पन्ना (संजय रैकवार): हिंदूपत महल का इतिहास महाराजा छत्रसाल से जुड़ा हुआ है. इस महल को महाराजा छत्रसाल के प्रपौत्र सभा सिंह के पुत्र हिंदूपत ने बनवाया था. इसका निर्माण सन 1758 से 1776 के बीच हुआ. यह महल बुंदेली स्थापत्य कला का नायाब नमूना है. हालांकि प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से यहां बहुत कम पर्यटकों का आना होता है.
बुंदेली स्थापत्य कला का नायाब नमूना
पन्ना बुंदेला नरेश महाराजा छत्रसाल की राजधानी थी. इसी के साथ पन्ना शहर में अनेक ऐसी सैकड़ों बरस पुरानी निर्मित इमारतें है जिनकी कलाकारी एवं स्थापत्य कला देखते ही बनती है. उनमें से एक है हिंदूपत महल जो शहर के बीचो-बीच बलदेव जी मंदिर के पास स्थित है. इस महल की कलाकारी एवं बनावट बुंदेली स्थापत्य कला का नायाब नमूना है.
सैकड़ो बरस पुराना हो जाने के बावजूद यह शानदार महल ज्यों का त्यों खड़ा है और खुद में अपने इतिहास को संजोए हुए है. वर्तमान में इस महल को पुरातत्व विभाग ने अपने अधिग्रहण में लेकर पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया है.
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वर्तमान में पुरातत्व संग्रहालय...
जिला पुरातत्व संग्रहालय हिंदूपत महल पुरातत्व संघों में सर्वप्रथम 1858-59 जिला पुरातत्व संघ की स्थापना हुई थी. संघ के प्रयत्नों से पन्ना के राजेंद्र उद्यान में प्रतिमाओं का प्रदर्शन आरंभ हुआ. सन 1988 में इन प्रतिमाओं को हिंदूपत महल पन्ना में स्थानांतरित कर दिया गया. हिंदूपत महल का निर्माण बुंदेला शासक महाराज हिन्दूपत द्वारा 1758 से 1776 ई के मध्य कराया गया था.
हिन्दूपत महल बुंदेला वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है. उत्तरमुखी महल का प्रवेश द्वार आकर्षण का केंद्र है. महल के अंदर विशाल प्रांगण एवं उसके चारों ओर विशाल कक्षों का निर्माण किया गया है.
प्रशासनिक उपेक्षा का है शिकार...
हिन्दूपत महल का सैकड़ों साल पुराना इतिहास होने के बावजूद प्रचार-प्रसार ना होने की वजह से महल में स्थापित पुरातत्व संग्रहालय में पर्याप्त पर्यटक नहीं पहुंचते हैं. प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ सके.