चंडीगढ़ : इनकम टैक्स बचाना हर करदाता का अधिकार है. हाउस रेंट अलाउंस (HRA) के जरिए टैक्स बचाना एक बेहतरीन उपाय है. लेकिन कई करदाता टैक्स बचाने के लिए किराए की फर्जी रसीदों को जमा करने का गलत रास्ता अख्तियार करते हैं. लेकिन अगर आप भी इन लोगों में शामिल है तो अब आपको सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि अब आयकर विभाग आसानी से ऐसे लोगों के फर्जीवाड़े को पकड़ लेगा.
किराए की रसीद का फर्जीवाड़ा :इनकम टैक्स रिटर्न भरने की घड़ी आ चुकी है. ऐसे में अगर टैक्स बचाने के लिए आप सही तरीकों का इस्तेमाल करते हैं तो ये अच्छी बात है, लेकिन अगर आप टैक्स रिफंड या छूट पाने के लिए गलत तरीकों का सहारा लेते हैं तो अब आपको सावधान हो जाना चाहिए. आप ये कतई मत सोचिए की आप आयकर विभाग को चकमा दे सकते हैं क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) के इस युग में आईटी डिपार्टमेंट के पास ऐसे कई तरीके हैं जिनके जरिए वो टैक्स में छूट पाने के लिए नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वालों को पकड़ सकता है.
HRA के दावे की जांच होती है :आयकर विभाग फर्जी किराया रसीदों को पकड़ने के लिए एआई से लैस कंप्यूटर तकनीकि का इस्तेमाल करता है. आप इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त जो फॉर्म 16 दाखिल करते हैं, आयकर विभाग देखता है कि वो AIS फॉर्म और फॉर्म-26AS से मेल खा रहा है या नहीं. आपको बता दें कि पैन कार्ड से जुड़े सभी लेनदेन इन दोनों फॉर्म्स में रिकॉर्ड किए जाते हैं. जब कोई करदाता किराए की रसीद के जरिए एचआरए (HRA) का दावा करता है, तो आयकर विभाग इन फॉर्मों के साथ उसके दावे का मिलान करता है और अगर उसमें कोई अंतर मिलता है तो उसे फौरन नोटिस भेज दिया जाता है.
HRA के नियम क्या हैं ? :आयकर विभाग के मुताबिक एचआरए से जुड़ा नियम कहता है कि कोई एचआरए कटौती का दावा तभी कर सकता है, जब उसे कंपनी से एचआरए भत्ता दिया जा रहा हो. अगर कोई कर्मचारी साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा किराया देने का दावा करता है तो उसे अपने मकान मालिक का पैन नंबर भी साथ में देना होगा. जब आप ये दावा करते हैं तो आयकर विभाग आपके दावे की राशि का मिलान आपके मकान मालिक के पैन नंबर पर भेजी गई राशि से करता है. दोनों में अंतर आने पर आपको नोटिस भेजा जाता है. तो देखा आपने कि कैसे इनकम टैक्स विभाग आपके फर्जीवाड़े को पकड़ सकता है. ऐसे में आपको सावधान रहने की जरूरत है वर्ना आपको भी फर्जीवाड़े के लिए लेने के देने पड़ सकते हैं.