बिलासपुर: प्रदर्शन के जरिये अपनी आवाज प्रशासन तक पहुंचाने के कई किस्से आपने सुने होंगे लेकिन हिमाचल प्रदेश में एक शख्स ने अपनी बात पहुंचाने का सबसे जुदा तरीका चुना. इस शख्स ने सड़क नेशनल हाइवे के आधी सड़क पर पत्थर रख दिए ताकि उसपर गाड़ियां ना चल सके. लेकिन इस शख्स ने ऐसा क्यों किया और सिर्फ आधी सड़क पर ही ऐसा क्यों किया ? कहानी बहुत ही दिलचस्प है
मामला क्या है ?
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में शिमला-मटौर वाया जुखाला एनएच पर राजनकांत नाम के शख्स ने बीच सड़क पर पत्थर रखकर इसे एक तरफ से बंद कर दिया. इसके कारण मंगरोट के पास सड़क पर एक तरफ की आवाजाही बंद हो गई और वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा. राजनकांत के मुताबिक सालों से उसका लोक निर्माण विभाग के साथ जमीन का विवाद चल रहा है. जिसका हल नहीं निकला तो उसने ये कदम उठाया. दरअसल राजनकांत इस जमीन को अपना बता रहा है और इसके बदले मुआवजे की मांग कर रहा है. यही वजह है कि वो पहले भी हाइवे को बंद करने जैसा कदम उठा चुके हैं.
सड़क बंद करने की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर सड़क से पत्थर और मिट्टी को हटवाया और राजनकांत को दोबारा ऐसा न करने की हिदायत दी है. राजनकांत ने 10 दिन में सड़क की निशानदेही न करवाने पर इसे बंद करने की चेतावनी दी थी. निशानदेही न होने पर राजनकांत ने सड़क को एकतरफ से बंद कर दिया. राजनकांत पहले भी शिमला-मटौर एनएच को बंद कर चुका है.
सड़क की जमीन पर मालिकाना हक का दावा
दरअसल राजनकांत का कहना है कि, "मेरे परिवार ने 2009 में बिलासपुर के मंगरोट में जमीन खरीदी थी. निशानदेही में एनएच के पास मेरी माता सीता शर्मा के नाम पर 12 बिस्वा जमीन निकली थी, लेकिन इसमें 8 बिस्वा जमीन पर सड़क बनी हुई है. डिमार्केशन में सड़क पर लोक निर्माण विभाग का हमारी जमीन का कब्जा पाया जाता है. तहसीलदार ने खुद मौके पर जाकर निशानदेही की है, लेकिन प्रशासन हमें अभी तक कब्जा नहीं दिलवा पा रहा है और न ही कोई मुआवजा मिला है. जिसके कारण ऐसा करना पड़ रहा है."
राजनकांत ने कहा कि "सड़क बंद होने से कोई हादसा होता है और राहगीर, वाहन चालक या मुझे भी कोई नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा. जो इस मामले में लापरवाही बरत रहा है. ये विवाद लंबे वक्त से चल रहा है, लेकिन आज तक ये साफ नहीं हो पाया कि मालिक कौन है. लोक निर्माण विभाग ने 5G कंपनी को लाइन बिछाने की अनुमति दे दी थी. इसकी शिकायत भी की थी लेकिन वो डीसी ऑफिस और कभी तहसील ऑफिस में घूम रही है. सड़क बंद होने से अगर कोई नुकसान होता है, तो इसका जिम्मेवार प्रशासन होगा.'
पहले सड़क पर लगा दिया था खोखा
बता दें कि राजनकांत इससे पहले भी इस नेशनल हाइवे पर को एकतरफ से बंद कर चुका है. कुछ महीने पहले राजनकांत ने यहां पर चारपाई लगा दी थी. उससे पहले रजनीकांत ने 30 नवंबर 2022 को एनएच पर अपनी जमीन होने का दावा करते हुए बीच सड़क पर खोखा (छोटी सी दुकान) ही लगा दी थी और चाय बेचने का काम भी शुरू कर दिया था. नवम्बर, 2022 को उच्च न्यायालय के आदेश पर लोक निर्माण विभाग ने मंगरोट में सड़क पर लगे राजनकांत के खोखे को हटा दिया था. इसके बाद राजनकांत बार-बार संबंधित जमीन को अपनी बताते हुए सड़क को बंद कर देता है.
साल 2009 में करवाई थी निशानदेही
राजनकांत का कहना है कि, 'खसरा नंबर 217/119 की निशानदेही उसकी माता ने साल 2009 में भी करवाई थी. उस समय से अपनी जमीन की निशानदेही की मांग कर रहा हूं, लेकिन प्रशासन निशानदेही और तकसीम करने से बच रहा है. राजनकांत की मांग है कि उसे एनएच के किनारे खोखा लगाने दिया जाए. ताकि मेरी रोजी-रोटी चल सके'.
प्रशासन ने दी कार्रवाई की चेतावनी
बता दें कि बीते नवम्बर महीने में एसडीएम सदर की अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दोबारा से निशानदेही करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन अभी तक निशानदेही नहीं हो पाई है. इसी से नाराज होकर एकबार राजनकांत ने गुरुवार को सड़क को बंद कर दिया. वहीं, एसडीएम सदर बिलासपुर अभिषेक गर्ग ने बताया कि, 'सड़क को बाधित करने की सूचना मिलने पर तहसीलदार सदर की अगुवाई में पुलिस बल को भेजा गया था. सड़क पर रखे पत्थर हटा दिए हैं. किसी भी समस्या को लेकर प्रशासन से बात करने की हिदायत दी गई है. दोबारा सड़क को बाधित करने पर प्रशासन कड़ी कार्रवाई करेगा.'
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