शिमला:हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की साख दांव पर लगी है. वहीं, उपचुनाव में भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे तीन पूर्व विधायकों की जीत या हार से नेता परिपक्ष जयराम ठाकुर का सियासी कद भी तय होने वाला है. विधानसभा की तीनों सीटों पर 10 जुलाई को मतदान हुआ था. जिसका रिजल्ट आज शनिवार को घोषित होगा. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आने से सीएम सुक्खू और मजबूत होते हैं या फिर चुनावी नतीजे विपक्ष के नेता जयराम की उम्मीदों पर खरा उतरते हैं. उपचुनाव के नतीजों से प्रदेश की राजनीति में दोनों ही नेताओं का सियासी कद तय होने वाला है.
देहरा पर जनता की नजर
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की तीन सीटों देहरा, हमीरपुर व नालागढ़ में 10 जुलाई को मतदान हुआ था. जिसके नतीजे आज दोपहर तक घोषित हो जाएंगे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्म पत्नी कमलेश ठाकुर के चुनाव लड़ने से देहरा हॉट सीट बन गई है. वहीं, हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिले में तहत पड़ता है. ऐसे में दोनों ही सीटें सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई हैं. अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो इससे सरकार में सीएम सुक्खू की स्थिति और मजबूत होगी. वहीं, सीएम के विरोधियों के तेवर भी और नरम पड़ सकते हैं. जिससे उनके कार्यकाल के बाकी बचे 34 महीनों में सीएम सुक्खू को सरकार चलाने में कोई परेशानी नहीं होगी.
जयराम की प्रतिष्ठा से जुड़ा उपचुनाव
हिमाचल में 27 फरवरी को राज्यसभा की एक सीट पर सदन में स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी 40 विधायकों के संख्या बल वाली कांग्रेस चुनाव हार गई थी. वहीं, 25 विधायकों के संख्या बल वाली भाजपा राज्यसभा सीट को जीतने में सफल रही थी. राज्यसभा सीट की जीत का सेहरा जयराम ठाकुर के सिर बंधा था. जिसके बाद तीन निर्दलीय विधायकों हमीरपुर से आशीष शर्मा, नालागढ़ से केएल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह ने अपने पदों से इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था. वहीं, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने पर तीनों पूर्व विधायकों को इनाम के तौर पर पार्टी टिकट थमा दिया. ऐसे में तीनों नेताओं की हार या जीत से अब नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का सियासी कद भी तय होगा.
सरकार पर नहीं कोई खतरा
वरिष्ठ पत्रकार एमपीएस राणा के मुताबिक प्रदेश में 38 सीटों के साथ पहले ही सुक्खू सरकार बहुमत के आंकड़े से अधिक सीटों के साथ पूरी तरह से स्थिर है. ऐसे में चुनाव में हार या जीत से सरकार की सेहत पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. वहीं, अगर उपचुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में रहते है तो भी पार्टी बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक दूर होगी, लेकिन इतना तय है कि उपचुनाव के नतीजों से दोनों नेताओं की जनता के बीच में पकड़ का अंदाजा जरूर लग जाएगा.
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