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गेहूं में पीला रतुआ रोग से रहें सचेत, खरपतवार नियंत्रण के लिए अपनाएं ये विधि - YELLOW RUST DISEASE

कृषि कार्यों को लेकर कृषि विश्विद्यालय पालमपुर ने एडवाइजरी जारी की है. पढ़िए पूरी खबर

पीला रत्तुआ रोग से रहें सावधान
पीला रत्तुआ रोग से रहें सावधान (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 5, 2025, 4:21 PM IST

सिरमौर : हिमाचल प्रदेश सहित जिला सिरमौर में किसान मौसम के पूर्वानुमान ही अनुसार कृषि कार्य करें. चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्विद्यालय पालमपुर प्रसार शिक्षा निदेशालय ने जनवरी 2025 महीने के प्रथम पखवाड़े में किए जाने वाले कृषि कार्यों से संबंधित एडवाइजरी जारी की है, जो किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है.

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद शर्मा और कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डॉ पंकज मित्तल ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि, 'गेहूं की फसल में खरपतवारों की 2-3 पत्तियां आ गई हों, तो इस अवस्था में खरपतवार नियंत्रण के लिए वेस्टा (मेटसल्फयूरॉन मिथाइल 20 डब्ल्यूपी प्लस क्लोडिनाफॉप प्रोपार्जिल 15 डब्ल्यूपी) 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी के हिसाब से खेतों में छिड़काव करें. केवल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए 2, 4-डी की 50 ग्राम मात्रा को 30 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. छिड़काव के लिए फ्लैट फैन नोजल इस्तेमाल करें. गेहूं के साथ चौड़ी पत्ती वाली फसल की खेती की गई हो, तो 2, 4-डी का प्रयोग न करें.'

इस सूरत में रोग महामारी का रूप कर सकता है धारण

डॉ. मित्तल ने कहा कि,'किसान गेहूं की फसल में पीला रतुआ बीमारी आने के प्रति भी सचेत रहें. इस रोग में गेहूं के पत्तों पर पीले रंग के छोटे-छोटे दाने सीधे धारियों में प्रकट होते है. दूसरी ओर पत्तों में धारीदार पीलापन दिखाई देता है. बीमारी के जल्दी प्रकट होने पर पौधे बौने रह जाते हैं और पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है. यदि मौसम ठंडा व नम रहे और थोड़ी वर्षा हो जाए, तो यह रोग महामारी का रूप धारण कर सकता है.'

इन किसानों को सतर्क रहने की जरूरत

बीमारी के कारण गेहूं के दाने या तो बनते ही नहीं है या छोटे व झुर्रीदार बनते हैं. फिर भी जहां पर किसानों ने पीबीडब्ल्यू-343, पीबीडब्ल्यू-520, पीबीडब्ल्यू-550, एचपीडब्ल्यू-184, एचपीडब्ल्यू-42, एचएस-240, एचएस-295, एचएस-420, यूपी-2338, एचडी- 2967 या डब्ल्यूएच-711 किस्मों की बिजाई की है. ऐसे क्षेत्रों में किसानों को बीमारी के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है.

लक्षण दिखने में क्या करें

किसानों को सलाह दी गई है कि ऊपर बताए गए लक्षणों को देखते ही गेहूं की फसल में टिल्ट-प्रापिकोनाजोल 25 ईसी या फोलिक्योर टेबुकोनाजोल 25 ईसी या बेलाटॉन 25 डब्ल्यूपी का 0.1 प्रतिशत घोल यानी 30 मिलीलीटर रसायन 30 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें और 15 दिन के अंतराल पर इसे फिर से दोहराएं.

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