बेहतरीन नृत्य हैं, जो हमारे ही समाज में सदियों में विकसित हुए लेकिन धीरे-धीरे अपनी पहचान खोते चले गए. यह डांस इतने गजब हैं कि जिनको देखने और सुनने से मन प्रसन्नित हो जाता है. ऐसा ही एक अहीर नृत्य जबलपुर के युवाओं की पसंद बन गया है. यह पढ़े-लिखे युवा इस नृत्य को अपना पेशन बना चुके हैं. इन युवाओं का कहना है कि 'हमारे नृत्य वेस्टर्न डांस से कहीं बेहतर है.'
अहीर नृत्य
यह भारत का एक पारंपरिक लोक नृत्य है. जो उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन के आसपास में किया जाता है. सामान्य तौर पर अहीर नृत्य दीपावली के दूसरे दिन किया जाता है. वहीं दूसरी बार अहीर नृत्य होली के मौके पर देखने को मिलता है. जब वृंदावन में होली खेलते नाचते गाते हुए रंग बिखेरते हैं. यह एक परंपरागत नृत्य है और बहुत ही कलरफुल है. उत्तर भारत के इस नृत्य के दीवाने आजकल जबलपुर के युवा हो रहे हैं.
सामाजिक संस्था का अनोखा प्रयास
जबलपुर में कदम नाम की एक संस्था है, जो मूल रूप से पौधारोपण पर काम करती है, लेकिन इसी संस्था का एक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भी है. जिसमें एक अनोखा प्रयास किया है. इस संस्था ने उत्तर भारत के अहीर नृत्य को युवाओं को सिखाने का बीड़ी उठाया और जबलपुर के उपनगर राझी इलाके में एक मैदान में इसकी कार्यशाला शुरू की. शुरुआत में इस नृत्य को सिखाने वाले युवाओं की संख्या कम थी, लेकिन अब इस मुहिम से लगभग 100 युवा जुड़ चुके हैं. वह गजब के सुरताल के साथ अहीर नृत्य करते हैं.