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हिमाचल हाईकोर्ट ने रद्द किए तहसीलदार टौणी देवी के तबादला आदेश, ट्रांसफर ऑर्डर को मनमाना ठहराते हुए सरकार को दिए ये निर्देश - TEHSILDAR TAUNI DEVI TRANSFER CASE

हिमाचल हाईकोर्ट ने तहसीलदार टौणी देवी के तबादला के आदेश को रद्द कर दिया है. जानें पूरा मामला.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 22 hours ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला हमीरपुर के टौणी देवी में तैनात तहसीलदार के तबादला आदेश रद्द कर दिए हैं. अदालत ने तहसीलदार देशराज के तबादला आदेश को मनमाना ठहराते हुए सरकार को निर्देश दिए कि वह प्रार्थी को उचित अवधि तक टौणी देवी में ही सेवा जारी रखने की अनुमति दे. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी भी की. अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई प्रथम या द्वितीय श्रेणी का कर्मचारी है, उसे फुटबॉल नहीं माना जा सकता.

अदालत ने ये कहा कि न ही किसी भी कर्मचारी को कार्यकारी प्राधिकारी की इच्छा पर बिना किसी वैध औचित्य के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है. दरअसल, टौणी देवी के तहसीलदार देशराज को कुल्लू के निथर के लिए ट्रांसफर किया गया था. इस तबादला आदेश को देशराज ने हाईकोर्ट में याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने याचिका की सुनवाई पर स्थानांतरण आदेश को मनमाना ठहराया.

हाईकोर्ट ने कहा कि बेशक स्थानांतरण सेवा का एक हिस्सा है, लेकिन कोई कर्मचारी जब किसी स्टेशन पर तैनात होता है तो उसे उम्मीद रहती है कि वो तय अवधि के लिए सेवाएं देगा. बेशक कर्मचारी क्लास वन हो या क्लास टू. वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान सरकार का तर्क था कि ट्रांसफर पॉलिसी क्लास वन व क्लास टू कर्मचारियों पर लागू नहीं होती है.

इस पर अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई कर्मचारी प्रथम या द्वितीय श्रेणी का है, उसे फुटबॉल नहीं माना जा सकता और न ही कार्यकारी प्राधिकारी की इच्छा पर बिना किसी वैध कारण से एक स्थान से दूसरे पर स्थानांतरित किया जा सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि ये सही बात है कि कर्मचारी की ट्रांसफर व पोस्टिंग नियोक्ता का विशेषाधिकार है, लेकिन नियोक्ता ऐसे अधिकारी का मनमाना प्रयोग नहीं कर सकता. इसका प्रयोग या तो किसी प्रशासनिक आवश्यकता के कारण या जनहित में किया जाना चाहिए.

क्या है पूरा मामला

मामले के अनुसार प्रार्थी तहसीलदार देशराज को टौणी देवी से कुल्लू के निथर में तब्दील किया गया था. प्रार्थी को जनवरी 2024 में प्रमोट कर टौणी देवी में तैनात किया गया था. इससे पहले वह मंडी जिला के संधोल में सेवारत था. संधोल में प्रार्थी ने कनिष्ठ पद पर सामान्य कार्यकाल पूरा किया था. टौणी देवी और संधोल के बीच की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है. खैर, याचिका की सुनवाई पर सरकार ने ट्रांसफर को उचित ठहराते हुए कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया राज्य की नीति के अनुसार प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से पूरी की गई है.

सरकार ने कहा कि इसके अलावा यह पूरी तरह से नियोक्ता पर निर्भर करता है कि कब, कहां और किस समय किसी लोक सेवक को उसकी वर्तमान तैनाती के स्थान से ट्रांसफर किया जाना है. विभाग का यह भी कहना था कि याचिकाकर्ता का कैडर एक डिवीजनल कैडर है. चूंकि स्थानांतरण इसके यानी कैडर के उल्लंघन में नहीं किया गया है, इसलिए विवादित स्थानांतरण आदेश की न्यायिक समीक्षा उचित नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा कि लगभग आठ महीने के अल्प प्रवास के बाद याचिकाकर्ता का टौणी देवी तहसील से से उप-तहसील निथर में स्थानांतरण वाजिब नहीं है. इसकेे अलावा अदालत ने कहा कि सरकार ने ट्रांसफर के पक्ष में किसी भी प्रशासनिक आवश्यकता या जनहित का उल्लेख भी अपने जवाब में नहीं किया है. अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता का स्थानांतरण आदेश कानून की दृष्टि में सही नहीं है. कारण स्पष्ट करते हुए अदालत ने कहा कि यह तबादला किसी प्रशासनिक आवश्यकता या जनहित के आधार पर नहीं किया गया है, बल्कि अथॉरिटी ने इस मामले में अपनी शक्ति का मनमाना प्रयोग किया है. ऐसे में प्रार्थी की याचिका पर तबादला आदेश रद्द किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें: 73 साल के रिटायर्ड बेलदार को अदालती आदेश के 8 साल बाद भी नहीं मिले तय वित्तीय लाभ, हाईकोर्ट ने रोका निदेशक का वेतन

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला हमीरपुर के टौणी देवी में तैनात तहसीलदार के तबादला आदेश रद्द कर दिए हैं. अदालत ने तहसीलदार देशराज के तबादला आदेश को मनमाना ठहराते हुए सरकार को निर्देश दिए कि वह प्रार्थी को उचित अवधि तक टौणी देवी में ही सेवा जारी रखने की अनुमति दे. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी भी की. अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई प्रथम या द्वितीय श्रेणी का कर्मचारी है, उसे फुटबॉल नहीं माना जा सकता.

अदालत ने ये कहा कि न ही किसी भी कर्मचारी को कार्यकारी प्राधिकारी की इच्छा पर बिना किसी वैध औचित्य के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है. दरअसल, टौणी देवी के तहसीलदार देशराज को कुल्लू के निथर के लिए ट्रांसफर किया गया था. इस तबादला आदेश को देशराज ने हाईकोर्ट में याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने याचिका की सुनवाई पर स्थानांतरण आदेश को मनमाना ठहराया.

हाईकोर्ट ने कहा कि बेशक स्थानांतरण सेवा का एक हिस्सा है, लेकिन कोई कर्मचारी जब किसी स्टेशन पर तैनात होता है तो उसे उम्मीद रहती है कि वो तय अवधि के लिए सेवाएं देगा. बेशक कर्मचारी क्लास वन हो या क्लास टू. वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान सरकार का तर्क था कि ट्रांसफर पॉलिसी क्लास वन व क्लास टू कर्मचारियों पर लागू नहीं होती है.

इस पर अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई कर्मचारी प्रथम या द्वितीय श्रेणी का है, उसे फुटबॉल नहीं माना जा सकता और न ही कार्यकारी प्राधिकारी की इच्छा पर बिना किसी वैध कारण से एक स्थान से दूसरे पर स्थानांतरित किया जा सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि ये सही बात है कि कर्मचारी की ट्रांसफर व पोस्टिंग नियोक्ता का विशेषाधिकार है, लेकिन नियोक्ता ऐसे अधिकारी का मनमाना प्रयोग नहीं कर सकता. इसका प्रयोग या तो किसी प्रशासनिक आवश्यकता के कारण या जनहित में किया जाना चाहिए.

क्या है पूरा मामला

मामले के अनुसार प्रार्थी तहसीलदार देशराज को टौणी देवी से कुल्लू के निथर में तब्दील किया गया था. प्रार्थी को जनवरी 2024 में प्रमोट कर टौणी देवी में तैनात किया गया था. इससे पहले वह मंडी जिला के संधोल में सेवारत था. संधोल में प्रार्थी ने कनिष्ठ पद पर सामान्य कार्यकाल पूरा किया था. टौणी देवी और संधोल के बीच की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है. खैर, याचिका की सुनवाई पर सरकार ने ट्रांसफर को उचित ठहराते हुए कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया राज्य की नीति के अनुसार प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से पूरी की गई है.

सरकार ने कहा कि इसके अलावा यह पूरी तरह से नियोक्ता पर निर्भर करता है कि कब, कहां और किस समय किसी लोक सेवक को उसकी वर्तमान तैनाती के स्थान से ट्रांसफर किया जाना है. विभाग का यह भी कहना था कि याचिकाकर्ता का कैडर एक डिवीजनल कैडर है. चूंकि स्थानांतरण इसके यानी कैडर के उल्लंघन में नहीं किया गया है, इसलिए विवादित स्थानांतरण आदेश की न्यायिक समीक्षा उचित नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा कि लगभग आठ महीने के अल्प प्रवास के बाद याचिकाकर्ता का टौणी देवी तहसील से से उप-तहसील निथर में स्थानांतरण वाजिब नहीं है. इसकेे अलावा अदालत ने कहा कि सरकार ने ट्रांसफर के पक्ष में किसी भी प्रशासनिक आवश्यकता या जनहित का उल्लेख भी अपने जवाब में नहीं किया है. अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता का स्थानांतरण आदेश कानून की दृष्टि में सही नहीं है. कारण स्पष्ट करते हुए अदालत ने कहा कि यह तबादला किसी प्रशासनिक आवश्यकता या जनहित के आधार पर नहीं किया गया है, बल्कि अथॉरिटी ने इस मामले में अपनी शक्ति का मनमाना प्रयोग किया है. ऐसे में प्रार्थी की याचिका पर तबादला आदेश रद्द किए जाते हैं.

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