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हिमाचल में स्क्रैप होंगे 7 हजार पुराने वाहन, क्या पड़ेगा असर ? पढ़ें खबर... - VECHILE SCRAP POLICY HIMACHAL

हिमाचल में पुराने वाहनों को पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए स्क्रैप किया जाएगा. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल में 7 हजार वाहन होंगे स्क्रैप
हिमाचल में 7 हजार वाहन होंगे स्क्रैप (कॉन्सेप्ट इमेज)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 17 hours ago

Updated : 12 hours ago

शिमला: "हिमाचल में पुराने वाहनों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए ऐसे 7 हजार सरकारी वाहन स्क्रैप होंगे जिससे राज्य के महत्त्वपूर्ण विभागों के कामकाज पर असर पड़ेगा." डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने यह जानकारी दिल्ली में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक में दी. उन्होंने स्क्रैपिंग पॉलिसी को सुचारू रूप से चलाने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया.

डिप्टी सीएम ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक और परिवहन विकास परिषद की 42वीं बैठक में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश में परिवहन क्षेत्र से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामले उठाए और इनके समाधान के लिए केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने वाहन स्क्रैपिंग नीति के वित्तीय बोझ का मामला भी उठाया. प्रदेश को अपनी भौगोलिक स्थिति और कम वाहनों की संख्या के कारण विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे स्क्रैपिंग के लिए वाहनों की असेंबली महंगी और पेचिदा हो जाती है.

विशेष केंद्रीय सहायता की समय सीमा बढ़ाने का भी आग्रह

उप-मुख्यमंत्री ने पूंजी निवेश के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) प्राप्त करने की समय सीमा को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाने का आग्रह किया. राज्य पर वित्तीय दबाव को कम करने के लिए स्क्रैपिंग प्रोत्साहन ऋण के बजाय अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएं. स्क्रैपिंग नीति के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया. मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री से एटीएस के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने और वाहनों को स्क्रैप करने की तिथि 31 जनवरी से बढ़ाकर 31 मार्च करने का आग्रह किया. केंद्रीय मंत्री ने मामले का संज्ञान लिया और कहा कि मामला विचाराधीन है.

उप-मुख्यमंत्री ने प्रदेश में संचालित अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (एआईटीपी) बसों की ओर से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा की. यह एआईटीपी बसें राज्य में स्टेज कैरिज बसों के रूप में चल रही हैं, हालांकि उनके पास कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट (एआईटीपी) है. एआईटीपी और स्टेज कैरिज के बीच करों की मात्रा में बहुत अंतर है.

ये भी पढ़ें: तीन बार हुआ फेल, बिना कोचिंग के चौथे प्रयास में अफसर बन गया किसान का बेटा

इस पर जताई चिंता

केंद्र सरकार से एआईटीपी बसों और स्टेज कैरिज बसों के लिए समान अवसर निर्धारित करने का आग्रह किया, क्योंकि यह असमानता अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रही है, जिससे विशेष रूप से राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) को नुकसान हो रहा है. बस अड्डों में एआईटीपी निजी ऑपरेटरों को स्थान आवंटित करने के बारे में भी चिंता व्यक्त की, जो उन्हें प्रभावी रूप से स्टेज कैरिज ऑपरेटर के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है, जिससे एसटीयू के लिए चुनौतियां और बढ़ जाती हैं. उप-मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और एआईटीपी ऑपरेटरों के स्थान के दुरुपयोग को रोकने को स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए.

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित राज्य में स्थापित आरवीएसएफ (पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा) में गैर-सरकारी स्वामित्व वाले वाहन को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहन को किसी भी आरवीएसएफ के रूप में बदला जाना चाहिए, क्योंकि राज्य में वर्तमान में कोई आरवीएसएफ कार्यात्मक नहीं है.

हिमाचल में बनेगा भारत का सबसे बड़ा रोपवे नेटवर्क

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से शहरी रोपवे नेटवर्क परियोजना विकसित कर रही है जो भारत का पहला और दुनिया का सबसे बड़ा रोपवे नेटवर्क होगा. यह परियोजना बोलिविया के बाद विश्व में दूसरी सबसे बड़ी परियोजना होगी. इस परियोजना का कार्य जून-2025 में शुरू किया जाएगा और पांच वर्षों की अवधि में पूरा होने की संभावना है.

इस परियोजना से राज्य के सार्वजनिक परिवहन में सुधार होगा और यातायात प्रदूषण में भी कमी आएगी. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में रोपवे यात्रा पर जीएसटी दर 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है, लेकिन वित्त मंत्रालय की ओर से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की अनुमति नहीं दी गई. वहीं, जीएसटी परिषद की फिटमेंट कमेटी की ओर से इसकी सिफारिश की गई थी.

ये भी पढ़ें: बिजली सब्सिडी छोड़ने पर क्या बोले पक्ष-विपक्ष के नेता, कांग्रेस को झूठा बता रही बीजेपी

शिमला: "हिमाचल में पुराने वाहनों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए ऐसे 7 हजार सरकारी वाहन स्क्रैप होंगे जिससे राज्य के महत्त्वपूर्ण विभागों के कामकाज पर असर पड़ेगा." डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने यह जानकारी दिल्ली में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक में दी. उन्होंने स्क्रैपिंग पॉलिसी को सुचारू रूप से चलाने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया.

डिप्टी सीएम ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक और परिवहन विकास परिषद की 42वीं बैठक में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश में परिवहन क्षेत्र से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामले उठाए और इनके समाधान के लिए केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने वाहन स्क्रैपिंग नीति के वित्तीय बोझ का मामला भी उठाया. प्रदेश को अपनी भौगोलिक स्थिति और कम वाहनों की संख्या के कारण विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे स्क्रैपिंग के लिए वाहनों की असेंबली महंगी और पेचिदा हो जाती है.

विशेष केंद्रीय सहायता की समय सीमा बढ़ाने का भी आग्रह

उप-मुख्यमंत्री ने पूंजी निवेश के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) प्राप्त करने की समय सीमा को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाने का आग्रह किया. राज्य पर वित्तीय दबाव को कम करने के लिए स्क्रैपिंग प्रोत्साहन ऋण के बजाय अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएं. स्क्रैपिंग नीति के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया. मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री से एटीएस के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने और वाहनों को स्क्रैप करने की तिथि 31 जनवरी से बढ़ाकर 31 मार्च करने का आग्रह किया. केंद्रीय मंत्री ने मामले का संज्ञान लिया और कहा कि मामला विचाराधीन है.

उप-मुख्यमंत्री ने प्रदेश में संचालित अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (एआईटीपी) बसों की ओर से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा की. यह एआईटीपी बसें राज्य में स्टेज कैरिज बसों के रूप में चल रही हैं, हालांकि उनके पास कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट (एआईटीपी) है. एआईटीपी और स्टेज कैरिज के बीच करों की मात्रा में बहुत अंतर है.

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इस पर जताई चिंता

केंद्र सरकार से एआईटीपी बसों और स्टेज कैरिज बसों के लिए समान अवसर निर्धारित करने का आग्रह किया, क्योंकि यह असमानता अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रही है, जिससे विशेष रूप से राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) को नुकसान हो रहा है. बस अड्डों में एआईटीपी निजी ऑपरेटरों को स्थान आवंटित करने के बारे में भी चिंता व्यक्त की, जो उन्हें प्रभावी रूप से स्टेज कैरिज ऑपरेटर के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है, जिससे एसटीयू के लिए चुनौतियां और बढ़ जाती हैं. उप-मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और एआईटीपी ऑपरेटरों के स्थान के दुरुपयोग को रोकने को स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए.

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित राज्य में स्थापित आरवीएसएफ (पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा) में गैर-सरकारी स्वामित्व वाले वाहन को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहन को किसी भी आरवीएसएफ के रूप में बदला जाना चाहिए, क्योंकि राज्य में वर्तमान में कोई आरवीएसएफ कार्यात्मक नहीं है.

हिमाचल में बनेगा भारत का सबसे बड़ा रोपवे नेटवर्क

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से शहरी रोपवे नेटवर्क परियोजना विकसित कर रही है जो भारत का पहला और दुनिया का सबसे बड़ा रोपवे नेटवर्क होगा. यह परियोजना बोलिविया के बाद विश्व में दूसरी सबसे बड़ी परियोजना होगी. इस परियोजना का कार्य जून-2025 में शुरू किया जाएगा और पांच वर्षों की अवधि में पूरा होने की संभावना है.

इस परियोजना से राज्य के सार्वजनिक परिवहन में सुधार होगा और यातायात प्रदूषण में भी कमी आएगी. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में रोपवे यात्रा पर जीएसटी दर 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है, लेकिन वित्त मंत्रालय की ओर से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की अनुमति नहीं दी गई. वहीं, जीएसटी परिषद की फिटमेंट कमेटी की ओर से इसकी सिफारिश की गई थी.

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Last Updated : 12 hours ago
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